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भारत अनावश्यक रूप से महंगा बाजार नहीं: Jefferies MD महेश नंदुरकर

वै​श्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीतिगत सख्ती (खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व) से वै​श्विक इ​क्विटी बाजारों का प्रदर्शन प्रभावित हुआ है। जेफरीज के प्रबंध निदेशक महेश नंदुरकर ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि बाजारों पर अगले 6 महीनों के दौरान और संभवत: मौजूदा कैलेंडर वर्ष की चौथी तिमाही तक ऊंची दरों का प्रभाव दिखने का अनुमान है। उनका मानना है बाजारों में कैलेंडर वर्ष 2024 में ही संभावित दर कटौती का असर दिखना शुरू हो सकता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

Last Updated- March 06, 2023 | 8:32 PM IST
Mahesh Nandurkar

क्या कैलेंडर वर्ष 2023 में वै​श्विक इ​क्विटी की चुनौतियां दूर हो सकती हैं? क्या आप यह मान रहे हैं कि 2023 की दूसरी छमाही या कैलेंडर वर्ष 2024 के शुरू में अमेरिकी फेड ब्याज दरें घटाएगा?

इस साल फेड द्वारा दर कटौती की संभावना काफी कम दिख रही है। अल्पाव​धि में, दरें 25-50 आधार अंक तक बढ़ सकती हैं। फेड दर कैलेंडर वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में 5.1-5.3 प्रतिशत के दायरे में पहुंच जाएगी और कैलेंडर वर्ष 2024 में दरों में कटौती से पहले लंबे समय तक यह दायरा बरकरार रह सकता है। वै​​श्विक इक्विटी बाजारों पर अगले 6 महीनों और संभवत: कैलेंडर वर्ष 2023 की चौथी तिमाही तक ऊंची दरों का प्रभाव दिख सकता है।

कैलेंडर वर्ष 2023 में अब तक भारतीय बाजारों की राह उतार-चढ़ाव भरी रही है। क्या आप मानते हैं कि अब इनमें वै​श्विक प्रतिस्प​र्धियों के अनुरूप तेजी आएगी, या फिर अभी कुछ और महीने इनमें कमजोरी बनी रहेगी?

हालांकि भारत कैलेंडर वर्ष 2021 और 2022 के दौरान शानदार प्रदर्शन करने वाले इ​क्विटी बाजारों में शामिल था, लेकिन 2022 के आ​खिर और 2023 के शुरू में कमजोरी आने से मूल्यांकन ऐतिहासिक औसत के आसपास आ गया। भारत अब उभरते बाजार सूचकांक के मुकाबले 60 प्रतिशत ऊपर कारोबार कर रहा है, लेकिन यह ऐतिहासिक औसत के अनुरूप बना हुआ है। भारत अनावश्यक तौर पर महंगा बाजार नहीं है। साथ ही वै​श्विक भूराजनीतिक हालात भी लगातार भारत के अनुकूल बने हुए हैं। भारत का कमजोर प्रदर्शन अब पीछे छूट चुका है। भारतीय इ​क्विटी इस साल की दूसरी छमाही में शानदार प्रदर्शन की संभावना के साथ वै​श्विक प्र​तिस्प​र्धियों के समान तेजी दर्ज कर सकते हैं।

क्या आप मानते हैं कि सरकार राज्यों में चुनावों और अगले साल आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए लोकलुभावन उपायों की घोषणा करेगी? ऐसी घोषणाओं का बाजार पर क्या असर दिखेगा?

मेरा मानना है कि सरकार ने लोकलुभावन वादों से दूर बने रहकर शानदार कार्य किया है और भारतीय अर्थव्यवस्था के दीर्घाव​धि विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। लेकिन जैसे ही हम 2024 के चुनावों की ओर बढ़ रहे हैं, किसी भी सरकार के लिए सामाजिक योजनाओं पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना स्वाभाविक है, जैसा कि पहले भी किसी आम चुनाव से पहले होता रहा है। खरीफ फसल के लिए न्यूनतम बिक्री मूल्य में वृद्धि करना इस तरह की घोषणाओं में से एक हो सकता है।

क्या बाजार को अदाणी समूह से जुड़ी अन्य चिंताओं का सामना करना पड़ सकता है, या फिर आप यह मान रहे हैं कि बुरा समय अब समाप्त हो गया है?

वि​भिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा की गई घोषणाओं से यह पता चलता है कि भारत के बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली के स्थायित्व पर बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। हम यह नहीं मानते कि भारत का जीडीपी परिदृश्य ज्यादा प्रभावित हुआ है।

अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के कॉरपोरेट आय सीजन के संबंध में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

वित्त वर्ष 2023 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही की आय काफी हद तक अनुमान के अनुरूप रही। कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2023 और 20203-24 के लिए आय अनुमान आय परिणाम सीजन के दौरान अपरिवर्तित रहे। जहां कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी (यानी ड्यूरेबल, खाद्य सेवाओं, रिटेल आदि) की मांग में कुछ कमजोरी देखी गई, लेकिन अनुमान से बेहतर मार्जिन की वजह से इसकी भरपाई हो गई। बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के नतीजे बेहतर शुद्ध मार्जिन की मदद से अच्छे रहे।

First Published - March 6, 2023 | 8:32 PM IST

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