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10 वर्षीय बॉन्ड के नकदी प्रवाह पर आरबीआई की नजर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:31 AM IST

लगता है कि बॉन्ड बाजार इस तथ्य के साथ सामंजस्य बिठा चुका है कि मुद्रास्फीति की रफ्तार चाहे कैसी भी रहे, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल को 6 प्रतिशत से नीचे बनाए रखेगा।
इसके लिए केंद्रीय बैंक अपना ध्यान 10 वर्षीय बॉन्ड पर बनाए हुए है। इस तरह की तरलता संबंधित सख्ती से लेनदेन की अपेक्षाकृत कम वैल्यू के साथ भी प्रतिफल में मदद मिलती है।
सेकंडरी मार्केट ऑपरेशन में, सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम (जी-सैप) के जरिये या ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) के जरिये आरबीआई ने 91,270 करोड़ रुपये के बकाया स्टॉक में से 41,451 करोड़ रुपये के 10 वर्षीय पत्र खरीदे। केंद्रीय बैंक बाजार से अज्ञात खरीदारी भी करता है। बॉन्ड डीलरों का कहना है कि विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों के जरिये आरबीआई नियमित तो पर 10 वर्षीय बॉन्ड खरीद सकता है।
आरबीआई ने 10 वर्षीय बॉन्ड पर ध्यान देने के पीछे अपना कारण नहीं बताया है। यह कई उत्पादों के लिए मानक है और बाजार में ज्यादा कारोबार वाले पत्रों में शुमार है।
रिजर्व बैंक अतीत में भी बॉन्ड को नरम बनाए रखने के अपने मकसद को स्पष्ट कर चुका है। बॉन्ड डीलरों का कहना है कि वह 10 वर्षीय बॉन्ड को एक महत्वपूर्ण बेंचमार्क के तौर पर भी देखता है और इन पत्रों की आपूर्ति नियंत्रित कर 10 वर्षीय बॉन्डों को नरम बनाने के कारण को स्पष्ट कर सकता है।
केंद्रीय बैंक अन्य बॉन्ड भी खरीदता है, लेकिन 10 वर्षीय बॉन्ड पर ध्यान केंद्रित करने से बाजार कारोबारियों में खास तरह की संतुष्टि को बढ़ावा मिला है। थोक बिक्री कीमत सूचकांक अप्रैल 2021 में बढ़कर 10.49 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो एक दशक में सर्वाधिक है, लेकिन काफी हद तक आधार प्रभाव की वजह से ऐसा हुआ और उपभोक्ता कीमत सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति समान महीने में 4.29 प्रतिशत पर थी।
हालांकि बाजार में यह धारणा बनी हुई है कि भले ही मुद्रास्फीति के आंकड़े कैसे भी हों, लेकिन आरबीआई का ध्यान प्रतिफल नीचे लाने पर बना रहेगा। यह प्रतिफल आरबीआई के प्रयासों की वजह से नीचे है और जब केंद्रीय बैंक इसे लेकर थोड़ी ढिलाई देगा तो फिर सेचढ़ जाएगा।

First Published : May 23, 2021 | 11:30 PM IST