भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी और घरेलू निवेशक LIC को जुलाई 2025 में भारी नुकसान हुआ है। बाजार में गिरावट की वजह से उसके निवेश की वैल्यू में ₹46,000 करोड़ की गिरावट आई है। 30 जून 2025 को LIC की कुल 322 कंपनियों में हिस्सेदारी की वैल्यू ₹16.10 लाख करोड़ थी, जो 25 जुलाई तक घटकर ₹15.64 लाख करोड़ रह गई। हालांकि अच्छी बात ये है कि अप्रैल 2025 के मुकाबले अब भी LIC की वैल्यू ₹1.94 लाख करोड़ ज्यादा है, जब बाजार ने 52 हफ्तों का निचला स्तर छुआ था।
LIC को सबसे बड़ा घाटा Reliance Industries से हुआ है। जुलाई में इस शेयर में 7.2% की गिरावट ने LIC के निवेश में ₹10,180 करोड़ की कटौती कर दी। इसके अलावा, चार आईटी कंपनियों – TCS, Infosys, HCL Technologies और Tech Mahindra – ने मिलकर ₹15,321 करोड़ का नुकसान किया। L&T, Bharti Airtel और ITC जैसे दिग्गज शेयरों ने भी LIC की वैल्यू में गिरावट की भूमिका निभाई।
L&T: ₹4,212 करोड़ घाटा
Bharti Airtel: ₹1,764 करोड़ घाटा
ITC: ₹1,362 करोड़ घाटा
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कुछ कंपनियों ने LIC के पोर्टफोलियो को थोड़ी राहत भी दी:
Hindustan Unilever: ₹1,821 करोड़ मुनाफा
ICICI Bank: ₹1,507 करोड़
SBI: ₹1,133 करोड़
Mahindra & Mahindra, Ambuja Cements, Patanjali Foods, ITC Hotels, UPL आदि से कुल मिला कर ₹760 करोड़ का फायदा हुआ।
Alphaniti Fintech के को-फाउंडर यू.आर. भट्ट का कहना है कि Jane Street मामले के बाद से विदेशी निवेशक (FIIs) भारतीय बाजार को लेकर चिंतित हैं। जुलाई 2025 में उन्होंने ₹20,263 करोड़ के शेयर बाजार से बेच दिए। वहीं, घरेलू निवेशकों (DIIs) ने इस दौरान ₹39,826 करोड़ का निवेश किया, जिससे बाजार को कुछ सहारा मिला।
भट्ट के मुताबिक, 1 अगस्त से लागू होने वाले अमेरिकी टैरिफ से पहले बाजार 2–3% तक और गिर सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका भारत-यूके ट्रेड डील से खुश नहीं है और इस समय भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की गैरमौजूदगी को लेकर बाजार में भी चिंता है। ऐसे में निवेशकों के लिए यह इंतजार और सतर्कता का समय है, जब तक स्थिति पूरी तरह साफ न हो जाए।
Equinomics Research के फाउंडर और रिसर्च हेड जी. चोक्कलिंगम का मानना है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी को लेकर बाजार में चिंता है। इसके अलावा, विदेशी निवेशक (FIIs) भारत की कंपनियों के तिमाही नतीजों और बाजार की कुल वैल्यूएशन पर भी नजर बनाए हुए हैं।
चोक्कलिंगम कहते हैं, “हमारी अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भरता है — खासकर आईटी सर्विस और दवा निर्यात में। अगर इन क्षेत्रों से कोई निगेटिव सरप्राइज आता है, तो इसका असर पूरे बाजार के मूड पर पड़ सकता है। यह सच है कि बाजार की वैल्यूएशन अभी थोड़ी महंगी है, लेकिन अगर कंपनियों के नतीजे अच्छे आए और ब्याज दरें स्थिर रहीं, तो निफ्टी 50 में अब भी 5–7% की तेजी की गुंजाइश है।”