बाजार में भारी उतार-चढ़ाव और कीमतों की चिंता के बावजूद निवेश में लगातार मजबूती से ज्यादातर स्मॉलकैप फंडों में हाल के महीनों में तरलता दबाव का स्तर बढ़ गया है। तरलता दबाव या संकट का स्तर बताता है कि भारी बिकवाली होने पर म्युचुअल फंडों को देनदारी चुकाने के लिए रकम जुटाने में कितने दिन लग जाएंगे।
फंडों ने स्ट्रेस टेस्ट के आंकड़े उपलब्ध कराए हैं। इनसे पता चलता है कि इस समय 10 सबसे बड़े स्मॉलकैप फंडों को अपना 50 फीसदी पोर्टफोलियो बेचने में औसतन 37 दिन लगेंगे। फरवरी 2024 में यह अवधि औसतन 29 दिन थी।
पिछले 10 महीनों में क्वांट स्मॉलकैप फंड में तरलता दबाव सबसे ज्यादा बढ़ा है। पहले यह 22 दिन में अपना 50 फीसदी पोर्टफोलियो बेचने में सक्षम था मगर अब यह समय बढ़कर 73 दिन हो गया है। एचडीएफसी एमएफ और डीएसपी एमएफ की स्मॉलकैप योजनाओं में भी तरलता दबाव काफी ज्यादा बढ़ गया है। विशेषज्ञों के अनुसार दबाव का स्तर अपने आप में कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है मगर निवेशकों को स्मॉलकैप फंडों में निवेश करते समय सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि मूल्यांकन जैसे अन्य मानदंड भी अनुकूल नहीं हैं।
रुपी विद ऋषभ इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक ऋषभ देसाई ने कहा, ‘इसमें चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि स्मॉलकैप फंडों को बेचने में अधिक दिन लगना स्वाभाविक है। बाजार की स्थितियां बदलने पर दिनों की संख्या भी बदलती रहती है और जब बाजार अस्थिर होता है या गिरावट का सिलसिला चलता है तो दिनों की संख्या अधिक होने की संभावना रहती है।’
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक और सीईओ विशाल धवन ने कहा, ‘यह संभवतः सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) और एकमुश्त दोनों के जरिये बड़े पैमाने पर निवेश होने से स्मॉलकैप योजनाओं का आकार बढ़ने का नतीजा है। हालांकि दबाव का स्तर अभी ठीक है लेकिन इस पर नजर रखने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘निवेशकों को इस पहलू पर विचार करना चाहिए लेकिन फंड का चयन करते समय जोखिम-रिटर्न अनुपात और सूचना अनुपात (बेंचमार्क की तुलना में प्रदर्शन अनुपात) जैसे अन्य मानदंडों को भी देखना चाहिए।’
2024 की शुरुआत में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंडों के लिए हर महीने अपने मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों का स्ट्रेस टेस्ट रिपोर्ट जारी करना अनिवार्य किया था। इस कदम का उद्देश्य मिडकैप और स्मॉलकैप क्षेत्र में बढ़ते निवेश और ऊंचे मूल्यांकन के बीच इन फंडों से जुड़े जोखिम के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
सेबी के निर्देश के बाद उसी समय बड़े स्मॉलकैप फंडों का प्रबंधन करने वाले कई म्युचुअल फंडों ने तरलता सुनिश्चित करने के लिए ऐसे फंडों में निवेश की अधिकतम सीमा तय करने की घोषणा की थी।
हालांकि मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों में निवेश लगातार बढ़ रहा है। ऐक्टिव इक्विटी सेगमेंट में खुलने वाले शुद्ध निवेश खातों में करीब 30 से 40 फीसदी हिस्सेदारी इन्हीं दो श्रेणियों की है। ज्यादा निवेश और मार्क-टु-मार्केट लाभ के परिणामस्वरूप 2024 में स्मॉलकैप फंडों की प्रबंधन के अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 41 फीसदी बढ़कर 3.3 लाख करोड़ रुपये हो गईं। इसी दौरान मिडकैप फंडों की एयूएम सालाना आधार पर 42 फीसदी बढ़कर दिसंबर 2024 में 4 लाख करोड़ रुपये पहुंच गईं।