विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी आने के मद्देनजर वित्त मंत्रालय ने संकेत दिया कि सरकार रुपये की गिरावट को थामने और किसी विशिष्ट स्तर पर सहारा देने के लिए अत्यधिक डॉलर की बिकवाली करने के पक्ष में नहीं है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘रुपया जिस स्तर तक जाता है, उसे जाने दिया जाए। हम किसी कृत्रिम या काल्पनिक विनिमय दर के स्तर पर रुपये को सहारा देने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार को कुर्बान नहीं कर सकते हैं।’
डॉलर के मुकाबले रुपया आज 37 पैसे और लुढ़ककर 81.90 पर बंद हुआ। इससे ज्यादा सख्त मौद्रिक नीति का भी डर सताने लगा है।
इस बीच देश का विदेशी मुद्रा भंडार 16 सितंबर को दो साल के निचले स्तर 545.65 अरब डॉलरडॉलर पर रह गया जो 25 फरवरी के स्तर से 85.88 अरब डॉलर कम है। हालांकि विदेशी मुद्रा भंडार 9 महीने के आयात के भुगतान के लिए पर्याप्त है। लेकिन एक साल पहले यह 15 महीने के आयात के भुगतान की भरपाई करने
जितना था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये में भारी उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए करीब 75 अरब डॉलर खर्च किए हैं।