एक रिपोर्ट में, यूनियन एमएफ ने अनुमान जताया है कि भारत सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ देगा। यदि ऐसा होता है तो कौन से क्षेत्रों को ज्यादा फायदा होगा?
भारत दुनिया में तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, इसे देखते हुए हमारा मानना है कि उसकी प्रति व्यक्ति औसत आय मजबूत बनी रहेगी। इस मजबूत प्रति व्यक्ति आय से मध्यावधि से दीर्घावधि के दौरान कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और कंज्यूमर स्टैपल्स जैसे खपत-केंद्रित क्षेत्रों में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अलावा, भारत वैश्विक निर्माण केंद्र बनने की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है और वैश्विक सप्लाई चेन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। विभिन्न उत्पाद-केंद्रित पहलों पर सरकार द्वारा ध्यान दिए जाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च बढ़ाने से देश के दीर्घावधि विकास के लिए आधार तैयार हो रहा है। इसलिए, हमारा मानना है कि उद्योग और वित्तीय क्षेत्रों में दीर्घावधि के दौरान अच्दी विकास संभावनाएं दिखेंगी।
बाजार ने करीब डेढ़ साल से शानदार प्रतिफल नहीं दिया है। योजनाओं में नया निवेश आकर्षित करने की दिशा में यह कितना चुनौतीपूर्ण है?
भारतीय इक्विटी बाजार ने वृहद आर्थिक समस्याओं के बावजूद 2022 में कई विकसित बाजारों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया। 2021-22 के मुकाबले 2022-23 के दौरान इक्विटी फंडों में प्रवाह के संदर्भ में हमने कुछ नरमी दर्ज की, लेकिन यह अच्छी बात है कि एसआईपी प्रवाह मजबूत बना रहा।
हमारा मानना है कि एसआईपी में तेजी बनी रहेगी और म्युचुअल फंड उद्योग में वृद्धि का आधार साबित होगी।
ऐसे कौन से कारक हैं जिनसे बाजार को ताकत मिल सकती है?
पहला है, सरकार द्वारा निर्माण प्रणाली, खासकर वित्तीय प्रोत्साहन के जरिये बढ़ावा देने का प्रयास। इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च मुख्य रूप से शामिल है। इससे भारत मैन्युफेक्चरिंग पावरहाउस के तौर पर स्थापित करने और घरेलू निर्माताओं के लिए व्यवसाय आकर्षित करने में मदद मिलेगी। प्रमुख क्षेत्र का ताजा प्रदर्शन सरकार द्वारा पूरे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिए जाने के लिए किए जा रहे पूंजीगत खर्च का संकेत है।
दूसरा, केंद्रीय बैंकों द्वारा तरलता बढ़ाकर अनुकूल मौद्रिक नीति पर जोर दिए जाने से बाजार को ताकत मिल सकती है। इसके अलावा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति और बुनियादी ढांचागत खर्च में विलंब समेत कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। व्यापक वृद्धि और खपत में तेजी लाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कायाकल्प जरूरी है।
निवेशक करीब करीब दो साल से डेट फंडों से दूरी बनाए हुए हैं। क्या यह एमएफ उद्योग के लिए चिंताजनक है?
निर्धारित आय वाले निवेशकों को सुस्त प्रतिफल मिला है, लेकिन ऊंचे बॉन्ड प्रतिफल की वजह से अब हालात बदल रहे हैं। हमारी नजर में, 2023-24 निर्धारित आय फंडों के लिए अच्छे अवसर प्रदान करेगा। माना जा रहा है कि ब्याज दरें अपने चरम पर पहुंच चुकी हैं और अगले दो-तीन साल में इनमें गिरावट आने का अनुमान है, जो निर्धारित आय फंडों में आकर्षक निवेश अवसर होगा।
मूल्यांकन और आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए कौन से इक्विटी फंड अच्छा प्रतिफल देंगे?
मूल्यांकन के नजरिये, हम लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों के बीच तटस्थ हैं। भले ही मिडकैप और स्मॉलकैप में अच्छी वृद्धि की संभावना है, लेकिन उनमें बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव रहता है। फिर भी सकारात्मक दीर्घावधि आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए, सभी इक्विटी फंड बदलाव का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में हैं।