भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा IPO प्रक्रिया में लगने वाला समय घटाने का निर्णय लिए जाने से ज्यादा संख्या में कंपनियों को उपयुक्त बाजार हालात के दौरान अपने निर्गमों पर आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। बाजार जानकारों का कहना है कि IPO प्रक्रिया में लगने वाला समय घटने से निवेशकों की भागीदारी को भी बढ़ावा मिलेगा।
मोतीलाल ओसवाल इन्वेस्टमेंट एडवायजर्स के प्रबंध निदेशक (MD) एवं मुख्य कार्याधिकारी (CEO) अभिजीत टारे का कहना है, ‘IPO प्रक्रिया के तहत लॉक पैसा जल्द रिलीज करने से छोटे निवेशकों को उस पूंजी का इस्तेमाल अन्य निर्गमों के लिए करने में मदद मिलेगी। इससे ज्यादा कंपनियां बेहद कम समय के दौरान IPO बाजार में अपने निर्गम पेश करने में सफल हो सकती हैं।’
बुधवार को बाजार नियामक ने घोषणा की कि उसके बोर्ड ने एक्सचेंजों पर शेयरों की लिस्टिंग के लिए समय-सीमा 6 दिन से घटाकर 3 दिन कर दी है। जब इस नए बदलाव पर अमल हो जाएगा तो आवेदकों को 6 दिनों की मौजूदा प्रतीक्षा अवधि के मुकाबले निर्गम बंद होने के बाद सिर्फ तीन दिन के अंदर शेयर मिल जाएंगे। जिन निवेशकों को शेयर नहीं मिलेंगे, उन्हें तीन दिन के अंदर उनका पैसा मिल सकेगा।
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इस निर्णय का मर्चेंट बैंकरों और ब्रोकरों जैसे बिचौलियों के लिए सकारात्मक असर दिखने की संभावना है। विश्लेषकों का कहना है कि चूंकि संपूर्ण IPO प्रक्रिया के प्रबंधन में संबद्ध प्रक्रिया से जुड़ी कंपनियों के लिए कम समय लगेगा, इसलिए मौजूदा व्यवस्था ज्यादा संख्या में निर्गमों को कम समय में संभालने में सक्षम होगी।
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एयूएम कैपिटल मार्केट में नैशनल हेड (वेल्थ) मुकेश कोछड़ ने कहा, ‘यह बदलाव सभी हितधारकों के लिए फायदेमंद है। इससे एक्सचेंजों, मर्चेंट बैंकरों, बैंकों, डिपोजिटरी और ब्रोकरों, सभी का समय बचेगा।’