एचएसबीसी में इक्विटी रणनीति प्रमुख (एशिया प्रशांत क्षेत्र) हेरल्ड वैन डेर लिंडे ने समी मोडक के साथ बातचीत में कहा कि भारत में आय वृद्धि की संभावना सभी एशियाई इक्विटी बाजारों में सर्वाधिक मजबूत बनी हुई है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि एचएसबीसी ने महंगे मूल्यांकन से जुड़ी चिंताओं के बावजूद भारत पर अपना सकारात्मक नजरिया क्यों अपनाया है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
चीन में हालात सामान्य हो रहे हैं। चीन और शेष एशिया के इक्विटी बाजारों पर इसका कितना असर पड़ेगा?
इससे एशियाई बाजार प्रभावित होंगे। वर्ष 2022 में, ज्यादातर चीनी उपभोक्ताओं ने खपत में कमी की और अपने एहतियातन संबंधित बचत बढ़ाने पर जोर दिया। इन बचत से शायद खपत को फिर से मजबूती मिलेगी और साथ ही व्यावसायिक गतिविधि तेज होगी। इस संबंध में घरेलू अर्थव्यवस्था-केंद्रित क्षेत्रों द्वारा मजबूत मुनाफा वृद्धि दर्ज किए जाने की संभावना है। चीन में कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और हेल्थकेयर क्षेत्रों में 2022 में 40 प्रतिशत और 60 प्रतिशत आय वृद्धि दर्ज की जा सकती है। चीन में खर्च वृद्धि का व्यापक प्रभाव देखा जा सकता है। इसका जिंसों की कीमतों और मुद्रास्फीति पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, जिससे केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरें कम करना मुश्किल दिख रहा है।
चीनी इक्विटी बाजारों ने तेजी के दायरे में प्रवेश किया है। क्या आप मानते हैं कि तेजी बरकरार रहेगी?
चीनी इक्विटी मौजूदा समय में कमजोर हैं, कई फंड अंडरवेट हैं। वे अभी भी महंगे नहीं हैं। हालांकि ताजा तेजी के बाद मूल्यांकन में सुधार आया है, लेकिन आय आय को तीन साल में पहली बार अपग्रेड किया जा रहा है। यह सब इसका संकेत है कि चीन के बाजारों में अधिक खरीदारी हो रही है। 2015 और 2016 में भी जब चीनी के बाजारों में इसी तरह का सुधार शुरू हुआ था तो दो साल में बाजार 75 प्रतिशत तक चढ़ गए।
अक्टूबर 2022 से भारतीय बाजारों ने कमजोर प्रदर्शन किया है। क्या भारत का प्रदर्शन कमजोर बना रहेगा?
अक्टूबर 2022 से, हमने इक्विटी बाजारों में दो बदलाव देखे हैं। पहला, वैश्विक बॉन्ड प्रतिफल में कमी आई है, इक्विटी की लागत घटी है। यह खासकर उस रणनीति के लिए सकारात्मक है जिसके तहत हम लंबी अवधि के शेयरों को पसंद करते हैं। दूसरा, कुछ फंडों ने यह सोचना शुरू किया है कि चीन अपनी नीतियों में बदलाव ला रहा है और जीरो-कोविड नीति से अलग चल रहा है तथा अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान दे रहा है। चीन में इन खरीदारी के वित्त पोषण के लिए फंडों ने उन बाजारों में बिकवाली शुरू की जहां वे ओवरवेट बने हुए थे। इनमें भारत और इंडोनेश्यिा भी शामिल हैं। चीन के इक्विटी बाजारों में प्रदर्शन सुधरने के बाद से इन दोनों बाजारों को संघर्ष करना पड़ा है।
आप कौन से बाजारों पर अंडरवेट हैं?
हम वैश्विक निवेश से जुड़े बाजारों पर अंडरवेट हैं, क्योंकि वैश्विक मांग में कमजोरी आने की आशंका है। इनमें ताइवान, सिंगापुर और मलेशिया शामिल हैं।
भारत उन बाजारों में शुमार है, जिन पर एचएसबीसी अंडरवेट है। क्या आप यहां महंगे मूल्यांकन को लेकर चिंतित नहीं हैं?
महंगा मूल्यांकन मुख्य चिंता है। हालांकि हमने भारत पर मध्यावधि नजरिया अपनाया है। हमें उम्मीद है कि भारत के लिए कई चीजें सही दिशा में चल रही हैं। इनमें ऋण में कमी, खपत में सुधार और निवेश वृद्धि मुख्य रूप से शामिल हैं। इसलिए, आय वृद्धि की संभावना भारत के लिए स्पष्ट है।
क्या आप साल के अंत तक सेंसेक्स में 15 प्रतिशत तेजी की उम्मीद कर रहे हैं? क्या इसे आय वृद्धि या मूल्यांकन में तेजी से मदद मिलेगी?
भारत की आय इस साल 20 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। इसके परिणामस्वरूप, ज्यादातर तेजी ऊंची आय की मदद से हासिल होगी।