एशिया में प्राइवेट इक्विटी फंडों के लिए पूंजी निवेश में इस साल के पहले छह महीने में कुल 21.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और यूरोप से विभिन्न सौदों के बाधित होने के चलते इस क्षेत्र के लिए पूंजी के निवेश समेत पूंजी जुटाने के काम में भी कमी दर्ज हुई है। एशिया वेंचर कैपिटल जर्नल यानी एवीसीजे के लिए इस साल के पहले छह महीने पिछले साल के मुकाबले बिल्कुल विपरीत साबित हुए हैं।
मालूम हो पिछले साल के अंतिम छह महीनों में इस क्षेत्र के लिए फंड जुटाने समेत निवेश दोनों कामों में खासी तेजी थी और नजीजतन इस काम में अच्छा खासा उछाल दर्ज किया गया था। इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक कुल 19.2 अरब डॉलर जुटाए गए थे वहीं पिछले साल इसी अवधि तक कुल 24.5 अरब डॉलर जुटाए गए थे।
जबकि नए निवेश में कुल 22.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और यह गिरकर कुल 42 अरब डॉलर रह गया है। एवीसीजी ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि एशिया क्षेत्र को एसेट क्लास की मंदी का प्रभाव झेलना पड़ रहा है। मालूम हो कि पिछले कुछ सालों के दौरान कई पश्चिमी देशों की प्राइवेट इक्विटी कंपनियों ने एशिया की उभरती अर्थव्यवस्था का लाभ उठाने के मद्देनजर अरबों रुपये जुटाते हुए निवेश किए थे।
एशियाई प्राइवेट इक्विटी निवेश की रुपरेखा की बात करें तो पश्चिमी देशों के मुकाबले यहां कर्ज दर भी काफी कम है। लेकिन वैश्विक वित्तीय बाजारों में चल रही नकदी की कमी के एशियाई क्षेत्र में घुसपैठ कर जाने के कारण यहां भी तंगहाली की स्थिति देखी जा रही है। एशियाई शेयर बाजार जो एकबारगी बिकवाली करने वाले कारोबारियों के लिए मुफीद समझा जा रहा था,पर पिछले साल से चीनी शेयर बाजार की 50 फीसदी कमी की मार पड़ी है। लिहाजा, लिवाली करने वाली फर्मों ने अपनी परिसंपत्तियों की बिकवाली से इस साल महज 11.5 अरब डॉलर ही प्राप्त कर सकी हैं जो एवीसीजे के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले 41 फीसदी कम है।
हालांकि इस स्थिति पर स्कैवड्रन कैपिटल के सीईओ डेविउ पायर्स का कहना है कि फंडों के जुटाने से लेकर निवेश करने वालों की संख्या में गिरावट कम समय वाले आंकड़ों को प्रदर्शित करते हैं। लिहाजा इस पर लिवाली करने वाले फंड मैनेजरों को ज्यादा परेशान होने की जरुरत नहीं है। उन्होंने बताया कि कोई भी प्रबंधक जो शार्ट-टर्म को ध्यान में रखते हुए अपने निवेश करने के तरीके में बदलाव लाता है वह एक प्रबंधक कहलाएगा।
एवीसीजे के प्रबंध निदेशक पाउल मैंकिंटोश का कहना है कि एशिया में लिवाली करने वाली ज्यादातर कंपनियों की बात करें तो वो यहां ग्रोथ कैपिटल आधारित सौदों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही थीं जिसमें काफी बड़ी मात्रा में नकदी की जरूरत होती है।
वित्तीय बाजारों की हालत खस्ता होने के बावजूद चीन और भारत में पीई गतिविधियां स्थिर हैं। भारत में जहां पीई निवेश में कुल 3.2 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है, वहीं चीन में इस निवेश में कुल तीन फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ है। मैकि्टोस यह भी कहते हैं कि अगर मुश्किल भरे दौर में फंड जुटाने के लिहाज से इस साल को देखा जाए तो इसमें कोई कमी दर्ज नही हुई है।