फ्रैंकलिन टेम्पलटन इंवेस्टमेंट के निवेश गुरू और कार्यकारी निदेशक मार्क मोबियस ने कहा है कि भारतीय बाजारों को उनके जबरदस्त सेविंग्स पूल का फायदा मिलेगा साथ ही अमेरिकी मंदी का असर भी ज्यादा नही पड़ने वाला है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका पर भारतीय निर्यात की निर्भरता अपेक्षाकृत कम है। दूसरी ओर चीन का निवेश और निर्यात जनित विकास उसे ओवरकैपसिटी की ओर ले जाएगा,वहीं भारत अपने घरेलू खपत के चलते सुरक्षात्मक स्थिति ही अख्तियार कर सकेगा। आगे मोबियस का कहना है कि भारत से भी उम्मीद की जाती है कि वह अपना आर्थिक विकास दर जारी रख सकेगा।
भारत इसका एक बेहतर उदाहरण है जहां की आर्थिकी पर पकड़ उद्यमशीलता की है और जहां लाल फीताशाही और कमजोर आधारभूत संरचना के बावजूद प्राइवेट सेक्टर कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं। उभरते बाजार पर मोबियस ने अपना नजरिया जाहिर करते हुए बताया कि लैटिन अमेरिका के बाजारों के अच्छे प्रदर्शन के पीछे मजबूत घरेलू मुद्रा,निवेश करने का जबरदस्त आत्मविश्वास और ऊंची कमोडिटी कीमतें हैं।
भारत और चीन के शेयर बाजारों से मिले सकारात्मक रिटर्न के चलते यहां शेयरों की कीमतें संशोधित हुई हैं जबकि पाकिस्तान में मौजूदा नकारात्मक आर्थिक संकेत और राजनीतिक अनिश्चितता के चलते वहां के बाजारों की हालत सही नही है। मोबियस भारत के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का भी हवाला देते हैं,जिसकी वजह से यहां इतनी तेजी से विकास संभव हो सका है।
खासकर तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो इसके विश्वविद्याालयों की तुलना विश्व के बेहतर विश्वविद्यालयों से की जा सकती है, जबकि चीन के मुकाबले इस लिहाज से भारत कहीं आगे है। इसी का तकाजा है जिसने भारत को तेज-तर्रार और कुशल कर्मी दिए हैं। खासकर सूचना तकनीक,व्यापार प्रबंधन और विज्ञान जैसे क्षेत्र इसी के बल पर आज मजबूत स्थिति में हैं। इसके चलते भारत अब सबसे मुफीद जगहों में बदल गया है जहां से विकसित बाजार आउटसोर्सिंग करते हैं।
मालूम हो कि पासपोर्ट ऑफ प्रॉफिट मोबियस द्वारा लिखित पुस्तक है। मोबियस भारतीय आर्थिक विकास के राह में मौजूद चुनौतियों का भी जिक्र करते हुए कहते हैं कि यहां की मुख्य समस्या इसकी कमजोर आधारभूत संरचना और राजकोषीय घाटों का काफी ज्यादा होना है। ये दोनों भारत के विकास में एक बड़ी चुनौती हैं और भारत के विकास में अड़चने पैदा कर रहे हैं।
जाहिर है, कि भारत के विकास को अगर सुनिश्चित करना है तो सरकार को चाहिए कि वो राजकोषीय घाटे को कम करने पर ध्यान केन्द्रित करे। मोबियस ने भारत और चीन विभिन्न सेक्टरों के विकास के बारे में कहा कि दोनों देशों में उपभोक्तावाद ही निवेश और निवेशकों के लिए अहम पहलू होगा। क्योंकि जिस कदर दोनों देशों में लोगों के वेतन में इजाफे हो रहें हैं उससे निश्चित तौर पर उत्पाद और सेवा की मांग में जबरदस्त इजाफा होगा।
मोबियस ने बताया कि हम दोनों देशों के बाजार के ऊर्जा, संसाधनों, ग्राहक समेत आधारभूत संरचना क्षेत्र पर सकारात्मक नजरिया बरकरार रखे हुए हैं। खासकर ऊर्जा वाले शेयरों की स्थिति अच्छी रहनी चाहिए क्योंकि एक तरफ तो ऊर्जा की दुनियाभर में खासी मांग है,दूसरी तरफ तेल की आग लगाती कीमतों ने भी ऊर्जा क्षेत्र के कमाई के जरियों में खासा इजाफा कर दिया है। कंपनी के विकास के बाबत उनका कहना है कि चीन और भारत के द्वारा आधारभूत क्षेत्र में बेहतर निवेश से कंपनियां लाभांवित होंगीं।