म्युचुअल फंड

दूसरे की तुलना में इ​क्विटी पर हमारा ज्यादा निवेश: केनरा रोबेको म्युचुअल फंड सीईओ रजनीश नरूला

फंड हाउस भारत के शीर्ष 15 परिसंप​त्ति प्रबंधकों में नहीं है, लेकिन वह अल्पाव​धि एयूएम वृद्धि के पीछे भागने के बजाय टिकाऊ, इक्विटी-केंद्रित व्यवसाय बनाने पर जोर दे रहा है

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- October 07, 2025 | 10:04 PM IST

केनरा रोबेको म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्या​धिकारी रजनीश नरूला का कहना है कि हालांकि उनका फंड हाउस भारत के शीर्ष 15 परिसंप​त्ति प्रबंधकों में नहीं है, लेकिन वह अल्पाव​धि एयूएम वृद्धि के पीछे भागने के बजाय टिकाऊ, इक्विटी-केंद्रित व्यवसाय बनाने पर जोर दे रहा है। 1,326 करोड़ रुपये के आईपीओ से पहले सुंदर सेतुरामन को दिए साक्षात्कार के अंश:

म्युचुअल फंड उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। आपका फंड हाउस दूसरों से कैसे अलग है?

शीर्ष 10 कंपनियों की तुलना में हमारा व्यवसाय सबसे ज्यादा इक्विटी केंद्रित है। हमारी रणनीति हाई-इक्विटी ऑरिएंटेशन पर आधारित है, हमारी लगभग 91 प्रतिशत एयूएम इक्विटी में है। जब बाजार में उतार-चढ़ाव होता है तो यह फोकस हमें अधिक संवेदनशीलता और बेहतर रिटर्न की संभावना प्रदान करता है। इक्विटी हर साल बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकती, लेकिन अगर वह 10 में से 7 बार ऐसा करती है, तो यह एक भरोसेमंद परिसंप​त्ति वर्ग है। बड़े प्रतिस्पर्धियों के साथ अंतर पाटने के लिए हमारा सबसे अच्छा तरीका इक्विटी परिसंप​त्ति का अनुपात से ज्यादा हिस्सा हासिल करना है। यह अधिक स्थिर आधार भी है।

इ​क्विटी-केंद्रित फंडों पर आपके ज्यादा ध्यान का कारण?

शुरुआत में, हम मुख्य रूप से फिक्स्ड इनकम वाली कंपनी थे। हमारी एयूएम का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा डेट फंडों से आता था। हमारा संयुक्त उद्यम सितंबर 2007 में लीमन संकट से ठीक पहले शुरू हुआ जिसने हमें बड़े सबक दिए। ऐसी घटनाएं एक या दो दशक में एक बार होती हैं, लेकिन वे एक तथ्य बताती हैं। तरलता के जोखिमों से बचने के लिए आपको इक्विटी में मजबूत उपस्थिति रखनी होगी। आज हमारी इक्विटी बाजार हिस्सेदारी लगभग 2.5 प्रतिशत है जबकि हमारी कुल हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत है, जो इस सतर्क रणनीतिक बदलाव को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।

आपके व्यवसाय पर किन नियामकीय बदलावों का अधिक असर पड़ा है?

संशोधित टोटल एक्सपेंस रे​शियो व्यवस्था के तहत अग्रिम कमीशन से ट्रेल कमीशन मॉडल में बदलाव करना सबसे महत्त्वपूर्ण रहा। इसने उद्योग के संचालन के तरीके को बुनियादी तौर पर बदल दिया, निवेशकों, वितरकों और निर्माताओं के हितों को अनुरूप बनाया और अधिक समान अवसर प्रदान किए। यह भी सुनिश्चित किया कि रिवार्ड्स तत्काल लाभ के बजाय अवधि और मूल्य सृजन से जुड़े हों।

एक साल के सुस्त रिटर्न के बावजूद इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश मजबूत बना हुआ है। क्या लगातार कमजोर बाजार निवेश को प्रभावित कर सकता है?

निवेश में मजबूती भारतीय निवेशकों की बढ़ती परिपक्वता और उद्योग जगत के सामूहिक प्रयासों (एम्फी और परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के माध्यम से दीर्घाव​धि निवेश को बढ़ावा देना) को दर्शाती है। यह संदेश लोगों तक पहुंच गया है और यही बात बाजार के चुनौतीपूर्ण बाजार दौर के समय भी फंडों में निवेश को स्थिरता देती है।

पैसिव फंडों का चलन बढ़ रहा है। क्या इससे मार्जिन पर दबाव पड़ता है?

गणना की दृ​ष्टि से हां, पैसिव फंड कम शुल्क वाली योजनाएं हैं और इनकी अधिक हिस्सेदारी औसत प्रतिफल कम कर सकती है। लेकिन एएमसी व्यवसाय का परिचालन लाभ मजबूत है तो प्रबंधकों और प्रणालियों का वही समूह अधिक बड़ी एयूएम को भी संभाल सकता है। इसलिए केवल मार्जिन पर ध्यान देने के बजाय हम कर-पश्चात लाभ (पीएटी) और लागत-से-आय अनुपात जैसे लाभप्रदता मानकों पर ध्यान देते हैं।

First Published : October 7, 2025 | 9:59 PM IST