महिंद्रा ग्रुप ने बाजार नियामक सेबी चीफ माधवी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) के पति धवल बुच (Dhaval Buch) को भुगतान किए जाने के आरोपों को ‘झूठा और भ्रामक’ करार दिया है। शेयर बाजार को दी सूचना में ग्रुप ने कहा कि धवल बुच को सप्लाई चेन में उनकी विशेषज्ञता के लिए काम पर रखा गया था। ग्रुप ने विपक्षी दल कांग्रेस के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि उसने कभी भी सेबी से तरजीह के लिए अनुरोध नहीं किया।
एक एक्सचेंज फाइलिंग में, महिंद्रा ग्रुप ने कहा कि धवल बुच को भुगतान यूनिलीवर (HUL) में उनके वैश्विक अनुभव के आधार पर सप्लाई चेन विशेषज्ञता और प्रबंधन कौशल के लिए ली गई उनकी सेवा के लिए किया गया था।
ग्रुप ने अपने बयान में विपक्षी दल कांग्रेस का नाम लिए बगैर आरोपों को ‘झूठा और भ्रामक’ करार दिया और कहा, ‘‘हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि हमने कभी भी सेबी से किसी भी तरजीही व्यवहार के लिए अनुरोध नहीं किया है। हम कॉर्पोरेट प्रशासन के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हैं।’’
इससे पहले दिन में, कांग्रेस ने नए आरोप लगाए थे, जिसमें दावा किया गया था कि सेबी चीफ माधबी बुच और उनके पति धवल बुच एक सलाहकार फर्म से लाभ उठाते रहे हैं। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने अपने बयान में ‘अगोरा एडवाइजरी’ नामक एक कंपनी का उल्लेख किया था, जो माधबी और उनके पति की थी। खेड़ा ने दावा किया कि कंपनी में उस समय सेबी चीफ के पास 99 प्रतिशत हिस्सेदारी थी जब यह सलाहकार फर्म ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’ ग्रुप को सेवा प्रदान कर रही थी।
खेड़ा ने कहा, ‘‘जब आप कहीं नौकरी करते हैं तो वहां कुछ नियम होते हैं, लेकिन माधवी जी ने सभी नियमों को ताक पर रख दिया। माधवी जी ने अगोरा के जरिए 2 करोड़ 95 लाख रुपये कमाए इसमें सबसे ज्यादा 88 प्रतिशत पैसा महिंद्रा एंड महिंद्रा से आया। वहीं, माधवी पुरी जी के पति धवल बुच को साल 2019-21 के बीच में महिंद्रा एंड महिंद्रा से 4 करोड़ 78 लाख रुपए मिले। वो भी तब, जब माधवी पुरी बुच सेबी में पूर्णकालिक सदस्य थीं। यह नियमों का उल्लंघन है।’’
उन्होंने दावा किया कि इस दौरान सेबी ने महिंद्रा एंड महिंद्रा के पक्ष में कई ऑर्डर भी निकाले थे।
महिंद्रा ग्रुप ने अपने बयान में कहा, “आरोपों में जिन 5 सेबी आदेशों या अनुमोदनों का जिक्र किया गया है, वे अप्रासंगिक हैं।”
ग्रुप ने स्पष्ट किया कि इन पांच आदेशों में से तीन का कंपनी या उसकी किसी सहायक कंपनी से कोई संबंध नहीं है। एक अनुमोदन फास्ट-ट्रैक राइट्स इश्यू के लिए था, जिसके लिए सेबी की किसी भी मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी, और एक अन्य आदेश 2018 में जारी किया गया था, जब धवल बुच ने महिंद्रा ग्रुप के साथ काम करना शुरू नहीं किया था।
महिंद्रा ग्रुप ने एक बयान में कहा, ‘‘यूनिलीवर के वैश्विक मुख्य खरीद अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद, महिंद्रा ग्रुप ने धवल बुच को विशेष रूप से सप्लाई चेन में उनकी विशेषज्ञता के चलते 2019 में नियुक्त किया था। उन्होंने अपना अधिकांश समय ‘ब्रिस्टलकोन’ (Bristlecone) में बिताया है, जो एक सप्लाई चेन सलाहकार कंपनी है। बुच वर्तमान में कंपनी के बोर्ड में हैं। माधबी पुरी बुच को सेबी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाने से लगभग 3 साल पहले धवल बुच महिंद्रा ग्रुप में शामिल हुए थे।’’
(PTI के इनपुट के साथ)