निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स को ट्रैक करने वाले पैसिव फंडों की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) पिछले एक साल में दोगुनी से ज्यादा हो गई हैं। इंडेक्स की बढ़ती लोकप्रियता की वजह इस सूचकांक के प्रभावशाली 50 फीसदी रिटर्न को माना जा सकता है।
अभी निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स पर नज़र रखने वाले फंडों की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) लगभग 30,000 करोड़ रुपये है। अक्टूबर 2024 के अंत में 10 अग्रणी योजनाओं की कुल एयूएम 27,800 करोड़ रुपये थी जो एक साल पहले 13,400 करोड़ रुपये थी। ये योजनाएं बैंक निफ्टी की योजनाओं को पीछे छोड़ सकती हैं, जिनकी एयूएम 32,000 करोड़ रुपये है। बेंचमार्क निफ्टी-50 और सेंसेक्स ही अन्य सूचकांक हैं, जिनका एयूएम इससे ज्यादा है।
निफ्टी 50 इंडेक्स में 50 अग्रणी शेयर शामिल हैं जबकि निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स (जैसा कि नाम से जाहिर है) में अगली 50 कंपनियां शामिल हैं। ये दोनों सूचकांक मिलकर निफ्टी 100 इंडेक्स बनाते हैं जो भारतीय शेयर बाजार का व्यापक प्रतिनिधित्व करता है। निफ्टी नेक्स्ट 50 की बढ़ती लोकप्रियता ने लार्जकैप निवेश क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा में इजाफा कर दिया है, जिसमें ऐक्टिव लार्जकैप फंडों और निफ्टी-50 व सेंसेक्स को ट्रैक करने वाली पैसिव योजनाओं का वर्चस्व है।
वेल्थ मैनेजरों का कहना है कि निफ्टी नेक्स्ट 50 ब्लूचिप निफ्टी-50 और मिडकैप के बीच में है जिससे लार्जकैप क्षेत्र में यह अलग पेशकश हो जाता है। इस तरह निवेशकों के पोर्टफोलियो में यह एक रणनीतिक आवंटन हो सकता है।
डिज़र्व के सह-संस्थापक वैभव पोरवाल ने कहा कि निफ्टी 50 और मिड-कैप शेयरों के बीच होने से निफ्टी नेक्स्ट 50 निवेशकों को शीर्ष 50 कंपनियों में शामिल होने की संभावना वाली अग्रणी 50 कंपनियों के साथ-साथ निफ्टी 50 से बाहर निकलने के बाद मिड-कैप स्पेस की ओर जाने वाली कंपनियों में निवेश का मौका मिलता है। वे उन निवेशकों को आकर्षित कर सकते हैं, जो मिड-कैप क्षेत्र में पूरी तरह से कदम रखे बिना थोड़ा अधिक रिटर्न चाहते हैं। हमारी सिफारिश है कि इसे कोर होल्डिंग के बजाय एक विविध पोर्टफोलियो के पूरक के रूप में रखा जाए।
ज्यादातर परिसंपत्ति प्रबंधक पैसिव योजनाओं को ऐक्टिव लार्जकैप फंडों के रीप्लेसमेंट के तौर पर नहीं देखते। आनंद राठी वेल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज ने कहा कि कुछ मामलों में निफ्टी नेक्स्ट 50 ने हालांकि अन्य लार्जकैप फंडों के मुकाबले उम्दा प्रदर्शन किया है, लेकिन हमारा मानना है कि सक्रियता से प्रबंधित फंडों के साथ विशाखित पोर्टफोलियो अच्छा तरीका है। ऐक्टिव फंड मैनेजर बाजार की स्थितियों के मुताबिक फैसला लेने और पोर्टफोलियो को समायोजित करने के मामले में लचीला रुख अपना सकते हैं जो इंडेक्स फंड नहीं कर सकता। इंडेक्स फंडों के पास कमजोर प्रदर्शन वाले शेयरों में भी अगले पुनर्संतुलन यानी छह महीने तक निवेशित रहने का जोखिम होता है।
ऐक्टिव लार्जकैप फंड हाल के वर्षों में ऐक्टिव बनाम पैसिव की बहस के केंद्र में रहे हैं। रिपोर्टों से पता चलता है कि उनमें से अधिकांश ने एक अवधि के दौरान अपने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए संघर्ष किया है। फंड्सइंडिया में वरिष्ठ शोध विश्लेषक जिरल मेहता ने कहा कि लार्ज कैप स्पेस में बढ़ती बाजार दक्षता, कम शेयर और ऊंचे व्यय अनुपात अंतर को देखते हुए लार्ज कैप फंड मैनेजरों के लिए सार्थक प्रदर्शन करना कठिन होता जा रहा है।
इसलिए लार्ज कैप स्पेस में निवेश के लिए हम पैसिव लार्ज कैप विकल्प या लंबी अवधि के लिए ऐक्टिव रूप से प्रबंधित लार्ज कैप फंडों की तुलना में लार्ज कैप की ओर झुकाव रखने वाले फ्लेक्सीकैप फंड को तरजीह देते हैं। हालांकि अधिकांश लार्जकैप फंड पिछले एक-दो साल में अपने बेंचमार्क (निफ्टी 100 और बीएसई 100) को मात देने में कामयाब रहे हैं। इसकी वजह मिडकैप और स्मॉलकैप निवेश में उम्दा प्रदर्शन है। लेकिन उनके प्रदर्शन को निफ्टी नेक्स्ट 50 और लार्जकैप की अन्य पेशकशों ने कमतर कर दिया है।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़े बताते हैं कि ऐक्टिव लार्जकैप फंडों ने एक साल में औसतन 28 फीसदी रिटर्न दिया है। सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले फंडों में 35 फीसदी रिटर्न मिला है। निफ्टी 100 टीआरआई इस दौरान करीब 24 फीसदी बढ़ा है। निफ्टी नेक्स्ट-50, निफ्टी अल्फा 50 जैसे सूचकांकों को ट्रैक करने वाले पैसिव फंडों ने 40 फीसदी से ज्यादा रिटर्न सृजित किया है।