भारत का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) बाजार सेक्टर वर्चस्व के नियमों को दोबारा लिख रहा है और विविध क्षेत्र की कंपनियां शेयर बाजार में उतर रही हैं। औद्योगिक और उपभोक्ता कारोबार से जुड़ी कंपनियां साल 2025 में आईपीओ की सूची में सबसे आगे हैं जबकि वित्तीय सेवाओं और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) जैसे पारंपरिक दिग्गजों ने उच्च कीमत मूल्य वाली भूमिका निभाई है।
प्राइम इन्फोबेस के आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक नौ आईपीओ के साथ औद्योगिक क्षेत्र अग्रणी बनकर उभरा है जबकि सात आईपीओ के साथ उपभोक्ता विवेकाधीन क्षेत्र (कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी) दूसरे पायदान पर है।
यह पिछले दौर से स्पष्ट बदलाव का संकेत है जब वित्तीय सेवाएं और आईटी नियमित रूप से नई लिस्टिंग में छाए रहते थे। इन दोनों सेक्टरों से इस साल अब तक केवल एक-एक लेकिन बड़े आईपीओ आए हैं जिनमें एचडीबी फाइनैंशियल और हेक्सावेयर जैसी कंपनियां शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव उन उद्योगों से बढ़ती परिपक्वता और आईपीओ की व्यापक स्वीकार्यता का संकेत है, जिन्हें पहले प्रतिरोध का सामना करना पड़ता था।
इस बीच स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में तेजी बनी हुई है और इस क्षेत्र में नियमित रूप से आईपीओ आ रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की 17 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 26,672 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसके विपरीत फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स यानी एफएमसीजी का भले ही पारंपरिक रूप से वर्चस्व रहा हो, लेकिन इस साल की आईपीओ सूची में अभी तक उसका नाम नहीं है।
इक्विरस के चेयरमैन और समूह प्रबंध निदेशक अजय गर्ग ने कहा, आईपीओ के लिए आवेदन करते समय एक अच्छी बढ़त दर स्पष्ट होनी चाहिए। अगर आपका सेक्टर मुश्किलों का सामना कर रहा है तो आपको इंतजार करना पड़ सकता है। उनका मानना है कि वित्तीय क्षेत्र के आईपीओ का संयोजन उधार केंद्रित मॉडलों से पूंजी बाजार केंद्रित कंपनियों की ओर होगा क्योंकि बाजार के आयाम बदल रहे हैं।
बाजार में आ रहे आईपीओ इस रुझान को और मजबूत करते हैं। आगामी आईपीओ में इंजीनियरिंग, बिजली उत्पादन और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों का दबदबा है। वित्तीय क्षेत्र में भी कीमत और वॉल्यूम दोनों में वृद्धि की उम्मीद है जहां एक दर्जन से अधिक आईपीओ आने वाले हैं।
आईटी, केमिकल और फूड प्रोसेसिंग कंपनियों ने भी आईपीओ के अच्छे खासे आवेदन जमा कराए हैं। उधर, कृषि से लेकर सौर ऊर्जा क्षेत्र की अच्छी कंपनियां और नई पीढ़ी की तकनीकी कंपनियां भी अपने लिए रास्ता बना रही हैं।
प्राइम डेटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, 2010 के दशक के अंत में आए निर्गमों में वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों का दबदबा था। अब इसे व्यापक होते देखना उत्साहजनक है। एक ओर पारंपरिक विनिर्माण कंपनियां हैं, तो दूसरी ओर नए जमाने की तकनीकी कंपनियां।
फिलहाल, सेबी से मंजूरी हासिल कर चुकी 70 से ज्यादा कंपनियां आईपीओ के जरिए 1.2 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही हैं। वहीं 90 अन्य कंपनियां भी 1.4 लाख करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए नियामक की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं।