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Indian Stock Market: भारत केंद्रित फंडों से भी निकासी, निवेशकों का चीन पर दांव

चीन के शेयर बाजार में 30% तेजी और सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं के चलते भारतीय शेयर बाजार से निवेशकों का ध्यान हट रहा है, जिससे भारतीय फंडों में सुस्ती आई है।

Last Updated- October 11, 2024 | 11:14 PM IST
Editorial: Some unnatural aspects of the decline in the stock market शेयर बाजार में आई गिरावट के कुछ अस्वाभाविक पहलू

भारतीय शेयर बाजार निवेशकों के रुख में बदलाव देख रहे हैं। चीन के शेयरों में 30 प्रतिशत तेजी के बाद निवेशक भारतीय बाजार से ध्यान हटाकर चीन पर दांव लगा रहे हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान यह बड़ा बदलाव हुआ है।

पहले चीन को होने वाले नुकसान का फायदा अक्सर भारत को मिलता था। इलारा कैपिटल के अनुसार भारत केंद्रित फंडों (इंडिया-डेडिकेटेड फंड) से मार्च 2023 के बाद पहली बार निवेशकों ने रकम निकाली है। चीन की तरफ बढ़ते झुकाव के बीच इन फंडों से 24.5 करोड़ डॉलर निकले हैं।

पिछले आठ सप्ताहों के दौरान औसत निवेश 30 करोड़ डॉलर था। मगर अब यह सुस्त होकर पिछले सप्ताह 10.7 करोड़ डॉलर रह गया। भारत केंद्रित फंडों के पास 80 अरब डॉलर से अधिक की परिसंपत्तियां हैं। इसके विपरीत चीन में विदेश से आने वाली रकम में ताबड़तोड़ बढ़ोतरी हुई है।

चीन पर केंद्रित फंडों में इस सप्ताह 9.3 अरब डॉलर का निवेश आया जिससे दो सप्ताहों के दौरान यह बढ़कर 15.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इलारा ने कहा कि हाल में चीन में दनादन निवेश के बाद अगस्त 2023 के बाद वहां से निकली रकम में 45 प्रतिशत हिस्से तक की वापसी हो गई है।

सितंबर 2021 और अगस्त 2024 के दौरान चीन का शांघाई (एसएसई) कंपोजिट इंडेक्स 30 प्रतिशत फिसल चुका था। मगर पिछले एक महीने के दौरान यह सूचकांक 30 प्रतिशत तक सुधर चुका है। हाल में चीन की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए वहां की सरकार ने भारी भरकम राहत प्रोत्साहनों की घोषणा की है।

फिलहाल यह बताना मुश्किल है कि तेजी से उभरते बाजारों से चीन में कुल कितनी रकम गई है। हालांकि, इलारा कैपिटल का कहना है कि सेबी के एफपीआई आंकड़े और डॉलर और रुपये की गतिविधियों से तो लग रहा है कि भारत से बड़ी रकम वहां गई है।

सेबी के आंकड़ों के अनुसार इस महीने एफपीआई ने अभी तक भारतीय बाजारों से 5.7 अरब डॉलर रकम की निकासी की है। तेजी से उभरते बाजारों से काफी रकम चीन जा रही है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार अन्य एशियाई बाजारों से रकम का प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम रहा है।

शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में कमजोर होकर पहली बार 84 का स्तर पार कर गया। एफपीआई की बिकवाली और रुपये में कमजोरी ऐसे समय दिखी है जब दुनिया में मची उथल-पुथल और अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती से जुड़ी अनिश्चितता बरकरार रहने से विदेशी निवेशक अधिक जोखिम नहीं ले रहे हैं।

जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में शोध प्रमुख विनोद नायर कहते हैं, ‘दुनिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से एफपीआई अब सस्ते बाजारों की तरफ रुख कर रहे हैं। उनके इस कदम से भारतीय बाजार में रकम की कमी हो रही है।’ हाल में आई तेजी के बावजूद एसएसई कंपोजिट अब भी अगले एक साल की आय अनुमान के 16 गुना स्तर पर कारोबार कर रहा है।

भारत का निफ्टी 50 अगले एक साल की आय अनुमान के 25 गुना स्तर पर 50 प्रतिशत से अधिक महंगा दिख रहा है। इलारा का मानना है कि चीन में तेजी देसी मझोले और छोटे शेयरों के लिए भी चिंता का कारण है। इलारा ने कहा कि निवेशक 14वें सप्ताह में भारत के मझोले शेयरों से निवेश निकाल चुके हैं और इस सप्ताह भी 6 करोड़ डॉलर की रकम निकली है।

First Published - October 11, 2024 | 11:14 PM IST

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