हाल के महीनों में सरकारी प्रतिभूतियों में यील्ड ऊपर भागने से दीर्घ अवधि वाले डेट म्युचुअल फंडों पर सबसे अधिक चोट पड़ी है। जिन निवेशकों ने डायनेमिक बॉन्ड और जी-सेक फंडों में रकम लगाई थी उनके निकट अवधि के रिटर्न में बड़ी चपत लगी है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार एक वर्ष की अवधि में लॉन्ग ड्यूरेशन फंडों का औसत रिटर्न कम होकर महज 3.7 फीसदी रह गया है। भारतीय म्युचुअल फंड संघ (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार अगस्त की शुरुआत में औसत रिटर्न 7.6 फीसदी और इस साल के शुरू में करीब 11 फीसदी था।
पिछले एक महीने के दौरान सरकारी प्रतिभूतियों पर यील्ड काफी उछल गई है। इससे पहले मार्च 2023 से इसमें गिरावट दिख रही थी। 15 वर्ष और 30 वर्ष की अवधि की सरकारी प्रतिभूतियों पर यील्ड अगस्त में लगभग 30 आधार अंक बढ़कर 2025 में अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। सोमवार को 30 वर्ष की अवधि की जी-सेक पर यील्ड 7.3 फीसदी थी, जो अप्रैल 2025 में दर्ज 6.76 फीसदी के निचले स्तर से ऊपर है।
विशेषज्ञ यील्ड में हाल में आई उछाल का कारण जी-सेक और राज्य विकास ऋणों (एसडीएल) की आमद बढ़ने की उम्मीदों, ऊंची मुद्रास्फीति के अनुमान और ब्याज दर में बढ़ोतरी की गुंजाइश को बता रहे हैं।
एचएसबीसी एमएफ के मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड-इनकम) श्रीराम रामनाथन ने कहा, ‘सरकार द्वारा जीएसटी दरों में संशोधन की घोषणा के बाद बाजारों को जी-सेक और एसडीएल की आमद बढ़ने का अनुमान है।‘
बंधन एएमसी के प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) सुयश चौधरी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपना रुख ‘तटस्थ’ कर दिया है जिससे यह संकेत मिल रहा है कि ब्याज दरें बढ़ने की गुंजाइश से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। चौधरी ने कहा, ‘बाजार को फिलहाल तस्वीर साफ नजर नहीं आ रही है।’
यील्ड बढ़ने से निवेशकों को नुकसान होता है क्योंकि इसका सीधा असर बॉन्ड की कीमतों पर होता है जो कम होने लगती हैं। बॉन्ड यील्ड में गिरावट या तेजी का प्रभाव लंबी अवधि के बॉन्ड पर अधिक दिखता है। हालांकि, यील्ड बढ़ने से निवेशकों और फंड प्रबंधकों को सरकारी प्रतिभूतियों से जुड़ीं जी-सेक और ऋण योजनाओं में निवेश करने का अवसर मिला है।
चौधरी ने कहा, ‘यील्ड में वृद्धि का पहला चरण काफी हद तक दीर्घ अवधि में मांग-आपूर्ति से जुड़े मुद्दों से संबंधित था। हालांकि, हाल में बाजार में बॉन्ड की बढ़ी आमद से निपटने की क्षमता कमजोर पड़ चुकी है।’ उन्होंने कहा कि उनकी मौजूदा प्राथमिकता 14-15 वर्ष की अवधि के सरकारी बॉन्ड हैं जिन पर हाल में हुई बिकवाली की सबसे तगड़ा असर हुआ है।
रामनाथन ने कहा कि जुलाई-अगस्त में जोखिम कम करने के बाद वह अपने पोर्टफोलियो में जी-सेक शामिल करने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘जुलाई और अगस्त में हमने दीर्घ अवधि की जी-सेक खंड में अपना निवेश कम कर लिया था और 2-4 वर्ष की अवधि के कॉरपोरेट बॉन्ड पर दांव बढ़ा दिया था क्योंकि वहां यील्ड में अंतर (स्प्रेड) माकूल दिख रहा था। जी-सेक यील्ड अब आकर्षक स्तरों तक पहुंचने के बाद हम दीर्घ अवधि की जी-सेक में निवेश बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।’