म्युचुअल फंडों (एमएफ) ने लगातार मार्जिन दबाव और नियामकीय चुनौतियों के बीच जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में अपना निवेश घटाया। चौथी तिमाही में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले बैंकों के खराब प्रदर्शन से भी फंडों के पोर्टफोलियो में उनके भारांक में गिरावट आई। निफ्टी बैंक सूचकांक जनवरी-मार्च 2024 की अवधि में 2.4 प्रतिशत गिरा जबकि निफ्टी-50 सूचकांक में 2.7 प्रतिशत तक की तेजी आई।
नुवामा अल्टरनेटिव ऐंड क्वांटीटेटिव रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों में सक्रिय फंड योजनाओं (शीर्ष-10 फंड हाउसों से संबंधित) का औसत निवेश मार्च के अंत में 15.9 प्रतिशत रहा जो कैलेंडर वर्ष 2024 के शुरू में दर्ज किए गए 19.4 प्रतिशत की तुलना में काफी कम है। इस अवधि में एनबीएफसी के लिए निवेश 9.9 प्रतिशत से घटकर 9 प्रतिशत रह गया। फंड प्रबंधकों का कहना है कि बैंकों और एनबीएफसी शेयरों में निवेश घटाने का निर्णय इस सेक्टर की समस्याओं और बाजार के अन्य सेगमेंटों में बेहतर अवसरों की उपलब्धता की वजह से लिया गया।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ (एबीएसएल) एएमसी में मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) महेश पाटिल ने कहा, ‘जमा वृद्धि में लगातार दबाव की वजह से हमने बैंकों में अपना निवेश थोड़ा घटाया है। एनबीएफसी में निवेश घटाने का निर्णय काफी हद तक जोखिम भारांक में वृद्धि और असुरक्षित ऋणों से जुड़ी नियामकीय चिंताओं की वजह से लिया गया था।’ एबीएसएल एमएफ की मार्केट-कैप योजनाओं का बैंकों में निवेश मार्च 2024 के अंत में 19.3 प्रतिशत था जो वर्ष के शुरू के 24.7 प्रतिशत की तुलना में कम है।
यह रिपोर्ट मार्केट-कैप योजनाओं के पोर्टफोलियो पर आधारित है जिसमें लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप, मल्टीकैप और लार्ज ऐंड मिडकैप फंड शामिल हैं। हालांकि कुछ विश्लेषक मान रहे हैं कि बैंकिंग शेयर भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करेंगे क्योंकि उनका मार्जिन दबाव कम होने का अनुमान है।
टाटा म्युचुअल फंड के फंड प्रबंधक अमेय साठे ने कहा, ‘बैंकों का चौथी तिमाही के नतीजों में शुद्ध ब्याज मार्जिन पर थोड़ा दबाव दिखने का अनुमान है। जहां कुछ बैंकों के लिए यह दबाव वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही तक भी जा सकता है, वहीं उनमें से अधिकांश के लिए हालात में सुधार भी देखा जा सकता है। एनबीएफसी के लिए भी मार्जिन दबाव पहली तिमाही तक दूर हो सकता है और वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में कुछ सुधार देखा जा सकता है।’ उनका कहना है कि कई बैंक मूल्यांकन और वृद्धि के नजरिये से आकर्षक हैं।
अपने चौथी तिमाही के पूर्वानुमान में ब्रोकरों ने बैंकिंग क्षेत्र पर मिलाजुला नजरिया साझा किया है। हालांकि उन्हें मजबूत ऋण वृद्धि का अनुमान है लेकिन मार्जिन दबाव बने रहने की आशंका है। प्रभुदास लीलाधर को जमा लागत में वृद्धि की वजह से मार्जिन घटने का अनुमान है। ब्रोकरेज फर्म ने कहा है, ‘जमा लागत में वृद्धि की रफ्तार ऋण प्राप्तियों से अधिक रहने का अनुमान है जो थोड़ी बहुत बढ़ सकती है।’ इलारा कैपिटल, आईआईएफएल सिक्योरिटीज और मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज भी कुछ बैंकों के एनआईएम पर दबाव की आशंका जता रही हैं।
म्युचुअल फंडों ने जहां पोर्टफोलियो में बैंकिंग और एनबीएफसी का वजन घटाया है वहीं वाहन, पूंजीगत सामान, फार्मास्युटिकल और विद्युत क्षेत्रों में अपना निवेश बढ़ाया है। दोपहिया और यात्री वाहन सेगमेंटों में मजबूत बिक्री वृद्धि के बीच ऑटोमोबाइल क्षेत्र का भारांक 7.5 प्रतिशत से बढ़कर 9 प्रतिशत हो गया।
पाटिल ने कहा, ‘हमने वाहन क्षेत्र पर जोर दिया है क्योंकि हमें खासकर त्योहारी सीजन के बाद अच्छी मांग दिख रही है। कई कंपनियों ने मार्जिन के मोर्चे पर चकित कर दिया है। हालांकि यह दोपहिया और यात्री वाहन सेगमेंट तक ही सीमित है क्योंकि वाणिज्यिक वाहन खंड में सुधार दिखना अभी बाकी है।’