Infosys Share Buyback 2025: देश की दिग्गज आईटी कंपनी Infosys लिमिटेड अपने पांचवें शेयर बायबैक प्रोग्राम को मंजूरी देने की तैयारी में है। कंपनी का बोर्ड 11 सितंबर 2025 को होने वाली मीटिंग में इस प्रस्ताव पर फैसला करेगा। जैसे ही बायबैक की खबर सामने आई, बाजार में निवेशकों की नजरें इस स्टॉक पर टिक गई हैं।
बायबैक का सीधा अर्थ है कि कंपनी अपने ही शेयर बाजार से खरीद ले। ऐसा करने से शेयरों की कुल संख्या घट जाती है और बचे हुए शेयरों की वैल्यू बढ़ जाती है। अक्सर कंपनियां तब बायबैक करती हैं जब उनके पास नकद भंडार अधिक हो या वे निवेशकों को यह संदेश देना चाहती हों कि मौजूदा शेयर कीमत कम आंकी गई है। निवेशकों के लिए यह भरोसे का संकेत माना जाता है।
Infosys ने अब तक चार बायबैक किए हैं और इस दौरान करीब 39,760 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। सबसे बड़ा बायबैक 2017 में हुआ था, जब कंपनी ने 13,000 करोड़ रुपये खर्च करके 113 मिलियन शेयर वापस खरीदे। हालांकि शुरुआत में शेयर की कीमत करीब 6% गिरी, लेकिन छह महीने बाद यह 9% चढ़ गई। 2019 का बायबैक निवेशकों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ और शेयर एक महीने में ही 11% ऊपर चले गए। 2021 के बायबैक में शुरुआती गिरावट देखने को मिली, लेकिन लंबे समय में 22% की जोरदार तेजी दर्ज की गई। वहीं, 2022 का बायबैक भी सकारात्मक रहा और शेयरों में लगातार मजबूती देखने को मिली।
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Infosys Share Buyback की चर्चा शुरू होते ही Infosys के शेयरों में तेजी देखने को मिली। 8 सितंबर को यह 1,428 रुपये तक गिर गए थे, लेकिन तीन दिन में 1,534 रुपये तक चढ़ गए। यानी निवेशकों का रुझान फिर से सकारात्मक हुआ है। हालांकि, यह भी सच है कि शेयर अपने हाई से अभी भी करीब 28% नीचे ट्रेड कर रहे हैं। साल 2025 की शुरुआत से अब तक इसमें लगभग 18.5% की गिरावट दर्ज की गई है।
अगर सेक्टर की बात करें तो इस साल अब तक आईटी इंडेक्स 17% टूटा है, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 5.5% की बढ़त में है। इसका मतलब यह है कि आईटी सेक्टर दबाव में है और Infosys भी इसी दबाव का हिस्सा है। वैल्यूएशन के लिहाज से देखें तो कंपनी का शेयर इस समय 21.6 पी/ई रेशियो पर ट्रेड कर रहा है, जबकि पिछले पांच साल का औसत करीब 24.8 रहा है। यानी शेयर अपने ऐतिहासिक औसत के मुकाबले फिलहाल सस्ता दिखाई दे रहा है।
11 सितंबर को होने वाली बोर्ड मीटिंग के बाद यह साफ हो जाएगी कि इस बार Infosys कितनी राशि खर्च करेगी, कितने शेयर खरीदेगी और किस कीमत पर बायबैक होगा। निवेशकों को भी यही इंतजार है कि यह फैसला उनके लिए किस हद तक फायदे का सौदा साबित होता है।