सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि दिवालियापन संहिता (आईबीसी, या IBC) के तहत किसी अन्य इकाई द्वारा अधिग्रहित किए जाने के बाद पूर्व प्रमोटर एक दिवालिया कंपनी में हिस्सेदारी जारी नहीं रख सकते हैं।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने शुक्रवार को भूषण स्टील के पूर्व प्रमोटर नीरज सिंघल और अन्य की अपील खारिज कर दी। अदालत ने मामले में नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) और नेशनल कंपनी लॉ ऐपेलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) के आदेशों से सहमति जताई और एक अलग आदेश पारित करना उचित नहीं समझा।
आईबीसी के तहत समाधान प्रक्रिया के दौरान टाटा स्टील द्वारा 72.65 फीसदी शेयर हासिल करने के बाद प्रवर्तकों के पास कंपनी में 2.35 फीसदी की हिस्सेदारी थी।
अदालत ने कहा, ‘अपीलकर्ता पूर्ववर्ती प्रमोटर हैं और इसलिए उन्हें कंपनी में (शेयरधारकों के रूप में) नहीं रखा जा सकता है। NCLAT भी यही कहता है।’
2017 में भूषण स्टील पर लगभग 56,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसे दिवालिया होने वाले 12 बड़े ऋण चूककर्ताओं में से एक के रूप में पहचाना था।
NCLT ने मई 2018 में भूषण स्टील के लिए टाटा स्टील की बोली को मंजूरी दी। हालांकि भूषण स्टील और कंपनी के ऋणदाता L&T के प्रमोटरों ने NCLAT के समक्ष टाटा की बोली को चुनौती दी।
टाटा स्टील की समाधान योजना 35,200 करोड़ रुपये में भूषण स्टील का अधिग्रहण करने, अगले 12 महीनों में लेनदारों को 1,200 करोड़ रुपये का भुगतान करने और फिर बैंकों के बकाया कर्ज को इक्विटी में बदलने की थी।
भूषण स्टील के प्रमोटरों ने आरोप लगाया कि टाटा स्टील को बोली से अयोग्य घोषित कर दिया गया क्योंकि उसकी सहायक कंपनी को ब्रिटेन में मुकदमे का सामना करना पड़ा। NCLAT ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि सहायक कंपनी टाटा स्टील लिमिटेड से ‘जुड़ा हुआ व्यक्ति’ है। NCLAT ने आगे कहा, ‘यह IBC की धारा 29ए के तहत अयोग्यता साबित नहीं करता है। हम यह भी मानते हैं कि ‘टाटा स्टील लिमिटेड’ समाधान योजना दाखिल करने के लिए पात्र है।’
L&T ने अलग से तर्क दिया कि टाटा स्टील की पेशकश ऋणदाताओं के लिए उचित नहीं थी। NCLAT ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया और कहा कि टाटा की समाधान योजना सभी ऋणदाताओं के लिए निष्पक्ष और समान थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि सभी अपीलकर्ताओं द्वारा प्रस्तुतियां स्वीकार कर ली जाती हैं तो समाधान योजना बिल्कुल भी काम करने योग्य नहीं होगी।