लक्ष्मी विलास बैंक के विभिन्न शेयरधारकों ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक के सामने अपना सुझाव व एतराज रखा। नियामक ने इसके लिए शुक्रवार तक का समय तय किया था। इस बैंक का डीबीएस बैंक इंडिया के साथ विलय हो रहा है।
19 नवंबर को बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी ती कि शेयरधारकों ने आरबीआई से अनुरोध किया है कि वह स्टॉक एक्सचेंजों से लक्ष्मी विलास बैंक के शेयर को गैर-सूचीबद्ध कराने के फैसले पर दोबारा विचार करे। एक निवेशक ने कहा, 20 फीसदी से ज्यादा खुदरा निवेशकों की भागीदारी को देखते हुए सभी शेयरधारकों के हित में होगा अगर हम अपने शेयरों में कुछ वैल्यू जोड़ सकें। हालांकि कुछ बड़े संस्थागत निवेशकों ने संकेत दिया है कि वे इस फैसले को चुनौती शायद नहींं देंगे अगर आरबीआई इस मामले में अन्य फैसला लेता है। जब आरबीआई बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 45 का इस्तेमाल करेगा तो यह सभी कानूनों से ऊपर हो जाएगा, जो बैंक पर अन्यथा लागू होते हैं।
लक्ष्मी विलास बैंंक के कर्मचारियोंं को आश्वस्त किया गया है कि उनकी नौकरी तीन साल तक सुरक्षित है। हालांकि डीबीएस बैंंक के साथ विलय पर मनाने के लिए यह पर्याप्त नहीं है।
एक सूत्र ने कहा, कर्मचारी संगठनों ने सार्वजनिक बैंक के साथ विलय की सिफारिश की है और बैंक यूनियन का भी ऐसा ही रुख है।
एकीकरण की प्रस्तावित शर्तों में कहा गया है कि लक्ष्मी विलास बैंक के कर्मचारियों को नई इकाई में उनकी मौजूदा शर्तों के तहत समाहित किया जाएगा। बैंक को भारतीय बैंक एसोसिएशन के वेतन ढांचे के मुताबिक वेतन के हिसाब से मुआवजा नहीं देना होगा क्योंकि बैंक इस उद्योग निकाय से हाल में बाहर निकल गया है, ऐसे में कर्मियों को दो साल की वेतन बढ़ोतरी से हाथ धोना पड़ेगा। यह देखते हुए कि विदेशी बैंक के साथ विलय के बाद उन्हें बकाया (एरियर) नहीं मिलेगा, कर्मचारियों ने इस विलय पर एतराज जताया है। ऑल इंडिया बैंंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन भी कह चुका है कि वह डीबीएस बैंक की तरफ से तमिलनाडु के बैंंक के अधिग्रहण के हक में नहीं है।
