म्युचुअल फंड

NFO की भरमार पर निवेश सुस्त, अभी तक सिर्फ ₹17,000 करोड़ जुटे

मौजूदा छमाही में 120 एनएफओ आए जो 91 की तुलना में अ​धिक हैं, लेकिन अस्थिरता और सख्त नियमों से इनमें निवेश की रफ्तार सुस्त।

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अभिषेक कुमार   
Last Updated- June 26, 2025 | 10:08 PM IST

नई म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाएं शुरू करने की मजबूत रफ्तार इस कैलेंडर वर्ष में अभी जारी है। हालांकि एनएफओ से जुटाई गई रकम में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। फंड योजनाओं में तेजी की वजह से पिछले साल एनएफओ की संख्या भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी। 2025 की पहली छमाही में एनएफओ की संख्या करीब 120 है। वर्ष 2024 की इसी अव​​धि के दौरान 91 नई पेशकशें की गई थीं। एनएफओ से संग्रह जनवरी और जून 2024 के बीच करीब 50,000 करोड़ रुपये और उसके बाद के 6 महीनों में 69,000 करोड़ रुपये था। लेकिन यही संग्रह 2025 के पहले पांच महीनों में सिर्फ 17,000 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है।

विश्लेषकों के अनुसार एनएफओ संग्रह में गिरावट का कारण काफी हद तक शेयर बाजार की कमजोर धारणा और नियामकीय सख्ती को दिया जा सकता है। दिसंबर 2024 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गलत जानकारी देकर एनएफओ की बिक्री रोकने के लिए नए नियमों की घोषणा की। नए दिशानिर्देशों के तहत वितरकों को निवेशकों के पैसे को एक फंड से दूसरे फंड में (जिनमें एनएफओ भी शामिल हैं) ​स्विच कराने से कोई मौद्रिक लाभ नहीं मिलता है।

यह सुनिश्चित करने के प्रयास में कि फंड सही समय पर योजनाएं पेश करें और उतना ही संग्रह करें जितना वे लगा सकते हैं, सेबी ने अनिवार्य कर दिया कि म्युचुअल फंडों को एनएफओ से मिलने वाली रकम 30 दिनों के भीतर निवेश करनी होगी। ये नियम अप्रैल 2025 में लागू हुए और अधिकांश फंडों ने परिवर्तन की घोषणा के तुरंत बाद इन पर अमल शुरू कर दिया। इसके अलावा, कुछ अन्य कारण भी थे। वर्ष 2024 में एनएफओ का बड़ा संग्रह ज्यादातर इक्विटी फंड से हुआ, विशेष रूप से उन फंडों से जो लोकप्रिय थीमों या सेक्टर पर केंद्रित थे। आकर्षक थीमों की कमी और थीमेटिक फंड पेशकशों में भारी गिरावट से भी संग्रह पर असर हुआ।

वैल्यू रिसर्च के संस्थापक और मुख्य कार्या​धिकारी धीरेंद्र कुमार ने भी एनएफओ संग्रह में कमी का कारण एसआईपी निवेश के प्रति बढ़ती पसंद को दिया। उन्होंने कहा, ‘निवेशकों ने आखिरकार एसआईपी की आदत को अपना लिया है। उद्योग के मासिक एसआईपी खातों की रकम 26,000 करोड़ रुपये को पार कर गई है। यह अभी भी बढ़ रही है। इसलिए ताजा राशि का एक बड़ा हिस्सा नए फंडों के लिए एकमुश्त निवेश के बजाय एसआईपी के माध्यम से आ रहा है। दूसरी बात यह कि बाजार का रुख सतर्क हो गया है। ऐसे हालात में एनएफओ सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि उनके पास लोगों को आश्वस्त करने के लिए पिछला रिकॉर्ड नहीं होता है। तीसरा, सेबी का वह नियम भी है कि जब पैसे को एनएफओ में ​स्विच किया जाता है तो वितरक को कम कमीशन मिलता है।’

एनएफओ संग्रह में गिरावट फंडों के पास धन की आवक में बड़ी कमजोरी के कारणों में से एक रही है, खासकर ऐ​क्टिव इक्विटी क्षेत्र में। मई में ऐ​क्टिव इक्विटी फंडों का निवेश लगातार पांचवें महीने गिरा और 26,688 करोड़ रुपये के साथ 13 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। यह सकल एसआईपी निवेश में 26,688 करोड़ रुपये की शानदार वृद्धि के बावजूद हुआ।

कमजोर संग्रह के अलावा, एनएफओ सेगमेंट में आ रही नई योजनाओं के मिश्रण में भी बदलाव आया है। ज्यादातर नई योजनाएं लार्जकैप सेगमेंट और क्वालिटी एवं लो-वोलेटैलिटी थीमों में आईं है जो हाल के वर्षों में निवेशकों की पसंद नहीं रही हैं। ये पेशकश वर्ष 2024 के रुझान के विपरीत हैं।

First Published : June 26, 2025 | 10:01 PM IST