facebookmetapixel
दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दिल्ली-एनसीआर में फिर गूंजेंगे ‘ग्रीन’ पटाखेDIIs ने 2025 में किया रिकॉर्ड निवेश, भारतीय बाजार में अब तक झोंके 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादातरुण गर्ग होंगे हुंडई मोटर इंडिया के नए एमडी एंड सीईओ, 1 जनवरी 2026 से संभालेंगे जिम्मेदारीTech Mahindra share: Q2 में मुनाफे पर चोट से शेयर 2% फिसला, निवेशक अब क्या करें; बेचें या होल्ड रखें?Gold silver price today: धनतेरस से पहले सोने के भाव ने फिर बनाया रिकॉर्ड, चांदी भी हुई महंगी; चेक करें आज के रेटIPO के बाद Tata Capital की पहली तिमाही रिपोर्ट जल्द, जानें तारीखUS Green Card: अमेरिकी ग्रीन कार्ड पाना होगा मुश्किल या आसान? ट्रंप सरकार जल्द ला सकती है नए नियमचीन और वियतनाम के समान हो PE टैक्स नियम, इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर की सरकार से मांगLG Electronics Share: बंपर लिस्टिंग के बाद भी ब्रोकरेज बुलिश, बोले – अभी 20% और चढ़ सकता है शेयरSamvat 2082 में पैसा बनाने का बड़ा मौका! एक्सपर्ट से जानें शेयर, MF और गोल्ड में निवेश के टिप्स

FPI के चहेते देशों में 5वें स्थान पर फिसला मॉरीशस, आयरलैंड 4.41 लाख करोड़ रुपये एयूसी के साथ चौथे स्थान पर पहुंचा

मॉरीशस के फंडों की जांच बढ़ने और पंजीकरण में देरी से भी FPI ने किया दूसरे देशों का रुख, भारत में निवेश के लिए कभी एफपीआई का सबसे चहेता देश होता था मॉरीशस

Last Updated- July 10, 2024 | 9:16 PM IST
FPI

किसी समय विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) मॉरीशस के रास्ते भारत में खूब निवेश करते थे और वह उनका पसंदीदा ठिकाना था। लेकिन 30 जून को एफपीआई की संपत्तियों की कस्टडी (एयूसी) के लिहाज से यह पांचवें स्थान पर फिसल गया है।

नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) के आंकड़ों के मुताबिक अब 4.41 लाख करोड़ रुपये एयूसी के साथ आयरलैंड चौथे स्थान पर आ गया है। जून 2024 के अंत में मॉरीशस में एफपीआई की एयूसी 4.39 लाख करोड़ रुपये थी।

अगर विशुद्ध इ​क्विटी हो​​ल्डिंग की बात करें तो इन दोनों देशों के बीच अंतर और बढ़ जाता है। 2024 की पहली छमाही में मॉरीशस के एफपीआई की एयूसी 11 फीसदी बढ़ी मगर आयरलैंड ​में एयूसी में 26 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई।

कानून विशेषज्ञों और कस्टोडियनों का कहना है कि मॉरीशस पसंदीदा देश बना हुआ है मगर वहां नए फंडों की मंजूरी लेने में ज्यादा समय लगने लगा है जिसकी वजह से नए फंड के पंजीकरण में देर हो रही है।

इलियॉस फाइनैं​शियल सर्विसेज के संस्थापक और पूंजी बाजार कार्यबल, एफएससी मॉरीशस के सदस्य आनंद सिंह ने कहा, ‘भारत में निवेश करने वाले मॉरीशस के फंडों की जांच-पड़ताल बढ़ गई है जिससे नए फंड शुरू करने में देरी हो रही है और मॉरीशस ​के नियामक से भी मंजूरी मिलने में समय लग रहा है। इसकी वजह से निवेशक दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं।’

सिंह ने कहा, ‘लक्समबर्ग, आयरलैंड और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में कर सं​धि के फायदे मिलने के कारण भी निवेशक इन देशों के रास्ते भारत में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। उदाहरण के लिए आयरलैंड या लक्समबर्ग में नकद इ​क्विटी पर अब भी कोई कर नहीं लगता।’

एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार आयरलैंड में 780 से ज्यादा एफपीआई पंजीकृत हैं और मॉरीशस में उनकी संख्या 595 ही है।

मॉरीशस और भारत ने इस साल मार्च में दोहरा कराधान निषेध समझौते (डीटीएए) को संशो​धित करने के करार पर हस्ताक्षर किए थे। मॉरीशस ने ओईसीडी के प्रस्ताव के अनुरूप बेस इरोजन ऐंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (बीईपीएस) मानदंडों में संशोधन किया है। बीईपीएस उन तरीकों के बारे में बताता है, जिनका इस्तेमाल संस्थाएं या कंपनियां कर देने से बचने के लिए करती हैं ताकि उन पर कर का बोझ कम हो जाए।

मॉरीशस ने करदाताओं द्वारा सं​धि के दुरुपयोग को रोकने के लिए ‘प्रिंसिपल पर्पज टेस्ट’ (पीपीटी) की शुरुआत की है, जिसमें मॉरीशस को यदि लाभ कमाने के इरादे से चुना गया है तो इस संधि का फायदा देने से मना कर दिया जाता है।

एफपीआई को सेवा प्रदान करने वाले एक संप​त्ति सेवा प्रदाता ने कहा, ‘उद्योग द्वारा कर सं​धि में संशोधन का विरोध किए जाने के कारण इसे अभी तक अ​धिसूचित नहीं किया गया है। हमें लगता है कि वहां नवंबर में आम चुनाव होने के बाद ही इस पर तस्वीर साफ होगी।’

अ​धिसूचना जारी नहीं होने की वजह से निजी इ​क्विटी फंडों और सार्वजनिक मार्केट फंडों के बीच भी असमंजस बना हुआ है कि कर सं​धि में संशोधन के बाद वे लाभ के पात्र होंगे या नहीं।

First Published - July 10, 2024 | 9:16 PM IST

संबंधित पोस्ट