अमेरिका में ब्याज दरें उच्च स्तर पर बने रहने का फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल का बयान निवेशकों को घबराहट से भर गया और भारत सहित दुनिया भर के बाजारों में आज तेज गिरावट आई।
फेड प्रमुख के बयान से ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर जल्द विराम लगने की उम्मीद भी धूमिल हो गई है। बेंचमार्क सेंसेक्स 861 अंक लुढ़ककर 57,972 पर बंद हुआ। 16 जून के बाद सेंसेक्स में यह सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी भी 246 अंक के नुकसान के साथ 17,313 पर बंद हुआ। मगर देसी बाजार में गिरावट अमेरिकी बाजार की तुलना में कम रही। वॉलस्ट्रीट में शुक्रवार को बिकवाली के कारण सूचकांक 3 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गए थे। सेंसेक्स भी कारोबार के दौरान 1,466 अंक नीचे चला गया था।
पॉवेल ने शुक्रवार को कहा था कि मुद्रास्फीति में स्थिरता आने में अभी वक्त लगेगा और इसके लिए मौद्रिक नीति के उपाय करने होंगे। उनके भाषण ने निवेशकों को निराश किया क्योंकि निवेशक उम्मीद कर रहे थे कि वृद्धि दर नरम होने से ब्याज दरों में अगले साल कटौती हो सकती है। अब निवेशकों को डर सताने लगा है कि ब्याज दरें ऊंची बनी रहीं तो कंपनियों की कमाई प्रभावित होगी और चूक के मामले बढ़ सकते हैं। पॉवेल के बयान से वैश्विक बाजारों में बिकवाली बढ़ गई और बिटकॉइन जैसी जोखिम वाली संपत्तियों में भी गिरावट आई मगर अमेरिकी बॉन्ड तथा डॉलर मजबूत हुआ है। देसी बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 560 करोड़ रुपये की बिकवाली की।
डॉलर के मजबूत होने से रुपया भी कारोबार के दौरान 80 के पार पहुंच गया था। रुपये में नरमी से विदेशी निवेश प्रभावित हो सकता है क्योंकि मुद्रा कमजोर होने से विदेशी संस्थागत निवेशकों का मुनाफा घट सकता है। विदेशी निवेश के दम पर ही बाजार जून के निचले स्तर से उबरने में सफल रहा था।
अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘फेडरल प्रमुख के भाषण से पहले बाजार को फेड का रुख कुछ नरम होने की उम्मीद थी। मगर उनके भाषण ने स्पष्ट कर दिया कि मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए ब्याज दरें फिलहाल उच्च स्तर पर बनी रहेंगी। इसका बाजार पर प्रतिकूल असर पड़ा है।’इस साल देसी शेयर बाजार की चाल अमेरिकी बाजार के अनुरूप रही है। विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिकी शेयरों में गिरावट का असर भारतीय शेयर बाजार में भी दिख सकता है।
