फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में तेज इजाफा किए जाने और वैश्विक वृद्धि पर इसका असर पड़ने की आशंका से बेंचमार्क सूचकांकों में आज दो महीने की सबसे बड़ी गिरावट आ गई। इस साल जून में खासे नीचे पहुंचने के बाद 17 फीसदी चढ़े बाजार में मुनाफावसूली के कारण भी गिरावट तेज हुई है।
बेंचमार्क सेंसेक्स 872 अंक लुढ़ककर 58,774 पर बंद हुआ, जो 16 जून के बाद इसकी सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। निफ्टी 50 सूचकांक भी 267 अंक के नुकसान के साथ 17,490 पर बंद हुआ। निफ्टी में केवल पांच शेयर ही बढ़त पर बंद हुए। अमेरिका में 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल करीब 3 फीसदी पर पहुंचने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का निवेश निकलने की आशंका पैदा हो गई है। इसी आशंका के कारण पिछले दो कारोबारी सत्र में सूचकांक 2.5 फीसदी से ज्यादा लुढ़क चुके हैं। विदेशी निवेशकों ने 454 करोड़ रुपये की बिकवाली की और देसी संस्थागत निवेशक भी 84 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे।
बाजार में यह गिरावट फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के इस शुक्रवार को होने वाले भाषण से पहले आई है, जिस पर दुनिया भर के बाजारों की नजरें टिकी हैं। फेडरल रिजर्व के अधिकारियों ने हाल ही में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की बात दोहराई थी, जिससे निवेशकों के हौसले को और भी चोट पहुंची है। पिछले हफ्ते फेडरल ओपन मार्केट कमिटी (एफओएमसी) में मताधिकार वाले दो सदस्यों ने कहा था कि मुद्रास्फीति 2 फीसदी के लक्ष्य पर आने तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रखी जानी चाहिए।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘फेड अधिकारियों के बयान से पहले लग रहा था कि मुद्रास्फीति को अच्छी तरह काबू में किया जा रहा है और ब्याज दरों में ज्यादा इजाफे की जरूर नहीं होगी। मगर हाल के बयान के बाद यह उम्मीद धूमिल हो रही है। ताइवान या यूक्रेन में भू-राजनीतिक संकट का भी कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है।
जुलाई में म्युचुअल फंड का प्रवाह भी अच्छा नहीं रहा था और लोग इक्विटी से पैसे निकाल रहे हैं। कई आम निवेशकों ने मुनाफावसूली की है और देसी संस्थागत निवेशक भी कुछ नकदी अपने पास रखना चाह रहे हैं ताकि म्युचुअल फंड को ज्यादा भुनाए जाने पर भुगतान किया जा सके।’ फेड ने अपनी बैलेंस शीट में कमी लाने की रफ्तार भी बढ़ा दी है, जो बाजार के लिए चिंता का सबब है। कोविड के बाद पर्याप्त तरलता उपलब्ध होने या ब्याज कम होने की वजह से बाजार चढ़ गए थे। डॉलर में हालिया तेजी से चिंता बढ़ गई है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश की रफ्तार पहले जैसी बनी रहेगी या नहीं। जुलाई और अगस्त में विदेशी निवेश के दम पर बाजार ने अपने नुकसान की भरपाई की है। अगस्त में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 46,013 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे हैं।
वैश्विक बाजारों में शांघाई कंपोजिट को छोड़कर लगभग सभी बाजार गिरावट पर बंद हुए। चीन के बैंकों ने रियल एस्टेट उद्योग को सहारा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की थी, जिससे चीन के बाजार में तेजी आई।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में रिटेल शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘देसी मोर्चे पर कोई महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम नहीं होने से बाजार की नजरें वैश्विक संकेतों पर टिकी हैं। इस समय शेयरों का मूल्यांकन भी ज्यादा मुफीद नहीं है। ऐसे में जब तक जोखिम से मिलने वाला प्रतिफल अनुकूल नहीं हो जाता तो बाजार में गिरावट जारी रह सकती है।’
बीएसई के सभी 19 क्षेत्रीय सूचकांक आज नुकसान में बंद हुए। आईसीआईसीआई बैंक में 2.1 फीसदी की गिरावट आई। टाटा स्टील और एशियन पेंट्स सबसे ज्यादा नुकसान पर बंद हुए।
