अमेरिकी मंदी की आशंकाओं के कारण बाजार में भारी बिकवाली ने एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया और एथर एनर्जी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की राह अनिश्चित कर दी है। ये दोनों कंपनियां इस महीने के बाद वाले हिस्से में आईपीओ लाने वाली थीं। सूत्रों के अनुसार वैश्विक व्यापार तनाव के बीच बाजार धारणा में अचानक आए नकारात्मक बदलाव के बाद दोनों अब आईपीओ में देर करने की योजना बना रही हैं।
होम अप्लायंसेज दिग्गज एलजी के आईपीओ का आकार 15,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है और यह भारत में पांचवां सबसे बड़ा निर्गम होगा। इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता एथर का आईपीओ आकार करीब 4,000 करोड़ रुपये का है।
सूत्रों का कहना है कि दोनों कंपनियां मौजूदा बाजार हालात के हिसाब से अपने निर्गम का आकार और मूल्यांकन कम करने पर विचार कर रही हैं। हालांकि दोनों कंपनियों ने इन आंकड़ों की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है।
इस घटनाक्रम के जानकार एक अधिकारी ने कहा, ‘बाजार में मार्च के निचले स्तर से मजबूत रिकवरी के बाद, एलजी और एथर ने अप्रैल के तीसरे या चौथे सप्ताह में अपने आईपीओ लाने की योजनाएं बना ली थीं। यहां तक कि संभावित तारीखें भी तय कर ली थीं। हालांकि, हाल में हुई उथल-पुथल ने अनिश्चितता पैदा कर दी है। इन पेशकश के के हाई-प्रोफाइल होने से वे तब अपने आईपीओ लाना करना पसंद करेंगी जब बाजार धारणा अनुकूल होगी।’
एलजी इंडिया के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम बाजार की अटकलों या अफवाहों पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।’ इस संबंध में एथर को भेजे गए सवालों का भी जवाब नहीं मिला है। आईपीओ के लिए एलजी ने एक महीने पहले ही सेबी की मंजूरी हासिल की थी जबकि एथर को दिसंबर में इसकी मंजूरी मिली थी।
एलजी और एथर के अलावा, कुछ अन्य कंपनियां भी अपने आईपीओ के लिए अनुकूल हालात का इंतजार कर रही हैं। इनमें स्मार्टवर्क्स, ब्रिगेड होटल्स, एजिस वोपैक, नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी, इंडीक्यूब और इंडोगल्फ क्रॉपसाइंसेज मुख्य रूप से शामिल हैं।
मार्च की शुरुआत में निफ्टी-50 सूचकांक जून 2024 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। तब निफ्टी अपने ऊंचे स्तर से 16 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया था। इस वजह से उस महीने कोई मुख्य बाजार का आईपीओ नहीं आया था। ऐसा मई 2023 के बाद पहली बार हुआ।
फिर भी, उन निचले स्तरों से 8 प्रतिशत की मजबूत रिकवरी ने इक्विटी पूंजी बाजार (ईसीएम) की गतिविधियों के अवसरों को फिर से जिंदा कर दिया। इससे कई सूचीबद्ध कंपनियों की शेयर बिक्री में तेजी आई। अगर अप्रैल में कोई आईपीओ नहीं आता है तो यह फरवरी 2023 के बाद से सबसे लंबा सूखा दौर होगा।
आईपीओ लानेकी रफ्तार में सुस्ती बाजार में भारी गिरावट की वजह से आई है। सितंबर के अपने ऊंचे स्तर से निफ्टी में अब तक 15 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांकों में लगभग 20 प्रतिशत की कमजोरी आई है।
एक अन्य बैंकर ने बताया, ‘पिछला वर्ष आईपीओ के लिए अनुकूल था। लेकिन मूल्यांकनों में बड़ी गिरावट की वजह से कंपनियों को अपनी उम्मीदें कम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कई प्रमोटर अभी भी इस वास्तविकता से जूझ रहे हैं।’ वर्ष 2024 में 91 कंपनियों ने आईपीओ के जरिये रिकॉर्ड 1.6 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। इस साल अब तक महज 9 कंपनियों ने आईपीओ से कुल 15,723 करोड़ रुपये जुटाए हैं।