डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की तारीख भारत के दो सबसे बड़े शेयर बाजारों – नैशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) और बीएसई के बीच टकराव का मुद्दा बन गई है। एनएसई ने हाल में निफ्टी डेरिवेटिव अनुबंधों की एक्सपायरी को गुरुवार से सोमवार करने की घोषणा की जो 4 अप्रैल से लागू होगी। इस बदलाव से बाजार के गणित में बड़ा बदलाव आने की संभावना है।
विश्लेषकों ने बीएसई की आय वृद्धि के अनुमानों को पहले ही कम करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि एनएसई के इस कदम से उसे अपनी बाजार हिस्सेदारी फिर से हासिल करने में मदद मिल सकती है।
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बीएसई के इंडेक्स ऑप्शन प्रीमियम की बाजार भागीदारी दिसंबर 2024 के 16.4 फीसदी से बढ़कर फरवरी 2025 में 22.1 फीसदी पर पहुंच गई। बीएसई के एक्सपायरी दिन को शुक्रवार से बदलकर मंगलवार करने की वजह से इस भागीदारी में इजाफा हुआ है। 4 मार्च को एनएसई ने अपना इंडेक्स ऑप्शन एक्सपायरी का दिन गुरुवार से बदलकर सोमवार (बीएसई की एक्सपायरी से एक दिन पहले) करने की घोषणा की, जो 4 अप्रैल से प्रभावी होगा।
इस कदम से एनएसई को 83.6 प्रतिशत (24 दिसंबर) की अपनी पिछली बाजार हिस्सेदारी को फिर से हासिल करने में मदद मिलेगी। जनवरी 2025 में ही एक्सपायरी से एक दिन पहले सेंसेक्स/बैंकेक्स के लिए 22.9 प्रतिशत/18.5 प्रतिशत प्रीमियम टर्नओवर दर्ज किया गया था। यह मुख्य रूप से मंगलवार को बीएसई इंडेक्स ऑप्शन की एक्सपायरी (एनएसई की गुरुवार को एक्सपायरी की तुलना में) के कारण है, क्योंकि इसमें तीन दिन का अंतर है। रिटेल कारोबारी आमतौर पर एक्सपायरी के करीब ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं जब ऑप्शन वैल्यू घट जाती है।’
ब्रोकरेज ने बीएसई के वित्त वर्ष 2026 और वित्त वर्ष 2027 के आय अनुमानों में क्रमशः 13.4 प्रतिशत और 11.6 प्रतिशत की कटौती की है और कीमत लक्ष्य भी लगभग 30 प्रतिशत घटाकर 5,160 रुपये कर दिया है, जिससे शेयर की अर्निंग रेटिंग घटकर 40 गुना (पहले 50 गुना) रह गई है। बीएसई का शेयर 4,178 रुपये पर बंद हुआ। पिछले 10 कारोबारी सत्रों में यह शेयर करीब 30 फीसदी गिर चुका है।
बीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी सुंदररामन राममूर्ति का मानना है कि बाजार में इस तरह के घटनाक्रमों पर अल्पकालिक प्रतिक्रिया होती है, लेकिन उन्होंने इस बात का कोई पक्का जवाब नहीं दिया कि बीएसई अपने एक्सपायरी दिन में बदलाव करेगा या नहीं। उन्होंने कहा, ‘हम बाजार की प्रतिक्रिया को समझने का प्रयास कर रहे हैं और उसके आधार पर कोई निर्णय ले सकेंगे।’
मई 2023 में राममूर्ति के बीएसई से जुड़ने से पहले सभी डेरिवेटिव कारोबार एनएसई में ही होते थे। उनके आने के बाद बीएसई ने अपने सेंसेक्स और बैंकेक्स इंडेक्स डेरिवेटिव को फिर से शुरू किया और अलग-अलग एक्सपायरी तारीखों का विकल्प चुना। यह कदम बीएसई के पक्ष में मददगार साबित हुआ क्योंकि अनुबंधों की एक्सपायरी से पहले ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ जाता है। कारोबारी सुपर नॉर्मल लाभ कमाने के उद्देश्य से कम मूल्य वाले अनुबंधों में हाथ आजमाते हैं।
निफ्टी 50, सेंसेक्स, बैंकेक्स, निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज और बैंक निफ्टी जैसे कई इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए तीन साप्ताहिक डेरिवेटिव अनुबंधों के एक्सपायरी दिन सप्ताह में अलग-अलग थे।
चूंकि इससे अत्यधिक सटोरिया गतिविधियों को बढ़ावा मिला, लिहाजा बाजार नियामक सेबी ने नया नियम लागू किया जिसमें कहा गया कि एक एक्सचेंज को प्रति सप्ताह सिर्फ एक साप्ताहिक एक्सपारी शुरू करने की अनुमति होगी। इस वजह से बीएसई को बैंकेक्स वीकली डेरिवेटिव अनुबंध समाप्त करने के लिए बाध्य होना पड़ा और उसने सेंसेक्स की एक्सपायरी को मंगलवार कर दिया। इसी तरह, एनएसई को बैंक निफ्टी और निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज पर आधारित साप्ताहिक डेरिवेटिव अनुबंधों को बंद करना पड़ा।
इससे अन्य एक्सचेंजों के लिए भी इस क्षेत्र में प्रवेश का रास्ता खुल गया। नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) ने इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में प्रवेश की घोषणा की है तो मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज (एमएसई) अपना कारोबार बहाल करने के लिए निवेशकों से पूंजी जुटा रहा है।