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India vs China: चीन के प्रोत्साहन से निवेशकों का झुकाव बढ़ा, जानें एशियाई इक्विटी में लीडिंग ब्रोकरेज की क्या है पोजीशन

एशिया में, ब्रोकरेज ने अपनी निवेश की रणनीतियों में बदलाव करना शुरू कर दिया है, जिसमें भारत की तुलना में चीन को सामरिक रूप से प्राथमिकता दी जा रही है।

Last Updated- October 17, 2024 | 10:25 PM IST
India and China border tensions

India stock market vs China stock market: चीन द्वारा हाल ही में घोषित प्रोत्साहन उपायों ने अधिकांश विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित किया है। एशिया में, ब्रोकरेज ने अपनी निवेश की रणनीतियों में बदलाव करना शुरू कर दिया है, जिसमें भारत की तुलना में चीन को सामरिक रूप से प्राथमिकता दी जा रही है।

विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय इक्विटी बाजार महंगे हैं, जबकि चीन बेहतर रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो (risk-reward ratio) और कम-से-मध्यम अवधि (short-to-medium term) में ज्यादा रिटर्न की संभावना प्रदान करता है।

BofA सिक्योरिटीज के एक हालिया सर्वे के मुताबिक, चीन की प्रोत्साहन घोषणा ने दुनियाभर के निवेशकों को ‘चीन के विकास’ पर अपने दृष्टिकोण को सुधारने के लिए प्रेरित किया है। सर्वे में शामिल 48 प्रतिशत निवेशकों को उम्मीद है कि चीन की अर्थव्यवस्था एक मजबूत अर्थव्यवस्था है। यह अप्रैल 2023 के बाद चीनी अर्थव्यवस्था के लिए सबसे आशावादी स्तर है।

BofA द्वारा 4 से 10 अक्टूबर 2024 के बीच किए गए सर्वे में 17 प्रतिशत वैश्विक निवेशकों ने “लॉन्ग गोल्ड” को सबसे ज्यादा लेन-देन वाला ट्रेड बताया, इसके बाद “लॉन्ग चाइना इक्विटीज” 14 प्रतिशत पर थी।

Elara सिक्योरिटीज के अक्टूबर में फंड स्तर के विश्लेषण से पता चला कि चीन में कुल 32 अरब डॉलर (टॉप 450 GEM फंडों में प्रबंधनाधीन संपत्तियों (AUM) का लगभग 3.5%) की कमी है। Elara का कहना है कि 20 प्रतिशत भारत के वेटेज से भारतीय इक्विटीज में 6 अरब डॉलर की बिकवाली हो सकती है।

अग्रणी ब्रोकरेज फर्मों ने चीन में विकास और एशियाई/उभरते बाजारों में अपनी स्थिति की व्याख्या कैसे की है। आइए इस पर एक नजर डालते है…

Macquarie

कई वैश्विक उभरते बाजार (GEM) फंड प्रबंधक, जो चीन में कम वेटेज रखते थे, उन्होंने हाल के हफ्तों में अपने वेटेज को काफी बढ़ा दिया है। हालांकि चीन पर स्ट्रक्चरल पॉजिटिव लॉन्ग टर्म दृष्टिकोण रखना कठिन है, वे इस समय लहर के खिलाफ नहीं जाना चाहते हैं और मानते हैं कि शॉर्ट टर्म में इस तेजी में और बढ़ोतरी हो सकती है। इसलिए, उन्होंने भारत में अधिक वेटेज घटाया और हाल ही में चीन में खरीदी की है।

लॉन्ग टर्म में, भारत पर निवेशकों का दृष्टिकोण अधिक सकारात्मक था, जबकि निकट भविष्य में भारत में विकास संबंधी चिंताएं बनी हुई हैं, जैसे ऑटो बिक्री, टैक्स कलेक्शन और क्रेडिट ग्रोथ में कमी।

Jefferies

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि चीनी अधिकारियों ने, इस बार क्रमिक ढील की शुरुआत के बाद पहली बार, उम्मीदें बढ़ाने में सफलता हासिल की है। पिछले कुछ समय में चीन द्वारा उठाए गए बड़े कदमों से शेयरों में लगभग अंधाधुंध तेजी आई है। यह पिछले कई समान बूम-बस्ट रैलियों की याद दिलाता है।

इस तरह की चालें उन निवेशकों के लिए डरावनी होती हैं जो एशिया और उभरते बाजारों के बेंचमार्क के खिलाफ सापेक्ष-रिटर्न (relative-return) प्रबंधन कर रहे हैं, खासकर जब कुछ ने हाल ही में यह निर्णय लिया था कि चीन ‘निवेश योग्य’ नहीं है और पूरी तरह से बाहर हो गए थे।

Morgan Stanley

चीनी अधिकारियों द्वारा “पर्याप्त” राजकोषीय घाटा विस्तार की प्रतिबद्धता, सितंबर के अंत से देखी गई भारी अस्थिरता के बाद निकट भविष्य में बाजार की भावनाओं को स्थिर करने में मदद कर सकती है। हमें नहीं लगता कि फंड फ्लो या एक्टिव फंड की स्थिति सितंबर 2024 से पहले के स्तर पर वापस जाएगी, क्योंकि नीति में बदलाव का संकेत स्पष्ट था, भले ही इसमें विवरणों की कमी हो।

हालांकि, साल खत्म होने में तीन महीने से भी कम का समय बचा है, इसलिए आगे के राजकोषीय उपाय 2025 के दौरान धीरे-धीरे ही आएंगे। चीनी निवेशक मौजूदा आवंटनों के साथ सही मौके को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए कमाई के अवसर और गुणवत्ता अभी भी लोकप्रिय बनी रह सकती है।

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BofA Securities

जापान एशिया-पैसिफिक (APAC) में पसंदीदा बाजार है, ताइवान दूसरे स्थान पर है। कोरिया के लिए निरंतर खराब प्रदर्शन को कॉर्पोरेट वैल्यू-अप कार्यक्रम के प्रति सीमित निवेशक रुचि के साथ देखा जाता है। विशेष रूप से, चीन पर धारणा में सुधार भारत की कीमत पर आया है, जैसा कि आवंटन में अंतर के खत्म होने से देखा जा सकता है।

Elara Securities

शॉर्ट टर्म (3-6 महीने) आउटलुक से देखें तो, चीन की इक्विटीज आकर्षक लगती हैं क्योंकि हाल के उपायों ने यह उम्मीद बनाए रखी है कि नीति निर्माता कार्रवाई करने के इच्छुक हैं, और यह और गिरावट को रोकने में मदद कर सकता है।

मगर लॉन्ग टर्म आउटलुक से देखें तो, हम नहीं मानते कि अब तक घोषित उपाय अर्थव्यवस्था की दिशा को बदल सकते हैं, जब तक कि यह उपभोक्ता विश्वास या संपत्ति बाजार के संकट को ठोस रूप से हल करने वाले राजकोषीय प्रोत्साहन से समर्थित न हो।

हमारे विचार में, इस तेजी को लंबे समय तक बनाए रखने वाले कारक अनुपस्थित हैं क्योंकि घरेलू अर्थव्यवस्था गहरे संकट में बनी हुई है। चीन के निर्यात-आधारित विकास मॉडल को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय यूनियन (EU) द्वारा टैरिफ में इजाफा इसके निर्यात वृद्धि को सीमित करेगी। जर्मनी की अर्थव्यवस्था में मंदी भी चीन की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम है।

First Published - October 17, 2024 | 11:09 AM IST

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