प्राथमिक बाजार में तेजी से उन कंपनियों को नई संजीवनी मिली है जो पहले प्रयास में अपना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) नहीं ला पाई थीं। इस साल अभी तक 14 कंपनियों ने आईपीओ के लिए नए सिरे से मसौदा (डीआरएचपी) जमा कराया है। इनमें से करीब आधा दर्जन कंपनियां अपने शेयर को एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध कराने में सफल रही हैं।
इन कंपनियों में नॉर्दर्न आर्क कैपिटल, आधार हाउसिंग फाइनैंस, अलायड ब्लेंडर्स ऐंड डिस्टिलर्स, गोदावरी बायोरिफाइनरीज और ली ट्रैवेन्यूज टेक्नोलॉजी शामिल हैं।
कुछ कंपनियां हैं जिन्होंने कई वर्षों के बाद सूचीबद्ध कराने की अपनी योजना को पुनर्जीवित किया है और कुछ प्राइवेट कंपनी में बदलने के बाद अब सूचीबद्ध होने की सोच रही हैं।
मुंबई की रियल एस्टेट कंपनी कल्पतरु ने पिछले निर्गम दस्तावेज की वैधता खत्म होने के 11 साल बाद अगस्त 2024 में दोबारा डीआरएचपी दाखिल किया है। एक्मे सोलर होल्डिंग्स ने पांच साल बाद अपना डीआरएचपी जमा कराया है। इसी तरह अमंता हेल्थकेयर ने एक दशक से अधिक समय के बाद अपने ऑफर दस्तावेज दाखिल किए।
नवंबर 2020 में घरेलू स्टॉक एक्सचेंज से सूचीबद्धता खत्म करने के बाद हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज आईपीओ लाने के लिए इस साल सितंबर में डीआरएचपी जमा कराया है।
निवेश बैंकरों का कहना है कि बाजारों में तेजी, मूल्यांकन में सुधार और सभी क्षेत्र की कंपनियों की निवेशकों के बीच व्यापक स्वीकार्यता को देखते हुए कंपनियां बाजार में उतरने के लिए प्रेरित हुई हैं।
2024 में अभी तक 68 फर्मों ने आईपीओ के माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रकम जुटा चुकी हैं। 2021 के बाद यह दूसरा मौका है जब आईपीओ के जरिये 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पैसे जुटाए गए हैं।
आधार हाउसिंग फाइनैंस, अलाइड ब्लेंडर्स, ली ट्रैवेन्यूज और वन मोबिक्विक सिस्टम्स जैसी कुछ फर्मों ने अपने निर्गम आकार में कटौती की है। लेकिन ऐसा सभी के साथ नहीं हुआ है। कुछ कपनियों ने अपने पिछले निर्गम के आकार को बनाए रखा है वहीं कुछ ऐसी भी कंपनियां हैं जिन्होंने अपने निर्गम के आकार को बढ़ाया है।
एक्मे सोलर होल्डिंग्स, गोदावरी बायोरिफाइनरीज और कल्पतरु ने अपने निर्गम के आकार को बढ़ा दिया था जबकि अवांसे फाइनैंशियल सर्विसेज ने पिछली बार जितना ही निर्गम का आकार रखा है।
डीआरएचपी प्रारंभिक दस्तावेज होता है जिसे आईपीओ से पहले बाजार नियामक के पास जमा कराना होता है। इसमें निर्गम में बेचे जाने वाले शेयरों की संख्या, वित्तीय परिणाम और जोखिम कारक जैसे जरूरी विवरण होते हैं। किसी कंपनी को अनुमति मिलने के एक साल के अंदर आईपीओ लाना होता है।
इक्विरस के प्रबंध निदेशक और इक्विटी कैपिटल मार्केट्स के प्रमुख मुनीश अग्रवाल ने कहा, ‘बीते समय में कंपनी के आईपीओ नहीं लाने के पीछे अलग-अलग कारण रहे होंगे। संरचनात्मक रूप से कारोबार में मजबूत पकड़ होगी चाहे वे पहली बार दाखिल कर रहे हों या फिर दोबारा से आईपीओ के लिए मसौदा जमा करा रहे हों। निवेशक तेजी से बढ़ते बाजार में नए विचारों को आजमाने के लिए तैयार हैं। जब बाजार अच्छा कर रहा होता है ओर निवेशकों को भी फायदा मिलता है तो नए विचारों को आजमाने की दर हमेशा अधिक होती है। बीते दो साल में गिने-चुनी कंपनियों ने ही अपने आईपीओ निर्गम को टाला है।’