म्युचुअल फंडों की इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश जुलाई में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया क्योंकि बाजार में आई गिरावट और कुछ एनएफओ उतारे जाने से एकमुश्त निवेश में मजबूती आई। जुलाई में ऐक्टिव योजनाओं को 42,702 करोड़ रुपये मिले और इस तरह से उनने दिसंबर 2024 के पिछले उच्चस्तर 41,156 करोड़ रुपये के निवेश को पीछे छोड़ दिया।
एसआईपी के जरिये निवेश का नई ऊंचाई पर पहुंचना जारी रहा और यह मासिक आधार पर 4 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 28,464 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वेंकट एन चलसानी ने कहा, म्युचुअल फंडों की इक्विटी योजनाओं ने 42,702 करोड़ रुपये का अब तक का सर्वाधिक मासिक निवेश हासिल किया। एसआईपी योगदान 28,464 करोड़ रुपये के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया और इन खातों की संख्या 5.4 फीसदी बढ़कर 9.11 करोड़ हो गई, जो अस्थिरता के बीच भी अनुशासित निवेश का स्पष्ट प्रमाण है।
दिसंबर के उच्चस्तर के बाद बढ़ती बाजार अनिश्चितता के कारण इक्विटी फंडों में लगातार पांच महीनों तक गिरावट देखी गई। जून में पहली बार शुद्ध निवेश में इजाफा हुआ, जो पिछले महीने सिर्फ 23,587 करोड़ रुपये रहा।
विभिन्न योजनाओं के सेगमेंट में मजबूत निवेश से उद्योग की कुल परिसंपत्तियां पहली बार 75 लाख करोड़ रुपये के पार चली गईं। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) मासिक आधार पर 1.3 फीसदी बढ़कर 75.4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के प्रबंध निदेशक और सीईओ ए बालासुब्रमण्यन ने कहा, एयूएम 75 लाख करोड़ रुपये के पार जाने के साथ ही हम उद्योग के रूप में 100 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करने के लिए सही रास्ते पर हैं। बढ़ती अनिश्चितता के दौर में यह हमारे बाजारों और निवेशकों दोनों के लचीलेपन और परिपक्वता का प्रमाण है।
निवेशकों ने डेट फंडों में 1 लाख करोड़ रुपये और हाइब्रिड योजनाओं में करीब 21,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। पैसिव फंडों ने 8,259 करोड़ रुपये जुटाए। एनएफओ संग्रह (जो जुलाई में मासिक आधार पर 15 गुना बढ़कर 30,416 करोड़ रुपये हो गया) ने विभिन्न श्रेणियों में निवेश को बढ़ावा दिया। अकेले डेट योजनाओं ने एनएफओ के माध्यम से 19,000 करोड़ रुपये जुटाए।
इक्विटी योजनाओं ने एनएफओ से 9,000 करोड़ रुपये जुटाए, जिनमें से अधिकांश रकम सात सेक्टर और थीमैटिक फंडों में आई। मौजूदा योजनाओं में निवेश भी महीने के दौरान बढ़ा। विशेषज्ञों ने निवेश में वृद्धि का श्रेय (खासकर सेक्टर और स्मॉलकैप श्रेणियों में) अधिक रिटर्न चाहने वाले निवेशकों को दिया।
इक्विरस वेल्थ के एमडी और राष्ट्रीय प्रमुख अंकुर पुंज ने कहा, इक्विटी निवेश में तेजी के साथ, खासकर छोटे, मझोले और सेक्टर /थीमैटिक फंडों में, निवेशक स्पष्ट रूप से अस्थिरता के जोखिमों के बावजूद ज्यादा रिटर्न और वृद्धि से जुड़े सेगमेंट की तलाश कर रहे हैं। इक्विटी निवेश में उछाल आर्थिक कारकों जैसे व्यापार तनाव के कारण गिरावट या आय के कम अनुमान को लेकतर रणनीतिक प्रतिक्रियाओं से भी हो सकती है। इस तरह की दिलचस्पी बने रहना इस बात पर निर्भर कर सकता है कि क्या बाज़ार इसी तरह के अनुकूल रुझान प्रदर्शित करते रहेंगे।
जुलाई में घरेलू शेयर बाजारों में उथल-पुथल रही। इससे चार महीने से चली आ रही बढ़त का सिलसिला टूट गया। निफ्टी और सेंसेक्स दोनों ही जुलाई में करीब 3 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए। निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांकों में क्रमशः 6.7 फीसदी और 4 फीसदी की गिरावट आई। इससे पहले के चार महीनों में दोनों सूचकांकों में 20-20 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई थी।