नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी विक्रम लिमये और आठ अन्य ने 643 करोड़ रुपये की निपटान राशि चुकाने की सहमति जताकर ट्रेडिंग एक्सेस पॉइंट (टीएपी) के दुरुपयोग से संबंधित मामला सुलझा लिया है।
टीएपी मामले में, बाजार नियामक ने फरवरी 2023 में एक्सचेंज को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, क्योंकि तब यह पता चला था कि ब्रोकरों द्वारा सिस्टम में गड़बड़ी की संभावना थी और एनएसई ने उचित कदम नहीं उठाए।
टीएपी एनएसई द्वारा इस्तेमाल सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है और स्टॉक ब्रोकरों द्वारा इसके ट्रेडिंग सिस्टम के साथ संचार (ऑर्डर/ट्रेड) स्थापित करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इसे 2008 में शुरू किया गया था और इक्विटी सेगमेंट के लिए सितंबर 2019 तक जारी रखा गया था। एक्सचेंज ने 2016 में टीएपी के विकल्प के तौर पर ‘डायरेक्ट कनेक्ट’ को पेश किया था।
एक्सचेंज ने शुरू में 2023 में नियामक के समक्ष निपटान आवेदन पेश किया और उसके बाद अगस्त 2024 में संशोधित आवेदन सौंपा। निपटान प्रक्रिया मानकों के तहत, मामले नियामक द्वारा बगैर स्वीकृति या खंडन के निपटाए जा सकते हैं। निपटान राशि एक उच्चस्तरीय सलाहकार समिति (एचपीएसी) द्वारा निर्धारित की जाती है तथा बाद में सेबी के पूर्णकालिक सदस्यों (डब्ल्यूटीएम) के एक पैनल द्वारा अनुमोदित की जाती है। निपटान आदेश में कहा गया है, ‘डब्ल्यूटीएम की समिति ने एनएसई द्वारा 643 करोड़ रुपये की राशि के भुगतान पर मामले को निपटाने के लिए एचपीएसी की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।’
आदेश में, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य
अश्विनी भाटिया ने भी पूर्व अधिकारियों को चालू वित्त वर्ष में कम से कम 14 दिन तक नि:शुल्क सामुदायिक सेवा करने का भी निर्देश दिया है। मुख्य कानूनी प्रक्रियाओं के समाधान से एनएसई को अपने बहुप्रतीक्षित आईपीओ पर आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। एक्सचेंज ने सेबी के पास आईपीओ दस्तावेजों की मंजूरी के संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के लिए भी आवेदन किया है।
पिछले महीने, सेबी ने आरोपों के समर्थन में साक्ष्य के अभाव का हवाला देते हुए को-लोकेशन मामले में एनएसई और इसके सात पूर्व अधिकारियों (जिनमें चित्रा रामकृष्ण, रवि नारायण और आनंद सुब्रमण्यन शामिल थे) के खिलाफ आरोप वापस ले लिए थे।
अपने आदेश में, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश वार्ष्णेय ने कहा था कि एनएसई की कोलो सुविधा में कुछ खामियां थीं, लेकिन स्टॉक ब्रोकर ओपीजी सिक्योरिटीज के साथ किसी भी तरह की ‘मिलीभगत’ या ‘साजिश’ करने का कोई सबूत नहीं था जिसने एक्सचेंज के सेकेंडरी सर्वर तक ‘अनुचित’ तरीके से पहुंच बना ली थी।