प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अगर शेयर बाजार में फंड मैनेजरों की तेज खरीद के आंकड़े कुछ संकेत देते हैं तो लगातार तीन महीने तक गिरावट के बाद अप्रैल में इक्विटी फंडों में निवेश सुधरा लगता है। अप्रैल में फंडों की कुल इक्विटी खरीद 16,050 करोड़ रुपये पर पहुंच गई जो मार्च के 12,141 करोड़ रुपये से खासी ज्यादा है। लेकिन यह वित्त वर्ष 2025 में 39,000 करोड़ रुपये की औसत मासिक खरीद से नीचे बनी हुई है।
यह बढ़ोतरी संयोग से अप्रैल में निफ्टी-50 इंडेक्स में 3.5 फीसदी के इजाफे के समय हुई है जबकि मार्च में इसमें 6.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। यह बढ़त करीब दो साल बाद विदेशी फंडों के फिर से खरीदारी करने के कारण देखने को मिली। माह दर माह बढ़त के बाद बेंचमार्क सूचकांकों निफ्टी-50 और सेंसेक्स अब सितंबर 2024 की अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई से करीब 7 फीसदी पीछे है। हालांकि मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक अभी भी 10 फीसदी से ज्यादा पीछे हैं।
सितंबर के अंत में शुरू हुई गिरावट के शुरुआती महीनों के दौरान फंडों की इक्विटी योजनाओं में निवेश मजबूत बना रहा। लेकिन जनवरी से उनके हालिया औसत के मुकाबले निवेश नरम रहा है। शुद्ध संग्रह में कमी मुख्य रूप से नई योजनाओं की पेशकश में गिरावट और एकमुश्त निवेश में नरमी के कारण आई है। सक्रिय इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश लगातार तीसरे महीने घटकर मार्च में 25,082 करोड़ रुपये रह गया जो दिसंबर में 41,156 करोड़ रुपये था।
हालांकि, एसआईपी निवेश काफी हद तक अप्रभावित रहा है। निवेशकों ने हाल के महीनों में एसआईपी के माध्यम से करीब 26,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है जबकि दिसंबर 2024 में यह अब तक के सबसे ऊंचे स्तर 26,459 करोड़ रुपये रहा था।
म्युचुअल फंडों की तरफ से शुद्ध इक्विटी खरीद की मात्रा कई कारकों पर निर्भर करती है – इक्विटी (पैसिव समेत) और हाइब्रिड योजनाओं में हासिल निवेश और निकासी, हाइब्रिड योजनाओं के इक्विटी आवंटन में परिवर्तन और पास में मौजूद नकदी में बदलाव। इस हफ्ते यूबीएस ने भारतीय शेयरों को अपग्रेड कर तटस्थ कर दिया
यूबीएस के इक्विटी रणनीति प्रमुख (उभरते बाजार और एशिया) सुनील तिरुमलाई ने कहा, भारत कई मायनों में अच्छा है – देश पर ज्यादा ध्यान, आय को लेकर मजबूती, तेल की कम कीमतों से फायदा और बैंकों की जमा दर में कटौती और उपभोग के लिए संभावित सरकारी समर्थन जैसे सकारात्मक कारण हैं।
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि आय में भारी कटौती, वृद्धि और निवेश पर सरकार के ध्यान को लेकर अनिश्चितता और ऐतिहासिक औसत की तुलना में ऊंचे मूल्यांकन के कारण फंडामेंटल कमजोर बने हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इक्विटी बाजार में सुधार जारी रहता है और इक्विटी फंडों के अल्पावधि प्रदर्शन में सुधार होता है तो आगे चलकर निवेश में तेजी आ सकती है।
बाजार विशेषज्ञ सुनील सुब्रमण्यम ने कहा, पिछले वित्त वर्ष के पहले छह महीनों का आधार प्रभाव समाप्त होने के साथ ही यह तेजी बाद के हिस्सों में बहुत सकारात्मक रिटर्न देगी और एक साल का एसआईपी जुलाई-अगस्त से सकारात्मक हो जाएगा। बाजार में सुधार के बावजूद अधिकांश इक्विटी फंडों ने एक साल की अवधि में नकारात्मक रिटर्न दिया है। निवेशकों के पसंदीदा स्मॉलकैप और मिडकैप फंडों का प्रदर्शन सभी प्रमुख इक्विटी फंड श्रेणियों में सबसे खराब रहा है और उनकी सभी योजनाओं का एक साल का रिटर्न लाल निशान में रहा है।