भारत की सबसे बड़ी डिपोजिटरी नैशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी (एनएसडीएल) को आईपीओ लाने के लिए अपना डीआरएचपी सौंपने के करीब एक साल बाद भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से मंजूरी मिल गई है। बाजार नियामक ने कंपनी के डीआरएचपी पर 30 सितंबर को अंतिम राय दी थी। यह डीआरएचपी जुलाई 2023 में सौंपा गया था।
एनएसडीएल के डीआरएचपी को अगस्त से दिसंबर के बीच स्थगित रखा गया। इससे भी अंतिम मंजूरी मिलने में देरी हुई। एनएसडीएल की पहली शेयर बिक्री पूरी तरह ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) होगी। इसमें 6 शेयरधारक- नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), आईडीबीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एसबीआई और भारत सरकार (एसयूयूटीआई) अपनी हिस्सेदारी घटाएंगे।
सेंट्रल डिपोजिटरी सर्विसेज (सीडीएसएल) का शेयर 0.5 प्रतिशत चढ़कर 1,375 रुपये पर बंद हुआ जिससे देश की एकमात्र दूसरी डिपोजिटरी की वैल्यू बढ़कर 28,738 करोड़ रुपये हो गई। इस समय एनएसडीएल में एनएसई की 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि आईडीबीआई 26 प्रतिशत भागीदारी के साथ सबसे बड़ा शेयरधारक है।
एनएसडीएल का आईपीओ नियामकीय जरूरत पूरी करने के लिए जरूरी है। नियामकीय जरूरत के हिसाब से मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन सेगमेंट में किसी कंपनी के स्वामित्व पर 15 प्रतिशत की सीमा है। 2018 में तैयार किए गए नियमों में संस्थाओं को 15 प्रतिशत से अधिक वाली हिस्सेदारी कम करने के लिए पांच साल का समय दिया गया था।
यह पांच वर्षीय समय-सीमा 3 अक्टूबर, 2023 को समाप्त हो गई। एनएसई ने समय-सीमा बढ़ाने के लिए सेबी से अनुरोध किया था।