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पोर्टफोलियो प्रबंधक चाहते हैं, संपत्तियों का प्रबंधन अलग-अलग न करना हो

Last Updated- December 07, 2022 | 4:01 PM IST

पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा (पीएमएस)सेगमेंट सेबी द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों पर स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहे हैं।


मालूम हो कि पोर्टफोलियो प्रबंधकों से सेबी ने कहा है कि वह हरेक ग्राहक की परिसंपत्तियों को अलग अलग प्रबंधन करे न कि एक साथ इस काम को अंजाम दें। इस बारे में पीएमएस का एक दल सेबी के समक्ष पहुंचा और नए दिशानिर्देशों को लागू किए जाने पर होने वाली दिक्कतों के बारे में सेबी को अवगत कराया।

सेबी ने इससे पहले प्रबंधकों को छह महीने की मोहलत दी थी कि वो बदले किए गए निर्देशों के साथ काम करना शुरू करें। लेकिन इस बारे में एक प्रबंधक के मुताबिक दुरूह इलाकों में डीमैट खाते खोलना आसान नही है। हमारे कस्टोडियनों में इतनी क्षमता नही है कि वो दूरदराज के इलाकों में सेवा प्रदान कर सकें।

लिहाजा पीएमएस प्रबंधकों ने सेबी से इसकी अनुमति मांगी है कि उन्हें ब्रोकरों के साथ खाते खोलने और एक विशेष पीएमएस उत्पाद का प्रबंधन करने के लिए एक कॉमन बैंक एकाउंट खोलने की अनुमति दी जाए। साथ ही उन्होने सेबी से कॉमन कोड में ऑर्डरों का प्लेसमेंट करने की अनुमति मांगी है।

हालांकि कुछ पीएमएस प्रबंधकों ने ऑडरों के उत्पादन और उनको विलगित करने के लिए तकनीक का ही सहारा लेने का फैसला किया है। इस वक्त माइल्स सॉफ्टवेयर और वेल्थ स्पैक्ट्रम यह तकनीक प्रदान कर रहे हैं। एसबीआई म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अचल कुमार गुप्ता का कहना है कि हम यह रास्ता तलाशने की कोशिश कर रहे हैं कि किस प्रकार आगे बढ़ा जाए।

पीएमएस कारोबार वाली स्थिति में हरेक निवेश को हरेक निवेशक के निवेश में अलग अलग करना पड़ता है। इस काम के लिए हम तकनीक का सहारा ले सकते हैं। गुप्ता के पास मौजूदा वक्त में एक संस्थागत पीएएमएस सेवा प्रदान करते हैं जबकि एक और ऐसी सेवा रिटेल ग्राहकों के लिए लांच करने वाले हैं।

सेबी जब पहली बार इन निर्देशों के साथ आई थी तो बाजार पर नजर रखने वालों ने उसी वक्त यह चिंता जाहिर की थी कि इससे छोटे पीएमएस उत्पादों (जिनका टिकट साइज पांच लाख रुपये का है) पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि ऐसे उत्पादों के पांच लाख रुपये तक के टिकट साइज पर ब्रोकरों का कमीशन 10,000 रुपये होता है।

हालांकि कई पीएमएस प्रबंधकों मसलन मोतीलाल ओसवाल एवं शेयरखान ने अपनी इस सेवा को बंद नही किया है। शेयरखान ने जहां गैर-पूल्ड एकाउंटों के जरिए कारोबार करना शुरू किया है वहीं मोतीलाल ओसवाल ने बाजार के बेहतर न होने के कारण इस कारोबार को थोड़ा धीमा कर दिया है।

मालूम हो कि मई 2008 में सेबी ने सर्कुलर जारी करते हुए कहा था कि पोर्टफोलियो प्रबंधकों को चाहिए कि वह हरेक ग्राहकों की परिसंपत्ति का प्रबंधन अलग अलग ही करें न कि एक साथ। इस बाबत ज्यादातर ब्रोकरों का कहना है कि गैर-पूल्ड व्यवस्था की ओर आ जाने के बाद प्रबंधकों को पैसे को बाजार में लगाने में दो से तीन हफ्ते लगेंगे।

First Published - August 8, 2008 | 10:14 PM IST

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