Top 5 Equity Funds 2024: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद म्युअुचल फंड, खासकर इक्विटी स्कीम्स में निवेशकों का भरोसा बरकरार है। बीते महीने इक्विटी फंड्स में 35,943 करोड़ रुपये का निवेश आया। इस साल नवंबर में लगातार 45वें महीने इक्विटी फंड्स में इनफ्लो रहा, हालांकि अक्टूबर के मुकाबले इसमें लगभग 14 प्रतिशत की गिरावट आई है। इक्विटी कैटेगरी में सबसे ज्यादा इनफ्लो सेक्टोरल फंड्स में 7,657.75 करोड़ रुपये का देखने को मिला। बीते एक साल में टॉप-5 इक्विटी स्कीम्स ने निवेशकों को 49-55 फीसदी का जबरदस्त रिटर्न दिया है। यह म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में तेजी का संकेत देता है। इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बीते एक साल में 17 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है।
मोतीलाल ओसवाल मिडकैप फंड का बीते एक साल में रिटर्न 55.42 फीसदी रहा है। इस स्कीम में अगर किसी ने एक साल पहले 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया, तो आज इसकी वैल्यू बढ़कर लगभग 1.55 लाख रुपये है। इस स्कीम में मिनिमम निवेश 500 रुपये है और उसके बाद 500 रुपये के मल्टीपल में निवेश कर सकते हैं। इस फंड का बेंचमार्क NIFTY Midcap 150 TRI है।
यह स्कीम 24 फरवरी 2014 को लॉन्च हुई थी। लॉन्चिंग के बाद से अब तक इस फंड ने औसतन 26.31 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है। स्कीम में एक साल के पहले रिडम्प्शन पर 1 फीसदी एग्जिट लोड देना होगा। स्कीम का एक्सपेंस रेश्यो 0.54 फीसदी है। इस स्कीम का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 22,898 करोड़ रुपये है।
एलआईसी एमएफ इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का बीते एक साल में रिटर्न 53.17 फीसदी रहा है। इस स्कीम में अगर किसी ने एक साल पहले 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया, तो आज इसकी वैल्यू बढ़कर लगभग 1.53 लाख रुपये है। इस स्कीम में मिनिमम निवेश 5,000 रुपये है और उसके बाद 500 रुपये के मल्टीपल में निवेश कर सकते हैं। इस फंड का बेंचमार्क NIFTY Infrastructure TRI है।
यह स्कीम 2 जनवरी 2013 को लॉन्च हुई थी। लॉन्चिंग के बाद से अब तक इस फंड ने औसतन 17.40 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है। यदि आप अपने निवेश के 12 फीसदी से अधिक हिस्से को 90 दिनों के भीतर रिडीम करते हैं, तो अतिरिक्त राशि पर 1 फीसदी का एग्जिट लोड देना होगा। स्कीम का एक्सपेंस रेश्यो 1.06% है। इस स्कीम का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 852 करोड़ रुपये है।
मोतीलाल ओसवाल ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड का बीते एक साल में रिटर्न 51.41 फीसदी रहा है। इस स्कीम में अगर किसी ने एक साल पहले 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया, तो आज इसकी वैल्यू बढ़कर लगभग 1.51 लाख रुपये है। इस स्कीम में मिनिमम निवेश 500 रुपये है और उसके बाद 500 रुपये के मल्टीपल में निवेश कर सकते हैं। इस फंड का बेंचमार्क NIFTY 500 TRI है।
यह स्कीम 21 जनवरी 2015 को लॉन्च हुई थी। लॉन्चिंग के बाद से अब तक इस फंड ने औसतन 20.42 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है। इस स्कीम में कोई एग्जिट लोड नहीं है। स्कीम का एक्सपेंस रेश्यो 0.65 फीसदी है। इस स्कीम का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 4,187 करोड़ रुपये है।
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एचडीएफसी फार्मा एंड हेल्थकेयर फंड का बीते एक साल में रिटर्न 50.33 फीसदी रहा है। इस स्कीम में अगर किसी ने एक साल पहले 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया, तो आज इसकी वैल्यू बढ़कर लगभग 1.50 लाख रुपये है। इस स्कीम में मिनिमम निवेश 100 रुपये है और उसके बाद 100 रुपये के मल्टीपल में निवेश कर सकते हैं। इस फंड का बेंचमार्क BSE Healthcare है।
यह स्कीम 04 अक्टूबर 2023 को लॉन्च हुई थी। लॉन्चिंग के बाद से अब तक इस फंड ने औसतन 52.67 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है। स्कीम में एक महीने (30 दिन) के पहले रिडम्प्शन पर 1 फीसदी एग्जिट लोड देना होगा। स्कीम का एक्सपेंस रेश्यो 0.92 फीसदी है। इस स्कीम का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 1,460 करोड़ रुपये है।
मोतीलाल ओसवाल लार्ज एंड मिडकैप फंड का बीते एक साल में रिटर्न 49.85 फीसदी रहा है। इस स्कीम में अगर किसी ने एक साल पहले 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया, तो आज इसकी वैल्यू बढ़कर लगभग 1.49 लाख रुपये है। इस स्कीम में मिनिमम निवेश 500 रुपये है और उसके बाद 500 रुपये के मल्टीपल में निवेश कर सकते हैं। इस फंड का बेंचमार्क NIFTY Large Midcap 250 TRI है।
यह स्कीम 17 अक्टूबर 2019 को लॉन्च हुई थी। लॉन्चिंग के बाद से अब तक इस फंड ने औसतन 29.19 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है। स्कीम में एक साल के पहले रिडम्प्शन पर 1 फीसदी एग्जिट लोड देना होगा। स्कीम का एक्सपेंस रेश्यो 0.48 फीसदी है। इस स्कीम का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 7,710 करोड़ रुपये है।
(सोर्स: वैल्यू रिसर्च, NAV- 24 दिसंबर 2024)
इक्विटी फंड्स एक म्यूचुअल फंड स्कीम है, जो मुख्य रूप से कंपनियों के शेयरों/स्टॉक्स में निवेश करता है। इन्हें ग्रोथ फंड के नाम से भी जाना जाता है। इक्विटी फंड एक्टिव (Active) या पैसिव (Passive) हो सकते हैं। एक्टिव फंड्स में फंड मैनेजर बाजार का विश्लेषण करते हैं, कंपनियों पर रिसर्च करते हैं, परफॉर्मेंस को ट्रैक करते हैं और निवेश के लिए सबसे अच्छे स्टॉक्स की तलाश करते हैं। वहीं, पैसिव फंड में फंड मैनेजर ऐसा पोर्टफोलियो बनाते हैं जो किसी लोकप्रिय मार्केट इंडेक्स, जैसे सेंसेक्स (Sensex) या निफ्टी50 (Nifty50) की नकल करता है।
इसके अलावा, इक्विटी फंड्स को मार्केट कैपिटलाइजेशन (MCap) के आधार पर भी बांटा जा सकता है। यह फंड लॉर्ज कैप (Large Cap), मिड कैप (Mid Cap), स्मॉल कैप (Small Cap) या माइक्रो कैप (Micro Cap) हो सकते हैं।
इतना ही नहीं, इन फंड्स को डायवर्सिफाइड (Diversified) या सेक्टोरल/थीम आधारित (Sectoral/Thematic) के रूप में भी अलग कर सकते है। डायवर्सिफाइड फंड्स में स्कीम पूरे बाजार के विभिन्न सेक्टरों में निवेश करती है, जबकि सेक्टोरल/थीम आधारित फंड केवल किसी विशेष सेक्टर या थीम, जैसे आईटी या इंफ्रास्ट्रक्चर, में निवेश करते हैं।
कुल जमा बात यह है कि इक्विटी फंड्स मुख्य रूप से कंपनियों के शेयरों में निवेश करते है और सामान्य निवेशकों को पेशेवर प्रबंधन (professional management) और डायवर्सिफिकेशन का लाभ प्रदान करते है।
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मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में रिसर्च और वेल्थ मैनेजमेंट की वाइस प्रेसिडेंट स्नेहा पोद्दार कहती हैं कि इक्विटी फंड्स सभी प्रकार के निवेशकों के लिए एक बेहतर निवेश विकल्प हैं, खासकर पहली बार निवेश करने वालों या युवा निवेशकों के लिए, जिन्हें शेयर बाजार की ज्यादा समझ नहीं होती। ऐसे निवेशकों के लिए इक्विटी फंड्स बाजार की गतिविधियों को लगातार ट्रैक किए बिना एक सरल और प्रभावी निवेश विकल्प प्रदान करते हैं।
म्युचुअल फंड्स, जिनमें इक्विटी फंड्स शामिल हैं, इक्विटी बाजार में रिटर्न जनरेट करने के लिए एक बेहतर रिस्क-रिवॉर्ड बैलेंस (risk-reward balance) प्रदान करते हैं। यहां तक कि पुराने निवेशक या वे लोग जो बाजार को रोजाना ट्रैक नहीं कर सकते, उनके लिए भी इक्विटी फंड्स एक भरोसेमंद निवेश विकल्प साबित होते हैं।
आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अर्जुन गुहा ठाकुरता के मुताबिक, इक्विटी फंड सभी प्रकार के निवेशकों के लिए उपयुक्त निवेश विकल्प हैं। कोई भी निवेशक जो एक साल से अधिक समय के लिए निवेश की योजना बना रहा है, वह अपने पोर्टफोलियो का एक हिस्सा इक्विटी फंड में रख सकता है। अगर निवेशक 12-24 महीने की अवधि के लिए निवेश की योजना बना रहा है, तो पोर्टफोलियो के एक छोटे हिस्से के लिए वह इक्विटी सेविंग्स फंड या हाइब्रिड इक्विटी फंड कैटेगरी पर विचार कर सकता है।
कुल मिलाकर, इक्विटी फंड्स उन निवेशकों के लिए निवेश का एक बेहतर विकल्प हैं, जिनके पास अपने निवेश और पोर्टफोलियो को खुद से मैनेज और ट्रैक करने का समय या समझ नहीं है। ये सीधे इक्विटी बाजार में निवेश करने के मुकाबले अधिक सुविधाजनक और कम जोखिम वाला विकल्प प्रदान करते हैं।
पोद्दार का मानना है कि लंबी अवधि के निवेश के लिए इक्विटी फंड ज्यादा समझदारी भरा विकल्प है। निवेशकों को इन फंड्स में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश करने पर विचार करना चाहिए। लॉन्ग टर्म, जो आमतौर पर 4 से 5 साल की होती है, के दृष्टिकोण से निवेशकों के लिए अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना जरूरी है। एक बैलेंस पोर्टफोलियो में 5 से 6 फंड शामिल हो सकते हैं, जैसे कि लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड। इसके साथ ही 1 या 2 थीमैटिक फंड को भी शामिल किया जा सकता है।
ठाकुरता कहते हैं, जो निवेशक तीन साल से ज्यादा समय के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफाइड इक्विटी कैटेगरी में अधिक हिस्सेदारी देनी चाहिए। बढ़ती महंगाई के माहौल में निवेशकों के लिए महंगाई को मात देने वाले रिटर्न हासिल करना आवश्यक है, ताकि वास्तविक रिटर्न (real returns) बनाया जा सके। ऐसे में इक्विटी का आवंटन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐतिहासिक रूप से, इक्विटी ने 11 से 12% के स्थिर रिटर्न देने और सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली ग्रोथ एसेट के रूप में एक मजबूत रिकॉर्ड स्थापित किया है।
पोद्दार के मुताबिक, SIP लंबे समय के लिए इक्विटी फंड्स में निवेश करने का एक प्रभावी तरीका है। हालांकि, यदि कोई निवेशक एकमुश्त निवेश (lump-sum investment) करता है, तो उन्हें बाजार में गिरावट के दौरान अपने निवेश को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए, ताकि कम वैल्यूएशन का लाभ उठाया जा सके और रिटर्न को मैक्सिमम किया जा सके। उनका कहना है कि 1 वर्ष से कम की अवधि वाले निवेश के लिए, इक्विटी फंड हमेशा बेहतर रिटर्न प्रदान नहीं कर सकते। ऐसे मामलों में हाइब्रिड फंड, डेट-ओरिएंटेड फंड या लिक्विड फंड ज्यादा बेहतर विकल्प होते हैं। ये फंड शॉर्ट टर्म में बेहतर और स्थिर रिटर्न जनरेट करने में मदद कर सकते हैं, साथ ही जोखिम को भी कम करते हैं।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के डेटा के मुताबिक, नवंबर महीने में इक्विटी फंड्स में 35,943 करोड़ रुपये का निवेश आया। इक्विटी कैटेगरी में सबसे ज्यादा इनफ्लो सेक्टोरल फंड्स में 7,657.75 करोड़ रुपये का देखने को मिला। इसके अलावा फ्लेक्सी कैप फंड्स में 5,084.11 करोड़ रुपये, मिडकैप फंड्स में 4,883.40 करोड़ रुपये, लार्ज एंड मिडकैप फंड्स में 4,679.74 करोड़ रुपये, स्मॉलकैप फंड्स में 4,111.89 करोड़ रुपये, लार्जकैप फंड्स में 2,547.92 करोड़ रुपये, मल्टीकैप फंड्स में 3,626.46 करोड़ रुपये और ELSS कैटेगरी में 618.52 करोड़ रुपये का निवेश दर्ज किया गया।
(डिस्क्लेमर: यहां फंड्स के परफॉर्मेंस की डीटेल दी गई है। म्युचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। यहां निवेश की सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)