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Tata Trusts की बैठक में टाटा संस विवाद पर चर्चा नहीं, न्यासियों ने परोपकारी पहल पर ध्यान केंद्रित किया

150 अरब डॉलर के टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 66 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाला टाटा ट्रस्ट्स आंतरिक कलह से जूझ रहा है

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देव चटर्जी   
Last Updated- October 10, 2025 | 10:28 PM IST

केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के कुछ दिनों के भीतर ही टाटा ट्रस्ट्स की आज हुई बैठक में न्यासियों ने टाटा संस से संबंधित किसी भी विवादास्पद मुद्दे पर चर्चा से परहेज किया। इसके बजाय उन्होंने परोपकारी पहल पर ध्यान केंद्रित करने पर विचार किया।

150 अरब डॉलर के टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 66 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाला टाटा ट्रस्ट्स आंतरिक कलह से जूझ रहा है। ट्रस्ट के कुछ न्यासी टाटा संस के बोर्ड में निदेशकों को नियुक्त करने, कंपनी को सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हैं और सितंबर में हुई हंगामेदार बैठक के दौरान टाटा संस के बोर्ड में ट्रस्ट्स के नामित सदस्य विजय सिंह को हटाने को लेकर भी वे सहमत नहीं हैं।

गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्रस्ट्स के दोनों गुटों से अपने मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने और टाटा समूह के संचालन में व्यवधान से बचने का आग्रह किया था। इसके बाद आज हुई टाटा ट्रस्ट्स की बैठक में न्यासियों के रुख में नरमी देखी गई। टाटा समूह का कारोबार प्रौद्योगिकी और इस्पात से लेकर वाहन तथा विमानन क्षेत्र तक फैला हुआ है।

टाटा ट्रस्ट्स का बोर्ड फिलहाल दो खेमों में बंटा हुआ है। एक का नेतृत्व टाटा परिवार के मुखिया नोएल टाटा कर रहे हैं और दूसरे का नेतृत्व दिवंगत रतन टाटा के करीबी मेहली मिस्त्री कर रहे हैं। नोएल को टाटा ट्रस्ट्स के वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह का समर्थन प्राप्त है जबकि मिस्त्री को बोर्ड में शामिल सिटीबैंक इंडिया के पूर्व प्रमुख प्रमित जवेरी, वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा और पुणे के जहांगीर अस्पताल के प्रवर्तक जहांगीर एच जहांगीर का समर्थन प्राप्त है।

सितंबर में टाटा ट्रस्ट्स ने पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को उनकी उम्र का हवाला देते हुए टाटा संस के बोर्ड से हटाने का फैसला किया था। इस कदम का नोएल टाटा और श्रीनिवासन ने विरोध किया लेकिन मिस्त्री, झावेरी और दोराबजी टाटा ट्रस्ट के खंबाटा और सर रतन टाटा ट्रस्ट के जहांगीर ने समर्थन किया, हालांकि सिंह ने खुद को इससे अलग कर लिया।

बाद में नोएल, श्रीनिवासन और सिंह ने टाटा संस बोर्ड में मिस्त्री द्वारा प्रस्तावित नाम को नियुक्त करने के खिलाफ मतदान किया जिसमें मिस्त्री ने खुद को अलग रखा। 

कुछ न्यासियों को आशंका थी कि आज की बैठक में श्रीनिवासन को निशाना बनाया जा सकता है लेकिन सरकार के हस्तक्षेप के बाद इस मुद्दे को एजेंडे से हटा दिया गया। फिलहाल श्रीनिवासन और नोएल टाटा संस के बोर्ड में टाटा ट्रस्ट्स का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। किसी भी ट्रस्टी ने बैठक के परिणाम पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी नहीं की।

First Published : October 10, 2025 | 10:28 PM IST