भारतीय बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर कारोबार कर रहे हैं। फ्रैंकलिन टेम्पलटन इमर्जिंग मार्केट्स इक्विटी के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक एवं पोर्टफोलियो प्रबंधन निदेशक सुकुमार राजा ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के उभरते बाजारों पर मौद्रिक नीतिगत प्रभाव का असर अब सीमित है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
क्या केंद्रीय बैंक, खासकर अमेरिकल फेडरल के कदम की वजह से वैश्विक इक्विटी बाजारों को अगले कुछ महीनों के दौरान चिंतित होने की जरूरत है?
फेड का मौद्रिक नीतिगत नजरिया अल्पावधि में बाजार को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक बना रहेगा। हालांकि हमारा मानना है कि निवेशक कुछ खास कंपनियों में बुनियादी आधार और आय रुझानों पर फिर से ध्यान बना रहेगा, क्योंकि हम मौद्रिक नीतिगत सख्ती चक्र के अंत की ओर बढ़ रहे हैं। उभरते बाजारों पर फेड की मौद्रिक नीति का प्रभाव अब पिछले चक्रों के मुकाबले सीमित है, क्योंकि विकसित बाजार के मुकाबले अन्य कारकों में मांग का बड़ा योगदान है।
आप एशियाई और ईएम के संदर्भ में निवेश बाजार के तौर पर भारत को किस नजरिये से देख रहे हैं?
हम भारत को उसके मजबूत वृहद आर्थिक परिदृश्य की वजह से एशिया और ईएम के संदर्भ में आकर्षक निवेश स्थान के तौर पर देख रहे हैं। भारत में निवेश के लिहाज से मजबूत आधार वाली कंपनियां मौजूद हैं। बॉटम-अप आधार पर, हमें ऐसे विभिन्न शेयर आइडिया तलाशते हैं, जो हमारी निवेश धारणा के अनुरूप हों।
कुछ विश्लेषक चीन से बड़ी पूंजी निकासी का अनुमान जता रहे हैं और भारत के बजाय जापान, द. कोरिया, और ताइवान में अपनी राह तलाश रहे हैं। इसे लेकर आपका क्या नजरिया है?
चीन के लिए घटता आवंटन कोष प्रवाह में बदलाव के कारकों में से एक है। बाजार में कोष प्रवाह की दीघार्वधि दिशा बुनियादी आधार पर निर्भर करती है, जिसमें जनसांख्यिकी और संभावित आर्थिक वृद्धि के साथ साथ बाजार का जोखिम प्रोफाइल भी शामिल है। भारत के लिए, इन कारकों में सुधार आ रहा है। इसके अलावा, भारतीय इक्टिी बाजार को इक्विटी जैसी वित्तीय परिसंपत्तियों में घरेलू बचत में आ रहे बड़े बदलाव का फायदा मिल रहा है।
भारतीय बाजार के लिए कमजोर मॉनसून या अल नीनो कितना बड़ा जोखिम है?
औसत से कम मॉनसूनी बारिश एक जोखिम है, लेकिन खाद्य स्टॉक उपलब्धता की वजह से इससे महंगाई बढ़ने की आशंका नहीं है। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लिए कृषि का योगदान कमजोर है, वहीं निर्माण समेत अन्य कारक GDP उत्पादन के नजरिये से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
आपके हिसाब से निवेशक कब से ‘इलेक्शन मोड’ में आएंगे और क्या आप बाजार पर प्रभाव के संदर्भ में राज्य चुनावों को आम चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं?
भारत ने चुनावी मोड में प्रवेश कर लिया है। अनुभवी निवेशक राज्य चुनावों को आम चुनावों के साथ नहीं जोड़ रहे हैं। कर्नाटक के परिणाम का बाजार धारणा पर प्रभाव नहीं पड़ा।
आपका भारतीय पोर्टफोलियो कैसा है? कुल निवेश कितना है, और पिछले 6 से 12 महीनों में कितनी खरीद-बिक्री की है? इस निवेश नीति के पीछे क्या वजह रही?
क्षेत्र के लिहाज से हमारा सर्वाधिक ओवरवेट वित्त है, जिसमें हमारी प्रमुख होल्डिंग में आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक शामिल हैं। यह निवेश की संभावना और अर्थव्यवस्था में खपत के बारे में हमारे उत्साह को दर्शाता है। साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि अच्छी गुणवत्ता वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम बैंकिंग व्यवस्था में लगातार भागीदारी बढ़ाने में सक्षम हैं। हमने कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी क्षेत्र में भी मजबूत ओवरवेट दर्ज किया है, क्योंकि बढ़त आय, कंज्यूमर अपग्रेड और युवा उपभोक्ताओं की बदलती जीवनशैली की वजह से हमारा भरोसा बढ़ा है। हम अपने पोर्टफोलियो में जोमैटो और मेकमायट्रिप को बनाए हुए हैं।
ऐसे कौन से क्षेत्र हैं जिन्हें आप गिरावट पर खरीदना चाहेंगे?
हम गिरावट पर आईटी सेवा प्रदाता कंपनियों में अपनी पोजीशन बढ़ाना चाहेंगे, क्योंकि हम डिजिटल अपग्रेड के रुझान को देखते हुए इस उद्योग के दीर्घावधि परिदृश्य पर सकारात्मक हैं। इस उद्योग में मूल्यांकन मौजूदा समय में ऊंचा है, लेकिन नकदी प्रवाह आकर्षक बना हुआ है।