बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा पेश किए गए आंकड़े से पता चलता है कि सेंसेक्स ने इस सप्ताह 2021 में अपना 39वां रिकॉर्ड ऊंचा स्तर दर्ज किया, जो कई वैश्विक बाजारों में सर्वाधिक है।
अमेरिका का डाउ जोंस इस साल अब तक 35 रिकॉर्ड के साथ दूसरे स्थान पर है, जिसके बाद जर्मनी के डैक्स (31) और ताइवान के ताइएक्स (28) शामिल हैं। सेंसेक्स मंगलवार को अपना 40वां रिकॉर्ड ऊंचा स्तर बनाने के करीब दिख रहा था, लेकिन यह मामूली नुकसान (17.43 अंक या 0.030 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58,279.48) पर बंद हुआ।
इस साल अब तक 22 प्रतिशत की तेजी के साथ भारत मौजूदा समय में वैश्विक रूप से श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला मुख्य बाजार है। कोरोनावायरस के डेल्टा वैरिएंट के प्रसार को लेकर चिंताओं ने अगस्त से कई वैश्विक बाजारों को कमजोर किया है। हालांकि भारतीय बाजार शानदार घरेलू निवेशक प्रवाह के बीच ब्लू-चिप शेयरों में मजबूती की वजह से तेजी की रफ्तार कायम रखने में सफल रहे हैं।
सेंसेक्स 3 अगस्त से 9 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ा है और उसने 16 अवसरों पर रिकॉर्ड ऊंचाई दर्ज की। इससे भारत को इस संदर्भ में अमेरिका, जर्मनी, ताइवान और दक्षिण कोरिया को मात देने में मदद मिली। इन देशों के बाजार एक महीने की अविध के दौरान सपाट रहे हैं।
इस तेजी ने दलाल पथ पर कई लोगों को आश्चर्यचकित किया है, क्योंकि यह तेजी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) प्रवाह के साथ साथ वैश्विक इक्विटी में नरमी के बावजूद आई है। विश्लेषक इसके लिए घरेलू बचत का पैसा इक्विटी में आने को जिम्मेदार मान रहे हैं।
यूबीएस सिक्योरिटीज में इक्विटी रणनीतिकार सुनील तिरुमलाई ने कहा, ‘जून की समाप्ति के बाद, हमने एफपीआई प्रवाह में नरमी दर्ज की है, लेकिन भारत में परिवारों से घरेलू प्रवाह बाजारों को लगातार मजबूती प्रदान कर रहा है। हमने खास आय वृद्घि के बगैर भारत को अच्छा प्रदर्शन करते देखा है, जबकि अन्य उभरते बाजार आय वृद्घि में सक्षम रहे हैं।’
घरेलू बाजार में ताजा तेजी ने मूल्यांकन को महंगे दायरे में पहुंचा दिया है। मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार,निफ्टी के लिए 12 महीने का कीमत-आय (पी/ई) अनुपात 28 गुना है, जो दीर्घावधि औसत के मुकाबले 42 प्रतिशत ज्यादा है। पिछला प्राइस-टु-बुक (पीबी) अनुपात 3.6 गुना पर है, जो ऐतिहासिक औसत से 23 प्रतिशत ऊपर है। वहीं बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात अब 2007 के बाद से सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है। तिरुमलाई ने कहा कि चूंकि भारत महामारी के प्रभाव से अच्छी तरह से बचने में सक्षम रहा है, वहीं निवेशक यह उम्मीद कर रहे हैं कि उसकी आर्थिक रिकवरी भी अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर रहेगी।
विदेशी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने इस महीने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि उभरते बाजार (ईएम) प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले भारत का मूल्यांकन प्रीमियम भी 37 प्रतिशत के औसत की तुलना में 68 प्रतिशत पर है।
चीन, हांगकांग, ब्रिटेन, फ्रांस, सिंगापुर, और जापान जैसे कई अन्य बाजारों द्वारा इस साल नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है। ब्रिटेन भी अभी महामारी पूर्व जैसी ऊंचाई पर नहीं पहुंचा है। दूसरी तरफ, चीन, फ्रांस, सिंगापुर और जापान ने महामारी की अवधि में नई ऊंचाइयों को छुआ है। सबसे बड़े ईएम माने जाने वाले चीन में प्रौद्योगिकी कंपनियों के खिलाफ ताजा नियामकीय घटनाक्रम ने निवेशकों को कहीं और अवसर तलाशने के लिए बाध्य किया है।