भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को म्युचुअल फंड (एमएफ) और विशेष निवेश फंड (एसआईएफ) की ज्यादा भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट्स) को इक्विटी से संबंधित साधन के रूप में दोबारा वर्गीकृत किया। लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट (इनविट्स) को हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट के रूप में ही माना जाता रहेगा।
नियामक ने कहा कि 1 जनवरी, 2026 से म्युचुअल फंड या एसआईएफ द्वारा रीट्स में किया गया कोई भी निवेश इक्विटी निवेश के रूप में गिना जाएगा। लेकिन रीट्स को इक्विटी सूचकांकों में शामिल करने की अनुमति 1 जुलाई, 2026 से ही दी जाएगी। रीट्स के इक्विटी ऐसेट बन जाने के बाद डेट फंड अब उनमें निवेश नहीं कर पाएंगे।
सेबी ने कहा कि 31 दिसंबर, 2025 तक उनकी होल्डिंग्स की ग्रैंडफादरिंग कर दी जाएगी और उन्हें समय के साथ अपनी होल्डिंग्स को बेचने के लिए प्रेरित किया जाएगा। सेबी ने कहा, एएमसी को बाजार की स्थितियों, तरलता और निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए ऋण योजनाओं से संबंधित पोर्टफोलियो से रीट्स को अलग करने के प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
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नियामक ने एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) से इस बदलाव को दर्शाने के लिए शेयरों की वर्गीकरण सूची को अपडेट करने के लिए कहा है। ऐसेट मैनेजरों को स्कीम के दस्तावेज को अपडेट करने के लिए एक परिशिष्ट जारी करना होगा। सेबी ने स्पष्ट किया है कि इस अपडेट को म्युचुअल फंड स्कीमों के लिए कोई बुनियादी बदलाव नहीं माना जाएगा।
परिपत्र में यह भी कहा गया है कि रीट्स को इक्विटी सूचकांकों में 1 जुलाई, 2026 के बाद ही जोड़ा जा सकेगा।
पुनर्वर्गीकरण से रीट्स की मांग में वृद्धि और तरलता में सुधार की उम्मीद है क्योंकि वर्तमान सीमाएं अब लागू नहीं होंगी। इससे स्थिर निवेश, बेहतर मूल्य निर्धारण और संस्थागत भागीदारी बढ़ सकती है।