सेलफोन बाजार में पिछले दिनों महंगे हैंडसेटों ने दस्तक दी है। नोकिया, ऐपल, सैमसंग, सोनी एरिक्सन, एचटीसी, एलजी जैसी हैंडसेट बनाने वाली प्रमुख कंपनियों ने बाजार में बड़ी संख्या में प्रीमियम हैंडसेट पेश किए हैं। इन हैंडसेटों में से अधिकतर की कीमत 30,000 रुपये से अधिक ही है।
उदाहरण के तौर पर एयरटेल और रिलायंस ने हाल ही में ब्लैकबेरी फोन लॉन्च किया है जिसकी कीमत 34,990 रुपये है। यह फोन अक्टूबर के अंत तक एयरटेल के अधिकृत आउटलेटों पर मिलने लगेगा। इस होड़ में आसुस जैसी छोटी कंपनी भी शामिल हो गई है। आसुस ने नोकिया के ई 90 कम्युनिकेटर फोन के मुकाबले में अपना एम 930 फोन लॉन्च किया है। आसुज के फोन की कीमत जहां 27,900 रुपये है वहीं नोकिया का कम्युनिकेटर 40,000 रुपये की कीमत के साथ बाजार में आया है। ज्यादातर मॉडलों की कीमत अमेरिकी बाजार के मुकाबले भारत में लगभग दोगुनी है।
दूसरी ओर हाल में आए गार्टनर सर्वे के मुताबिक लोग नया फोन खरीदते वक्त कीमत का खास ख्याल रखते हैं। इस सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि ब्रांडिंग और डिजाइन भी लोगों के लिए मायने रखती है लेकिन अब भी वाई फाई और मोबाइल टीवी जैसे फीचर्स देसी ग्राहकों को नहीं लुभा पा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि भारत जैसे देश में जहां लोग कीमतों को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं, वहां पर महंगे सेलफोनों का आखिर क्या भविष्य है?
दूसरी ओर इस श्रेणी में भी मुकबला दिन ब दिन और कड़ा होता जा रहा है। इन फोनों में बुनियादी फर्क इनके ऑपरेटिंग सिस्टम का ही है जिस पर ये काम करते हैं। आईडीसी के मोबाइल फोन टै्रकर में सीनियर रिसर्च एनालिस्ट रेयान रेथ कहते हैं, ‘हमें उम्मीद है कि कंपीटिशन बढ़ने से बाजार में कारोबार भी बढ़ेगा जिसका फायदा कंपनियों
को होगा।’
एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने भी रिकॉर्ड संख्या में हैडसेट बाजार में पेश किए हैं। कंपनी दुनिया की चौथी सबसे बड़ी हैंडसेट निर्माता कंपनी बन गई है। उसकी नीति उभरते हुए बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने की है। एलजी की सफलता में किफायती कीमतों और इसके प्रीमियम मॉडलों को मिले बढ़िया रेस्पॉंन्स की अहम भूमिका रही है। वैसे कुल मोबाइल बाजार में स्मार्टफोन की हिस्सेदारी तकरीबन 2 फीसदी है लेकिन इसमें कंपनियों को बढ़िया मुनाफा मिलता है। एलजी के बिजनेस हेड (जीएसएम मोबाइल) अनिल अरोड़ा कहते हैं, ‘हम इस साल 40 लाख हैंडसेट बिकने की उम्मीद कर रहे हैं जिसमें से कम से कम आधे महंगे हैंडसेट बिकने की उम्मीद है। ’ सैमसंग ने भी बाजार में ऑम्निया हैंडसेट पेश किया है। 32 जीबी के इसके मॉडल की कीमत 39,999 रुपये है। सैमसंग मोबाइल के कंट्री हेड सुनील दत्त कहते हैं, ‘हमें नहीं लगता कि ज्यादा कीमत की वजह से इसकी बिक्री पर कोई फर्क पड़ेगा। भारत में ऑपरेटर के साथ कांटै्रक्ट की बजाय नकद खरीद का ही ज्यादा चलन है। ’ सैमसंग को ऑम्निया से बढ़िया नतीजे मिलने की उम्मीद है और कंपनी ने इसके लिए किसी ऑपरेटर से अनुबंध भी नहीं किया है। वहीं नोकिया के एन सीरीज,ई सीरीज और दूसरे फीचर्स फोनों ने दूसरी तिमाही में कंपनी के लिए काफी मुनाफा कमाया है। इस साल की पहली छमाही में 20 नए फोन लॉन्च हुए हैं और दूसरी छमाही में अधिकतर टचस्क्रीन फोन बाजार में आ सकते हैं।
आईडीसी वर्ल्डवाइड मोबाइल फोन टै्रक र के मुताबिक इस साल मोबाइल बाजार में और तेजी आएगी। आईडीसी की मोबाइल डिवाइस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेंड्स टीम के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट रेमन लैम्स कहते हैं, ‘साल की शुरूआत में कंपनियों को लगा कि इस साल बाजार में कमी आएगी।
कंपनियों ने मिड रेंज और हाई ऐंड फोनों में जीपीएस, टचस्क्रीन और मल्टीमीडिया जैसे प्रयोग किए जो उनके लिए फायदेमंद साबित हुए।’ दूसरी ओर त्यौहारों के दौरान हैंडसेटों की मांग और बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। लेकिन सवाल वही है जहां से शुरू हुआ था, इन फोनों की महंगी कीमत। गार्टनर के प्रिंसिपल एनालिस्ट अंशुल गुप्ता कहते हैं, ‘अमेरिका में इन फोनों की कीमतों से भारत में इनकी कीमतों में काफी अंतर है।’ वजह, वहां पर इन फोनों पर सब्सिडी के चलते ग्राहकों को कम कीमत में मिल जाते हैं। आई फोन 3 जी का उदाहरण लें अमेरिका में यह 199 डॉलर (9 से 10 हजार रुपये) में उपलब्ध है जबकि भारत में 8 जीबी के आई फोन 3 जी की कीमत 31,000 रुपये से शुरू
होती है।