सूचकांक के उतार-चढ़ाव के सूचक माने जाने वाले इंडेक्स फंडों का प्रबंधन सक्रिय तरीके से नहीं हो रहा है। इनमें से कई में ट्रैकिंग एरर की गड़बड़ी एक फीसदी से भी ज्यादा है।
उदाहरणस्वरुप एलआईसी म्युचुअल फंड की इंडेक्स सेसेंक्स स्कीम की सालाना ट्र्रैकिंग एरर 7.53 फीसदी है जबकि एचडीएफसी इंडेक्स निफटी की 3.57 फीसदी रहा। असल में ट्रैकिंग एरर किसी इंडेक्स द्वारा दिए गए रिटर्न और उससे जुड़े फंड द्वारा दिए गए रिटर्न के बीच का अंतर है।
उदाहरण के लिए यदि सेसेंक्स 30 फीसदी का सालाना रिटर्न देता है और इंडेक्स फंड 25 फीसदी या 35 फीसदी का रिटर्न देता है तो इसका मतलब है कि फंड में पांच फीसदी की ट्रैकिंग एरर है। बेंचमार्क असेट मैनेजनेंट के कार्यकारी अधिकारी राजन मेहता कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आधा फीसदी ट्रैकिंग एरर को ही बहुत ज्यादा माना जाता है।
उन्होनें कहा कि उनके इंडेक्स फंड निफटी बीईइस की ट्रैकिंग एरर 0.18 फीसदी है। म्युचुअल फंड केविश्लेषकों का कहना है कि फंड पर आने वाले खर्चों, नकजी का प्रबंधन और डेरिवेटिव कारोबार की वजह से इन फंडों में ट्रैकिंग एरर आई है। यद्यपि इंडेक्स फंडों का खर्चा सालाना 1.5 फीसदी तक सीमित है जबकि अलग-अलग फंडों के लिए यह खर्चा उनके ऑफर डाक्यूमेंट के अनुसार होता है।
आदर्शरूप में इन फंडों को किसी भी प्रकार की नकदी अपनी पास नहीं रखनी चाहिए क्योंकि उनके एसेट का प्रबंधन सूचकांक के कारोबार के अनुपात में ही होता है। लेकिन भारतीय फंडों के मामले में वे अपने ऑफर डाक्यूमेंट में यह प्रावधान रखते हैं जिससे वे ऐसा कर सकते हैं।
मसलन एलआईसी इंडेक्स फंड अपने ऑफर डाक्यूमेंट के अनुसार 10 फीसदी नकदी रख सकता है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के मुख्य निवेश अधिकारी नीलेश शाह का कहना है कि यदि कोई फंड भारी नकद राशि अपने पास रखता है और फिर अगर बेंचमार्क सूचकांक में सुधार होता है तो इसका फंड के रिटर्न पर सीधा असर पड़ता है।
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इसे निफ्टी और सेसेंक्स दोनों से मिलाकर चलाने में भी गलतियां होती हैं। एक सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर देवांग शाह कहते हैं कि चढ़ते बाजार में सूचकांक में लिस्टेड कंपनियों में लगातार बदलाव होता रहता है। जैसे पिछले साल डीएलएफ ने डॉ रेड्ड़ीज को हटाकर सेसेंक्स में अपना स्थान बनाया और जो फंड हाउस इसे ट्रैक करने से चूक गए, उन्हें नुकसान झेलना पड़ा।
बाजार में गिरावट का दौर शुरु होने के बाद कुछ फंड मैनेजरों ने अपना नुकसान बढ़ने से रोकने के लिए डेरिवेटिव मार्केट में कारोबार शुरु कर दिया और इस प्रक्रिया में कई को अपने हाथ जलाने पड़े। हालांकि नीलेश शाह फंड मैनेजरों का बचाव करते हुए कहते हैं कि हम एक आर्थिक विशेषज्ञ न होकर फंड मैनेजर हैं।
जब निवेशक म्युचुअल फंड में निवेश करता है तो उसका उद्देश्य लाभ कमाना होता है और यदि हम ज्यादा लाभ कमाते हैं तो वह हम पर भरोसा करेगा। इसका परिणाम भी सामने है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने निफ्टी की अपेक्षा 2.28 फीसदी ज्यादा रिटर्न दिया है जबकि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल स्पाइस का रिटर्न सेंसेक्स की तुलना में 2.01 फीसदी कम रहा।
देवांग शाह का मानना है कि इंडेक्सफंड का प्रबंधन सकारात्मक रूप से होना चाहिए। यदि आप डेरिवेटिव ट्रेडिंग करते हैं तो यह नियमों के अनुसार सही नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं ग्राहकों को ऐसे फंडों में निवेश करने की सलाह नहीं दूंगा जो फंड मैनेजरों के निर्णयों की वजह से जोखिम पर हों।
फंड ट्रैकिंग एरर
(सालाना)
एलआईसी एमएफ इंडेक्स सेसेंक्स 7.53
एचडीएफसी इंडेक्स निफ्टी 3.57
एलआईसी एमएफ इंडेक्स निफ्टी 2.68
बिड़ला सनलाइफ इंडेक्स 2.65
मैग्नम इंडेक्स 2.64
एचडीएफसी इंडेक्स सेंसेक्स 2.56
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंडेक्स 2.28
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल स्पाइस 2.01
फ्रैंकलिन इंडिया इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स 1.84
कैनरा रोबेको निफ्टी इंडेक्स 1.71