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फैमिली फ्लोटर बनाम इंडिविजुअल हेल्थ प्लान: आपके परिवार के लिए कौन सा ज्यादा जरूरी है?

हेल्थ इंश्योरेंस में छोटे शहरों की मजबूत हिस्सेदारी देखी जा रही है, जहां ज्यादा कवरेज, स्मार्ट ऐड-ऑन और फैमिली फ्लोटर व इंडिविजुअल प्लान के बीच सोच-समझकर फैसले किए जा रहे हैं

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अमित कुमार   
Last Updated- December 17, 2025 | 7:21 PM IST

भारत में हेल्थ इंश्योरेंस की ग्रोथ अब बड़े शहरों से नहीं, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों से चल रही है। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के पांच साल के डेटा के मुताबिक, नई बिकने वाली सभी पॉलिसी में से 62 फीसदी अब इन छोटे शहरों से आ रही हैं। लोग यहां ज्यादा कवर वाली पॉलिसी चुन रहे हैं।  यहां अब 10 लाख से 15 लाख तक का सम इंश्योर्ड आम हो गया है।

साथ ही, मॉड्यूलर ऐड-ऑन जैसे रिस्टोरेशन बेनिफिट, OPD कवर और क्रिटिकल इलनेस जैसी सुविधाएं भी तेजी से अपनाई जा रही हैं। इससे साफ है कि भारतीय परिवार अब सिर्फ बेसिक कवर नहीं, बल्कि पूरी तरह की आर्थिक सुरक्षा चाहते हैं। लेकिन इस बदलाव के बीच, कई परिवार फैमिली फ्लोटर और इंडिविजुअल हेल्थ प्लान के बीच उलझे रहते हैं कि कौन सा बेहतर होगा।

जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव पर सही चुनाव

एक्सपर्ट्स का मानना है कि लोगों को उम्र और हेल्थ कंडीशन के हिसाब से फैसला लेना चाहिए। यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस की चीफ टेक्निकल ऑफिसर आरती मुलिक कहती हैं, “युवा उम्र में बढ़ते परिवारों के लिए फैमिली फ्लोटर पॉलिसी सबसे अच्छी रहती है, क्योंकि ये सस्ती होती है और अचानक अस्पताल में भर्ती होने जैसी मुश्किलों से पूरा परिवार सुरक्षित रहता है।”

आनंद राठी इंश्योरेंस ब्रोकर्स के हेड ऑफ एम्प्लॉयी बेनिफिट्स मिलिंद तायडे बताते हैं, “जब माता-पिता 30 के अंत या 40 की उम्र में पहुंचते हैं, तो एक व्यक्ति के बार-बार या महंगे क्लेम से पूरी शेयर्ड कवरेज प्रभावित हो सकती है। ऐसे में बड़े लोगों के लिए इंडिविजुअल पॉलिसी लेना और बच्चों को फ्लोटर में रखना बेहतर होता है, इससे रिस्क अलग-अलग रहता है।”

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पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस हेड सिद्धार्थ सिंघल की राय है कि 20 के अंत या 30 की उम्र वाले युवा परिवार एक ही फ्लोटर प्रीमियम में 3-4 लोगों को कवर कर सकते हैं, लेकिन “40 या 50 की उम्र में लोग इंडिविजुअल प्लान चुनें, वरना क्रॉनिक बीमारियों की वजह से पूरा फैमिली पूल खत्म हो सकता है।”

स्क्वेयर इंश्योरेंस के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश कुमार भी कहते हैं, “जब परिवार के सदस्य अलग-अलग उम्र के हों, तो इंडिविजुअल प्लान ज्यादा फिट बैठते हैं, क्योंकि हर किसी को अपनी जरूरत के मुताबिक कवर मिलता है।”

फ्लोटर कब रह जाता है कम?

फैमिली फ्लोटर तब दिक्कत दे सकता है जब परिवार के किसी सदस्य को पुरानी बीमारी हो या बार-बार अस्पताल जाना पड़े। आरती मुलिक बताती हैं, “एक बड़ा अस्पताल का बिल पूरा शेयर्ड सम इंश्योर्ड खत्म कर सकता है, जिससे बाकी परिवार वाले बिना कवर के रह जाते हैं।”

फटाकसिक्योर के CEO बिकास चौधरी का कहना है कि बड़े उम्र के फर्क वाले परिवारों या एक साल में कई क्लेम होने पर फ्लोटर उतना कारगर नहीं रहता।

लोगों की आम गलतियां रहती हैं कि सम इंश्योर्ड को कम आंकते हैं या सब-लिमिट और को-पेमेंट क्लॉज को नजरअंदाज कर देते हैं। मेडिकल खर्च बढ़ने की वजह से अब परिवार 20 लाख या उससे ज्यादा कवर पसंद कर रहे हैं, साथ में ऐड-ऑन जोड़कर। सिद्धार्थ सिंघल बताते हैं, “लोग थोड़ा ज्यादा प्रीमियम देकर ऐड-ऑन चुन रहे हैं, ताकि कवरेज बेहतर हो।” इससे साफ है कि अब सिर्फ न्यूनतम पॉलिसी नहीं, बल्कि सोची-समझी सुरक्षा की तरफ रुझान बढ़ रहा है।

First Published : December 17, 2025 | 7:21 PM IST