वर्ष 2025 में ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) दाखिल करने की रफ्तार मजबूत बनी हुई है। इससे शेयर बाजारों में कमजोरी और प्राथमिक बाजार की गतिविधियों में सुस्ती के बावजूद आईपीओ में भरोसा बरकरार रहने का संकेत मिलता है। जनवरी और मई के बीच 85 कंपनियों ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास अपने आईपीओ आवेदन जमाए कराए। यह एक दशक में इस अवधि का सर्वाधिक आंकड़ा है।
इस साल डीआरएचपी फाइल करने वाली प्रमुख कंपनियां हैं टाटा कैपिटल, अर्बन कंपनी और केनरा रोबेको ऐसेट मैनेजमेंट। डीआरएचपी एक प्रारंभिक प्रॉस्पेक्टस है जो आईपीओ लाने से पहले जमा कराया जाता है। इसमें शेयर पेशकश का आकार, वित्तीय विवरण और जोखिम कारक जैसी प्रमुख बातें शामिल होती हैं।
दाखिल आवेदनों के मुकाबले इस साल अब तक केवल 10 आईपीओ ही आए हैं। पिछले साल इसी अवधि में 29 आईपीओ आ गए थे। जाहिर है, इस साल का आंकड़ा कम है। आईपीओ गतिविधियों में कमी के लिए बैंकर अक्टूबर 2024 से सेकंडरी बाजार में जारी लगातार बिकवाली के कारण आई कमजोर धारणा को बताते हैं। यह गिरावट कमजोर कॉरपोरेट आय, मूल्यांकन की चिंताओं और डॉलर में मजबूती से आई।
इसके अलावा, डॉनल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में लौटने के बाद नीतिगत अनिश्चितता और जवाबी शुल्क के ऐलानों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारत सहित उभरते बाजारों में आवंटन कम कर दिया। लगभग दो वर्ष में मार्च ऐसा पहला महीना था जब एक भी आईपीओ नहीं आया जबकि अप्रैल में केवल एक आईपीओ पूरा हुआ। फिर भी कंपनियों ने ऑफर डॉक्यूमेंट दाखिल करना जारी रखा। मार्च और अप्रैल में उन्होंने 32 डीआरएचपी जमा किए गए।
निवेश बैंकरों ने कहा कि आईपीओ लाने की तैयारी करने वाली कंपनियां बाजार के अधिक स्थिर हालात की उम्मीद में अपनी कवायद में लगी हुई हैं। इक्विरस में निवेश बैंकिंग के प्रबंध निदेशक वेंकटराघवन एस ने कहा, ‘डीआरएचपी तैयार करने में तीन-चार महीने लगते हैं और सेबी की राय आने में और तीन-चार महीने लग जाते हैं। उसके बाद आईपीओ के लिए एक साल की अवधि होती है। चूंकि यह पता है कि आईपीओ शुरू करने से पहले छह महीने का इंतजार है, इसलिए कंपनियां बाजार के स्थिर होने पर तैयार रहना चाहती हैं।’
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा कि डीआरएचपी दाखिल करना आम तौर पर किसी कंपनी के लिए आईपीओ तैयारी में अंतिम चरणों में से एक होता है। अधिकांश कंपनियों ने अक्टूबर में बिकवाली शुरू होने से पहले ही अपने ऑफर डॉक्यूमेंट दाखिल करने की योजना बना ली होगी।
कारोबारियों को उम्मीद है कि आर्थिक हालात अनुकूल होने और आईपीओ गतिविधियों में सुधार के संकेत सामने आने के साथ-साथ फाइलिंग और पेशकश दोनों में तेजी आएगी। बेलराइज इंडस्ट्रीज और बोराना वीव्स के दो ऑफर इस सप्ताह बंद होने वाले हैं। अगले सप्ताह एजीस वोपैक टर्मिनल्स और श्लॉस बैंगलोर के इश्यू आएंगे। कुल मिलाकर, चार सार्वजनिक ऑफर का लक्ष्य 8,595 करोड़ रुपये जुटाना है।
वेंकटराघवन ने कहा, ‘हम पहले से ही इस महीने बड़े आईपीओ आते देख रहे हैं। जून तिमाही थोड़ी सुस्त रहेगी क्योंकि कंपनियों ने दिसंबर तक नौ महीने के आंकड़ों के बजाय पूरे साल (मार्च तिमाही सहित) के आंकड़ों के साथ आईपीओ लाने का फैसला किया होगा। लेकिन आईपीओ पेशकशों के मामले में सितंबर तिमाही अधिक मजबूत होगी।’