ऐसा लगता है कि दिसंबर 2008 की तिमाही में एचडीएफसी के द्वारा की जाने वाली ऋणों की मंजूरी में साल-दर-साल की गिरावट से बाजार ज्यादा परेशान हुआ है।
इसके अलावा एक और बात जो निवेशकों के लिए नासूर बनी वो यह कि एचडीएफसी के द्वारा किए जानेवाले ऋणों के आवंटन में भी गिरावट दर्ज की गई, हालांकि साल-दर-साल के हिसाब से यह ज्यादा ही रही।
ऋणों की मंजूरी और इसके आवंटन केअनुपात में दिसंबर तिमाही में 95 फीसदी रहा जो सामान्य स्तर यानी 76-80 फीसदी की तुलना में काफी ज्यादा है। एचडीएफसी के कारोबार में इस सुस्ती का कारण लोगों के बीच अपेक्षाकृत कम कर्जों का आवंटन रहा है।
हालांकि मौजूदा माहौल को दखते हुए इसमे कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि अन्य ऋणदाताओं ने भी कमोबेश इसी तरह का रुख अपनाए रखा है।
अगर खुदरा कर्जधारकों की सिर्फ बात की जाए तो इनको दिए जानेवाले ऋणों की मंजूरी में साल-दर-साल के हिसाब से 22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि ऋणों के आवंटन की दर 28 फीसदी दर्ज किया गया।
अगर यह आंकड़े अन्य तिमाहियों की अपेक्षा उत्साहित करनेवाले नहीं हैं तो इससे ज्यादा कि अपेक्षा तो ऐसे समय में नहीं की जा सकती, जब बाजार में निवेशकों के विश्वास में काफी आई है।
बैंकों के मुकाबले एचडीएफसी की खुदरा निवेशकों के बीच पहुंच काफी कम है और यह अपने संसाधन का लगभग 80 फीसदी हिस्सा थोक बाजार से जुटाती है। इसके अलावा इसे अपने आप को किसी तरह के पूंजी असंतुन से भी सुरक्षित रखने की जरूरत होती है।
एचडीएफसी के शेयरों में जिस तरह से गिरावट आई वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि कठिन कारोबारी माहौल में भी आवासीय ऋण प्रदान मुहैया कराने वाली इस प्रमुख कंपनी का कारोबार विस्तार 2.1 फीसदी रहा और सिक्वेशिंयल आधार पर इसमें केवल 10 आधार अंकों की गिरावट आई।
इसके अलावा करों के बाद केमुनाफे (पीएटी) में साल-दर-साल के हिसाब से 15 फीसदी की तेजी आई। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह रही कि पोर्टफोलियो बेहतरीन रहा और कंपनी के गैर-निष्पादित धन दिसंबर 2008 की तिमाही में 1.01 फीसदी के स्तर पर रहा ।
जबकि सितंबर तिमाही की समाप्ति पर यह 1.04 फीसदी के स्तर पर रहा। छह माह की अवधि के दौरान भी एनपीएल अपेक्षाकृत कम रहा। ऐसे समय में जबकि बैंकों के गैर-निष्पपादित धनों में तेजी से बढोतरी हो रही है, एचडीएफसी का प्रदर्शन इस लिहाज से बहुत ही बढ़िया रहा है।
एक बात तो तय है कि कर्जों के आवंटन में कमी आ रही है, हालांकि आर्थिक हालात कुछ समय से काफी बदतर रहे हैं और ब्याज दरों में कटौती कुछ समय पूर्व से ही होनी शुरू हुई है।
ग्राहकों के विश्वास को लौटने में अभी भी वक्त लग सकता है कि क्योंकि मंदी के कारण नौकरी की और साथ ही वित्तीय स्थिति को लेकर कोई आश्वस्त नजर नहीं आ रहा है।
ऐसे हालात में घर खरीदने जैसा बडा निवेश करना शायद मुश्किल हो सकता है। वर्ष 2009-10 में एचडीएफसी के लोन बुक में 18-20 फीसदी की तेजी आ सकती है जो बाजार के 30 फीसदी की तुलना में काफी कम है।