अगर बाजार नियामक का नया वर्गीकरण ढांचा अंतिम रूप ले लेता है तो इक्विटी म्युचुअल फंडों (एमएफ) की योजनाएं जल्द ही सोने और चांदी में भी निवेश कर सकती हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इससे फंड मैनेजरों को अनिश्चितता के दौर में बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने में ज्यादा लचीलापन मिलेगा जबकि कुछ की राय में इस कदम से, खासकर योजनाओं के प्रदर्शन की तुलना के मामले में जटिलताएं हो सकती हैं।
फिलहाल, इक्विटी योजनाओं को अपनी कुल राशि का 65-80 प्रतिशत हिस्सा अनिवार्य रूप से इक्विटी में लगाना होता है। बाकी राशि को इक्विटी, डेट और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (रीट्स) और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (इनविट) आदि में निवेश किया जा सकता है।
शुक्रवार को एक परामर्श पत्र में सेबी ने सोने और चांदी को परिसंपत्ति मिश्रण में शामिल करने का प्रस्ताव रखा। अगर अनुमति दी जाती है तो कीमती धातुओं में निवेश फंड मैनेजरों के लिए वैकल्पिक होगा जैसा कि अन्य गैर-इक्विटी परिसंपत्ति वर्गों के मामले में है। परामर्श पत्र में सोने और चांदी में निवेश की उप-सीमा का कोई जिक्र नहीं है।
एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट के उप-प्रबंध निदेशक और संयुक्त मुख्य कार्याधिकारी डीपी सिंह ने कहा, ‘नियामक का इरादा फंड मैनेजरों को अधिक विकल्प मुहैया कराना है।’
क्रेडेंस वेल्थ के संस्थापक कीर्तन शाह ने कहा, ‘2017 में घोषित पिछले योजना पुनर्वर्गीकरण ने कई समस्याओं का समाधान किया। लेकिन इसमें कई प्रतिबंध भी थे। नए नियम (जिनमें सोने और चांदी में निवेश की अनुमति शामिल है) उन्हें कुछ हद तक आसान बनाएंगे। इस समय ऐसे फंड प्रबंधक हैं जो शेयर बाजार के महंगा होने पर अधिक नकदी अपने पास रखते हैं। कीमती धातुओं में निवेश का विकल्प ऐसे फंड प्रबंधकों के लिए उपयोगी होगा।’
अभी केवल हाइब्रिड फंड ही कमोडिटी में निवेश कर सकते हैं। हालांकि, अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि सोने और चांदी को शामिल करने से इक्विटी में निवेश कम हो जाएगा जिससे परिसंपत्ति आवंटन और अधिक जटिल हो जाएगा।
आनंद राठी वेल्थ के संयुक्त सीईओ फिरोज अजीज ने कहा, ‘अगर पारंपरिक इक्विटी या डेट फंड अपने मूल मकसद से बाहर निवेश करना शुरू कर देते हैं, तो श्रेणियों के बीच का अंतर कम महत्त्वपूर्ण हो जाता है। इससे लाभ की संभावना सीमित हो सकती है। उदाहरण के लिए, कोई इक्विटी फंड जो अपना एक हिस्सा डेट या सोने में लगाता है, वह अपना पूरा इक्विटी स्वरूप बरकरार नहीं रख पाएगा।’उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा सोने और चांदी में निवेश करने वाले इक्विटी फंड प्रबंधकों के लिए बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करना मुश्किल हो सकता है। रकम के शेष हिस्से में परिसंपत्ति वर्ग में अंतर को देखते हुए फंडों के बीच तुलना करना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।’
वाटरफील्ड एडवाइजर्स में डोमेस्टिक क्लायंट एडवायजरी के प्रमुख कार्यकारी निदेशक विवेक राजारामन ने कहा, ‘सेबी के प्रस्तावित कदम सकारात्मक इरादे से उठाए गए लगते हैं। सोने और चांदी जैसे अन्य परिसंपत्ति वर्गों को शामिल करने से फंड प्रबंधकों को विविधता के अधिक माध्यम मिलेंगे।’