वैश्विक महामारी के बाद सक्रिय इक्विटी म्युचुअल फंडों के निवेश से पता चलता है कि निवेशकों का एक वर्ग बाजार पर नजर रख रहा है। पिछले कुछ वर्षों में शुद्ध मासिक निवेश से पता चलता है कि यह बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर नहीं है। बाजार में गिरावट के दौरान भी शुद्ध निवेश बढ़ा है।
उदाहरण के लिए दिसंबर 2022 से मार्च 2023 की अवधि ली जा सकती है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 लगातार तीन महीने (दिसंबर से लेकर फरवरी तक) निचले स्तर पर बंद हुआ था और मार्च के दौरान इसने 0.32 फीसदी की मामूली वृद्धि दर्ज की थी।
एक्टिव म्युचुअल फंडों का शुद्ध मासिक निवेश औसतन 14,000 करोड़ रुपये रहा। इसकी तुलना में, जब 2022 में बाजार की स्थिति जुलाई से अगस्त और अक्टूबर से नवंबर तक बेहतर थी, तो निवेश औसतन 6,600 करोड़ रुपये था।
फंड्स इंडिया के उपाध्यक्ष और शोध प्रमुख अरुण कुमार ने कहा, ‘बाजार के चढ़ने और सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहने के दौरान घरेलू निवेशक आमतौर पर सतर्क हो जाते हैं। निवेश कमजोर हो जाता है।
इसके अलावा, अगर हाल ही बाजार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से नीचे आया है तो अधिकतर निवेशक गिरावट का अनुमान लगाते हैं और अपने नए निवेश को कुछ वक्त के लिए टाल देते हैं। हाल के वर्षों में बाजार में सुधार के दौरान एसआईपी में निवेश बढ़ जाता है।’
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उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि ऐसा केवल निवेशकों का एक वर्ग ही करता है क्योंकि SIP के माध्यम से निवेश पूरे बाजार चक्र में मजबूत बना हुआ है।
कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक (MD) निलेश शाह ने कहा, ‘निवेशकों में एकरूपता नहीं है। लाखों निवेश ऐसे हैं जो इक्विटी म्युचुअल फंडों में SIP करते हैं। कई निवेशक ऐसे भी हैं जो बाजार पर नजर रखते हैं। स्मार्ट निवेशक वे होते हैं जो अनुशासित तरीके से निवेश करना जारी रखते हैं। आप जो देख रहे हैं वह SIP निवेशकों, बाजार पर नजर रखने वाले निवेशकों और अनुशासित निवेशकों का योग है। SIP को स्वीकारने में निवेशकों द्वारा दिखाई गई परिपक्वता सही मायने में म्युचुअल फंड उद्योग के लिए सही है।’
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SIP के माध्यम से सकल निवेश पर पिछले दो वर्षों में बाजार की चाल से कोई असर नहीं पड़ा है।