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IPO टालने की तैयारी में कई भारतीय स्टार्टअप्स, अमेरिका में मंदी और ट्रेड वॉर ने बढ़ाई चिंता

US में आर्थिक मंदी और टैरिफ विवाद से निवेशकों का भरोसा डगमगाया, Ather Energy और LG Electronics India की लिस्टिंग भी अटकी

Last Updated- April 11, 2025 | 9:12 PM IST
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अमेरिका में संभावित आर्थिक मंदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ प्रस्तावों से पैदा हुई व्यापारिक तनातनी के कारण भारतीय टेक स्टार्टअप्स अपने आईपीओ की योजनाओं पर दोबारा सोचने को मजबूर हो रहे हैं। बाजार में बढ़ती अस्थिरता ने निवेशकों की रुचि घटा दी है, जिससे कई कंपनियां अपनी लिस्टिंग को टालने की सोच रही हैं।

EY इंडिया के फाइनेंशियल एक्सपर्ट वीनीत सुराना ने कहा, “अमेरिका के टैरिफ का असर सिर्फ व्यापार पर नहीं, बल्कि वैश्विक संबंधों और कंपनियों की भविष्य की योजना पर भी पड़ता है। जब तक स्थिरता नहीं आती, तब तक आईपीओ का मौसम कमजोर ही रहेगा। लेकिन दिवाली के बाद स्थिति सुधरने की उम्मीद है।”

2027 तक 100 अरब डॉलर वाली 30 स्टार्टअप्स करेंगी IPO की तैयारी

Rainmaker Group की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 30 स्टार्टअप्स—जिनकी कुल वैल्यू लगभग 100 अरब डॉलर है—2027 तक शेयर बाजार में कदम रखने की तैयारी में हैं। इनमें Flipkart, PhonePe, Lenskart, Razorpay, Zetwerk, Meesho और Ather Energy जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

हालांकि मौजूदा बाजार हालात ने इनमें से कई कंपनियों की योजनाएं बदल दी हैं। एक स्टार्टअप के अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “अगर आप अगले कुछ महीनों में आईपीओ लाना चाहते हैं, तो यह बाजार बहुत क्रूर है। यह माहौल सिर्फ मुनाफे पर ही नहीं, बल्कि निवेशकों के भरोसे पर भी चोट करता है।”

Ather और LG Electronics India की लिस्टिंग पर संशय

Ather Energy और LG Electronics India ने इस महीने के अंत में आईपीओ लाने की योजना बनाई थी, लेकिन अब सूत्रों के मुताबिक इन कंपनियों की लिस्टिंग टल सकती है। Ather अपने आईपीओ का साइज 400 मिलियन डॉलर से घटाकर 350 मिलियन डॉलर करने पर विचार कर रही है।

Unicorn India Ventures के फाउंडर अनिल जोशी ने कहा, “टैरिफ की वजह से लिस्टेड कंपनियों को नुकसान हो रहा है और यही असर स्टार्टअप्स पर भी पड़ेगा। इससे उनके वैल्यूएशन और आईपीओ प्राइस पर असर पड़ सकता है।”

विदेशी निवेश और सप्लाई चेन पर भी असर

Eximius Ventures की फाउंडर पर्ल अग्रवाल का कहना है कि टैरिफ की वजह से भारत में विदेशी निवेश खासकर पब्लिक मार्केट्स में घटा है। उन्होंने कहा, “जिन कंपनियों की आय का बड़ा हिस्सा विदेशों से आता है या जो ग्लोबल सप्लाई चेन पर निर्भर हैं, उन्हें ज्यादा झटका लग सकता है,”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि फैशन, ब्यूटी और वेलनेस कंपनियां जो चीन से प्रोडक्ट मंगाती हैं, उन्हें अब भारतीय विकल्प तलाशने होंगे। इससे लागत बढ़ेगी और वैल्यूएशन घट सकता है।

अमेरिका-चीन में बढ़ता टैरिफ युद्ध

जहां एक ओर अमेरिका ने चीन से आने वाले कुछ सामानों पर 145% टैरिफ लगा दिया है, वहीं चीन ने भी जवाब में अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। इस टकराव ने पूरी दुनिया के बाजारों को डांवाडोल कर दिया है।

फिर भी IPO को लेकर लंबी अवधि में भरोसा बरकरार

Redseer Strategy Consultants के अनुसार, भारत में 30 नई टेक कंपनियों की संयुक्त मार्केट वैल्यू अभी 110 अरब डॉलर से ज्यादा है। इनका मार्केट कैप 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इसका कारण है IPO के लिए तैयार होती कंपनियां, अच्छा रेगुलेटरी माहौल और घरेलू निवेश का बढ़ना।

First Published - April 11, 2025 | 9:04 PM IST

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