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इन्फोसिस: राह नहीं आसान

Last Updated- December 09, 2022 | 9:55 PM IST

राजस्व में इन्फोसिस को इसलिए बढ़ोतरी मिली कि डालर के मुकाबले रुपया कमजोर था। दिसंबर 2008 की तिमाही में डॉलर में अर्जित राजस्व में कमी का अनुमान था।


लेकिन आईटी क्षेत्र की इस बड़ी कंपनी ने इन अनुमानों को गलत बताते हुए बेहतर प्रदर्शन किया है और कंपनी ने परिचालन मुनाफा मार्जिन 200 आधार अंकों की बढोतरी के साथ 35 फीसदी का मुनाफा अर्जित किया। कंपनी को हुए इस फायदे का कारण रुपये की मूल्यों में आई गिरावट और कंपनी की लागत खर्च में कमी रहा।

हालांकि इन सब के बावजूद कंपनी को वर्ष 2008-09 में अपने डॉलर में प्राप्त होनेवाले राजस्व के अनुमान में कटौती करनी पडी है और इसमें किसी तरह के आश्चर्य की बात नहीं है।

पहले कंपनी ने वर्ष 2008-09 के लिए डॉलर में अर्जित राजस्व का लक्ष्य 4.8 अरब डॉलर रखा था लेकिन अब जैसा कि कंपनी ने अपने इस अनुमान में कटौती की है ।

इसके अब 4.67-4.71 अरब डॉलर के बीच रहने की संभावना बताई जा रही है। अत: इससे डॉलर में होनेवाले 12-13 फीसदी की विकास दर में अपने अनुमान से कम रह सकती है और इसके घटकर 11.8-12.8 फीसदी रहने की संभावना बताई जा रही है।

हालांकि इस स्थिति के लिए मुद्राओं के आपसी आदान-प्रदान को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जबकि मुद्रा के परिचालन के स्थिर रहने की स्थिति में डॉलर में आनी वाली आय 15.6-17.6 फीसदी के बीच रह सकती है जबकि डॉलर में प्राप्त होनेवाली आमदनी 11 फीसदी के आसपास रह सकती है। 

इस साल रुपये में होनेवाली आमदनी साल-दर-साल के आधार पर 27.6 फीसदी की बढोतरी के साथ 101.30 करोड़ रुपये रहेगी। हालांकि वित्त वर्ष 2009-10 में राजस्व और मुनाफा उम्मीदों खडा नहीं उतर सकता है और जिससे कंपनी को कुछ परेशान का सामना करना पड सकता है।

इसी अवधि के दौरान डॉलरों में होनेवाला विकास अपने अनुमानित लक्ष्य से  6-7 फीसदी पीछे रह सकता है। इसके अलावा ये बिना किसी तेजी केसाथ सपाट रह सकता है।

इसका संकेत इस बात से मिलता है कि कीमतों पर पहले सी दबाव पड़ना शुरू हो गया है और मुद्राओं के परिचालन के स्थिर रहने के कारण दिसंबर की तिमाही के में कीमतों में 180 आधार अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।

एक्साइड: दम है बाकी

एक्साइड के मौजूदा कारोबार की जो स्थिति है, उसे देखकर नहीं लगता कि टी वी रामनाथन बैटरियों की इस बड़ी कंपनी में निकट भविष्य में कारोबार के विकास के लिए कुछ बेहतर कर पाएंगे।

हालांकि कंपनी के प्रबंध निदेशक अभी भी उत्साहित नजर आ रहे हैं। उनका मानना है कि उनकेप्रमुख ग्राहकों जैसे मारुति और टाटा मोटर्स की और से मांग जारी रहने के कारण कंपनी की बिक्री का स्तर बेहतर बना रह सकता है।

दिसंबर 2008 की तिमाही एक्साइड ने ऑरिजनल इक्विपमेंट मैनुफैक्चरर्स ( ओईएम) के साथ कम कारोबार किया है और इसकी बिक्री में  करीब 18 फीसदी की गिरावट आई है।

इसके कारण को कंपनी को काफी नुकसान हुआ है क्योंकि ओईएम के साथ कारोबार का कंपनी के राजस्व में 25-30 फीसदी का योगदान होता है।

हालांकि विस्थापित किए जानेवालेऔर आद्योगिक बैटरी कारोबार में 20 फीसदी की तेजी आने के बावजूद एक्साइड के शुध्द मुनाफेमें मात्र 2 फीसदी की तेजी देखी गई है। जिसकी वजह फॉरेक्स घाटा और इन्वेट्री में कंपनी को हुआ घाटा रहा। 

शीशों के ठकीकों के ऊंची कीमतों के दायरों में पहुचने से परिचालन मुनाफा मार्जिन 60 फीसदी गिरकर 14.4 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया। एक्साइड के कच्चे मालों पर आनेवाली कुल लागत में शीशे का योगदान 70 फीसदी का होता है।

रामनाथन का कहना है कि शीशे की कीमतों में आई कमी के कारण वित्त वर्ष 2009-10 में मार्जिन में सुधार आ सकता है। ब्लूमबर्ग के आंकडो के अनुसार सितंबर से अब तक शीशे की कीमतों में करीब 44 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

इसी दौरान एक्साइड देश केटीयर1 और टीयर 2 शहरों  (बिहार के भागलपुर में) जैसे अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। इसके पीछे कंपनी का लक्ष्य असंगठित क्षेत्रों के प्रभाव को कम करना है जिनकी व्यवसायिक वाहनों और टैक्सी क्षेत्र में गहरी पैठ है।

दूसरी तरफ कसबों में छोटे कारोबारियों की बेहतर पहुंच है। हालांकि इन तमाम बातों के बावजूद जब तक अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार नहीं होता तब कंपनी के कारोबार में पिछले तीन सालों में आई 27 फीसदी की गिरावट को पूरा करना आसान नहीं लग रहा है।

First Published - January 14, 2009 | 9:14 PM IST

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