भले ही भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए वित्त वर्ष 2023 का समापन शानदार बिक्री के साथ होने की संभावना है, लेकिन बढ़ती ब्याज दरों से बिक्री पर दबाव बढ़ने की चिंताओं के बीच मूल्यांकन वर्ष के निचले स्तर पर है।
हालांकि कई ब्रोकरों का मानना है कि सूचीबद्ध रियल्टी कंपनियों को कर्ज के अनुकूल स्तर, इन्वेंट्री यानी बगैर बिकी संपत्तियों में कमी को देखते हुए बड़ी मदद मिलने के आसार दिख रहे हैं।
रियल एस्टेट आंकड़े और विश्लेषण से संबंधित प्लेटफॉर्म प्रॉपइक्विटी के अनुसार, इस क्षेत्र की सकल बिक्री वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही के दौरान प्रमुख सात शहरों में 14.9 करोड़ वर्ग फुट रही, जो पिछले दशक में सर्वाधिक तिमाही बिक्री है।
दिसंबर में समाप्त 9 महीनों में, बिक्री सालाना आधार पर 34 प्रतिशत बढ़कर 41.2 करोड़ वर्ग फुट हो गई। अच्छी मांग और बढ़ती किफायती की वजह से बिक्री में सुधार आया है और इस वजह से इन्वेंट्री का स्तर घटा है।
गैर बिकी संपत्तियों का स्तर दिसंबर 2022 में घटकर 83.9 करोड़ वर्ग फुट रह गया, जो दिसंबर 2021 में 92.3 करोड़ वर्ग फुट था। रेटिंग एजेंसी इक्रा का कहना है कि इसकी वजह से बगैर बिकी संपत्तियों के लिए वर्ष-बिक्री अनुपात 1.5 वर्ष के साथ दशक के निचले स्तर पर रह गया।
इसके अलावा, वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में औसत बिक्री सालाना आधार पर 10 प्रतिशत बढ़ी और उस पर लक्जरी आवासों की ऊंची भागीदारी के साथ उत्पाद लागत में वृद्धि के साथ साथ उत्पाद मिश्रण में बदलाव का कुछ असर दिखा। मजबूत बिक्री का रुझान मौजूदा कैलेंडर वर्ष में बना हुआ है।
उदाहरण के लिए, मुंबई बाजार में, संपत्ति पंजीकरण फरवरी में जनवरी के मुकाबले 8 प्रतिशत तक बढ़ गया, भले ही सालाना आधार पर इसमें 7 प्रतिशत की कमी आई।
एलारा सिक्योरिटीज में रियल एस्टेट शोध विश्लेषकों रूपेश सांखे और तनवी तांबट का कहना है कि महामारी के बाद आय के स्तर में वृद्धि और घर खरीदने के प्रति बढ़ते रुझान के साथ मुंबई का आवासीय बाजार मजबूत है और विपरीत हालात से अप्रभावित है।
उनका कहना है कि ऊंची आवास ऋण दरों, राज्य सरकारों से छूट नहीं मिलने, और पिछले साल के मुकाबले पूंजीगत वैल्यू में वृद्धि के बीच मांग मजबूत बनी हुई है। इससे मैक्रोटेक डेवलपर्स (पूर्व में लोढा डेवलपर्स नाम से चर्चित), ओबरॉय रियल्टी, सनटेक रियल्टी और गोदरेज प्रॉपर्टीज जैसी संगठित क्षेत्र की सूचीबद्ध रियल्टीकंपनियों को लाभ मिलने की संभावना है, क्योंकि इनकी अधिकतर बिक्री आवासीय संपत्ति बाजार से जुड़ी हुई है।
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जहां बिक्री मजबूत बनी हुई है, वहीं रियल स्टेट दिग्गजों के शेयरों को दबाव का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि ऋण की बढ़ती लागत और EMI पर असर को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं।
पिछले 6 महीनों के दौरान बेंचमार्क सूचकांकों के सपाट प्रदर्शन की तुलना में रियल्टी सूचकांकों – बीएसई रियल्टी और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी रियल्टी में 14 प्रतिशत की गिरावट आई है।
कमजोर शेयर कीमतों की वजह से मूल्यांकन पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। निफ्टी रियल्टी और बीएसई रियल्टी 2024-25 के आय अनुमानों के मुकाबले 33 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रहे हैं।
कोटक सिक्योरिटीज के विश्लेषकों मुर्तजा अरसीवाला और अभिषेक खन्ना का कहना है कि आवासीय रियल एस्टेट कंपनियों का मूल्यांकन नए निचले स्तर पर आ गया है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि परिचालन संबंधित मापक मजबूत बने रहेंगे।