प्रतीकात्मक तस्वीर
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को जारी परामर्श पत्र में रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट्स) और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट (इनविट्स) में म्युचुअल फंडों (एमएफ) के लिए निवेश सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। इस कदम का मकसद म्युचुअल फंड योजनाओं के लिए ज्यादा विविधता वाले अवसर मुहैया कराना है। साथ ही अपेक्षाकृत नए निवेश साधनों में पूंजी प्रवाह और तरलता को बढ़ाना है।
अभी सेबी के नियमों के तहत रीट्स और इनविट्स में म्युचुअल फंड निवेश की सीमा किसी योजना के शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) के 10 फीसदी तक सीमित है जबकि किसी एकल जारीकर्ता कंपनी में यह सीमा अधिकतम 5 फीसदी है। वैश्विक स्तर पर, रीट्स और इनविट्स को अक्सर इक्विटी के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और एमएससीआई इंडिया स्मॉल कैप इंडेक्स और एफटीएसई इंडिया इंडेक्स जैसे सूचकांकों में शामिल किया जाता है।
हालांकि, सेबी की म्युचुअल फंड सलाहकार समिति और एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) वर्तमान में उन्हें उनकी अनूठी नकदी प्रवाह संरचनाओं और मूल्यांकन विधियों के कारण हाइब्रिड साधन के रूप में देखते हैं। बाजार नियामक ने आम लोगों और उद्योग जगत से टिप्पणियां मांगी हैं कि क्या रीट्स और इनविट्स को इक्विटी के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए और इस प्रकार फंड निवेश के लिए इक्विटी सूचकांकों में शामिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
इसके अलावा, सेबी ने फंड के एनएवी के 5 फीसदी से 10 फीसदी तक एकल जारीकर्ता कंपनी में सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। इसके अतिरिक्त रीट्स और इनविट्स के लिए 10 फीसदी की समग्र जोखिम सीमा को इक्विटी और हाइब्रिड योजनाओं के लिए 20 फीसदी तक संशोधित किया जा सकता है। सेबी ने कहा, हालांकि ऋण योजनाओं के लिए इसे 10 फीसदी तक सीमित रखा जा सकता है, क्योंकि रीट्स और इनविट्स ऋण साधनों की तुलना में अपेक्षाकृत ज्यादा जोखिमपूर्ण हैं।
वर्तमान में स्टॉक एक्सचेंजों पर चार रीट्स और 17 इनविट्स सूचीबद्ध हैं। एक और इनविट्स जल्द ही सूचीबद्ध होने वाला है। हालांकि, आठ इनविट्स के अलावा अन्य में कोई ट्रेडिंग नहीं हुई है। 31 दिसंबर, 2024 तक म्युचुअल फंडों के पास 20,087 करोड़ रुपये के रीट्स और इनविट्स थे, जिसमें इक्विटी योजनाओं का औसत निवेश 2.1 फीसदी, ऋण योजनाओं का औसत निवेश 3.7 फीसदी और हाइब्रिड योजनाओं का निवेश 2.4 फीसदी था।