निवेशकों का पैसा पैसिव फंडों में फिर से आना शुरू हो गया है। अप्रैल 2023 में डेब्ट फंडों पर टैक्स नियमों में बदलाव के बाद पैसिव फंडों में निवेश कम हो गया था, लेकिन इस साल इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई है। नए इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) लॉन्च होने और कुछ कैटेगरी में मजबूत प्रदर्शन के कारण पैसिव फंडों में निवेश बढ़ा है।
पिछले दो महीनों (मार्च और अप्रैल 2024) में पैसिव फंडों में कुल मिलाकर 12,000 करोड़ रुपये का निवेश आया है, जबकि पूरे कैलेंडर वर्ष 2024 (CY2024) में अब तक कुल शुद्ध निवेश 37,200 करोड़ रुपये हो चुका है। वहीं, पिछले छह महीनों में औसत मासिक निवेश केवल 3,263 करोड़ रुपये था।
म्यूचुअल फंड (MF) अधिकारियों के अनुसार, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने भी ईटीएफ में निवेश बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। मार्च में, केवल ईटीएफ में ही 10,560 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आया था। ईटीएफ में ज्यादातर संस्थागत निवेशक पैसा लगाते हैं, जिनमें EPFO सबसे बड़ा निवेशक है।
आंकड़ों के अनुमान के अनुसार, निफ्टी 50 और सेंसेक्स ईटीएफ में लगभग 9,000 करोड़ रुपये का निवेश SBI म्यूचुअल फंड, UTI MF, निप्पॉन इंडिया MF और ICICI प्रूडेंशियल MF द्वारा चलाए गए ईटीएफ में गया है। EPFO का निवेश ज्यादातर इन्हीं योजनाओं में जाता है। म्यूचुअल फंड अधिकारियों का कहना है कि नए इंडेक्स फंड लॉन्च होने और पिछले प्रदर्शन के आकर्षक रहने से इंडेक्स फंड में निवेश बढ़ा है।
टाटा एएमसी के इंस्टीट्यूशनल क्लाइंट्स, बैंकिंग, अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट्स और प्रोडक्ट स्ट्रैटेजी के प्रमुख आनंद वरदराजन ने कहा “हाल के महीनों में पैसिव फंड्स की तरफ काफी नए फंड आए हैं। हम मार्केट-कैप, सेक्टर या फैक्टर-आधारित फंडों जैसी विभिन्न कैटेगरी में लोगों को निवेश करते देख रहे हैं। पिछले कुछ सालों में मजबूत प्रदर्शन और अच्छे अनुभवों ने इस रुचि को बढ़ाया है।”
दरअसल, पिछले कुछ महीनों से पैसिव फंड एक साल और तीन साल के प्रदर्शन चार्ट में सबसे ऊपर रहे हैं। CPSE ईटीएफ ने एक साल की अवधि में सबसे ज्यादा 107 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। मोतीलाल ओसवाल एसएंडपी बीएसई एन्हांस्ड वैल्यू ईटीएफ और इंडेक्स फंड, साथ ही यूटी निफ्टी 500 वैल्यू 50 इंडेक्स फंड भी टॉप 10 में शामिल हैं। इसके अलावा, पैसिव फंड साल के अधिकांश समय मिडकैप और स्मॉलकैप जैसी लोकप्रिय कैटेगरी में भी आगे रहे।
शेयर बाजार में तेजी बढ़ने के साथ ही इक्विटी क्षेत्र में नए फंड ऑफरिंग (NFO) में उछाल आया है। ज्यादातर बड़े फंड हाउस पहले ही अपने एक्टिव इक्विटी और हाइब्रिड उत्पादों को लॉन्च कर चुके हैं, इसलिए अब ज्यादा नए फंड पैसिव फंड की तरफ आ रहे हैं।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही (H2FY24) में इक्विटी, हाइब्रिड और पैसिव फंडों की लॉन्चिंग 80 तक पहुंच गई, जो पिछले छह महीनों में 47 थी। अप्रैल अंत तक, म्यूचुअल फंडों ने कैलेंडर वर्ष 2024 (CY2024) में 33 पैसिव फंड लॉन्च किए हैं, जबकि पिछले चार महीनों में 15 लॉन्च किए गए थे।
भले ही पैसिव फंडों का कुल संपत्ति प्रबंधन (AUM) अभी एक्टिव फंडों के AUM के एक छोटे से हिस्से के बराबर है और इन्हें अभी भी संस्थागत निवेश का माध्यम माना जाता है, लेकिन रिटेल निवेशक भी अब इंडेक्स-आधारित निवेश के कॉन्सेप्ट को पसंद करने लगे हैं। यह बढ़ता हुआ रुझान मुख्य रूप से पैसिव फंडों के दो फायदों – कम लागत और फंड मैनेजर के खराब प्रदर्शन का जोखिम न उठाना – से प्रेरित है।